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आगरा में बवाल के पीछे क्या है असली वजह? यहां पढ़ें

भगवा कपड़े पहनने वाले आदित्यनाथ योगी ने यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी क्या संभाली, कुछ लोगों ने यह मान लिया कि अब गले में भगवा-गमछा डाल लेने के बाद कानून का शिकंजा उन पर नहीं कस सकता.

आगरा में हिंदू संगठनों ने किया पुलिस पर हमला आगरा में हिंदू संगठनों ने किया पुलिस पर हमला
बालकृष्ण/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

ताजमहल के शहर में भी योगीराज आने के बाद आबो-हवा बदल गई है. इसका एहसास आगरा की सड़कों पर चलते हुए आपको खुद बखुद होने लगता है. महीने भर पहले तक यह कहां संभव था कि मस्जिद के दीवारों पर भी कोई भगवा झंडा लगा जाए और किसी की हिम्मत ना हो उसे हटाने की.

लेकिन हिंदूवादी संगठन के लोगों का जोश अगर दीवारों पर झंडे लगाने तक ही सीमित रहता तब भी गनीमत थी. भगवा कपड़े पहनने वाले आदित्यनाथ योगी ने यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी क्या संभाली, कुछ लोगों ने यह मान लिया कि अब गले में भगवा-गमछा डाल लेने के बाद कानून का शिकंजा उन पर नहीं कस सकता. पहले समाजवादी पार्टी की सरकार को गुंडों की सरकार कहने वाले कुछ लोगों का जोश इतना बढ़ गया कि वो थाने में घुसकर पुलिस अधिकारियों के साथ मारपीट करके आरोपियों को हवालात से छुड़ा कर ले जाने की कोशिश भी करने लगे.

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जब मारपीट के आरोप में पांच लोगों को पुलिस ने पकड़ा
आगरा शहर के सदर थाने में खड़ी करीब 70-80 बाइक और स्कूटर इस बात की गवाह है कि यहां पर शनिवार की शाम को उपद्रवियों और पुलिस के बीच कैसा टकराव हुआ था. दरअसल पुलिस यहां पर पांच लोगों को पकड़कर लाई थी, जिनके ऊपर यह आरोप था कि उन्होंने आगरा के फतेहपुर सीकरी थाने में कुछ लोगों के साथ मारपीट की. जब उस थाने पर उन्हें छुड़ाने के लिए आसपास के लोग इकट्ठा होकर हंगामा करने लगे और बात पुलिस अधिकारियों के साथ हाथापाई तक आ गई तो आरोपियों को पुलिस वहां से निकालकर 40 किलोमीटर दूर आगरा शहर के सदर थाने में ले आई. लेकिन बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोग अपने साथियों को छुड़ाने के लिए यहां भी आ धमके. पहले धरना प्रदर्शन हुआ और जब बात नहीं बनी तो उन्होंने जबरदस्ती हवालात से आरोपियों को छुड़ाने की कोशिश की. पहले थाने पर पथराव हुआ लेकिन जब पुलिस ने जवाब में लाठियां बरसाना शुरू किया तो लोग भाग खड़े हुए और उनकी गाड़ियां यहीं पर छूट गई जो अब थाने में खड़ी हैं.

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पुलिस पर सपा के एजेंट के तौर पर काम करने का आरोप
सदर थाने के इंस्पेक्टर विनय कुमार मिश्र बताते हैं कि उन्होंने 14 लोगों को जेल भिजवा दिया है और बाकी आरोपियों की भी तलाश जारी है. विनय कुमार मिश्र बताते हैं कि शनिवार को हालात ऐसे हो गए कि लाठी चलाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. जिन लोगों ने थाने में जाकर आरोपियों को छुड़ाने की कोशिश की उनमें बीजेपी के उदय भान सिंह भी शामिल थे और इस बात का जिक्र FIR में भी किया गया है. लेकिन उदय भान सिंह आरोप लगाते हैं कि सरकार बदलने के बाद भी बहुत सारे पुलिस वाले समाजवादी पार्टी सरकार के एजेंट के तौर पर ही काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि आगरा में जो कुछ हुआ उसके पीछे पुलिस वालों की गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई ही जिम्मेदार है.

पुलिस पर सरकार का कोई दबाव नहीं
पुलिस के कई अधिकारी कहते हैं कि सारी मुसीबत की जड़ ये है कि बीजेपी और इससे जुड़ी कई हिंदूवादी संगठनों के नीचे के कार्यकर्ता निराश हैं. उन्हें उम्मीद थी कि सत्ता बदलते ही ऊपर से नीचे तक सारे पुलिस और प्रशासन के अधिकारी बदल दिए जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. आगरा के एसपी ग्रामीण मंशाराम गौतम बताते हैं कि कम से कम अभी तक उनके ऊपर सरकार का कोई दबाव नहीं आया है. दूसरे पुलिस अधिकारी बताते हैं कि सत्ता बदलते ही कुछ लोग अपनी धौंस थानों पर अभी से जमा लेना चाहते हैं ताकि आगे उनका काम और कमाई ठीक से चलती रहे.

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हिंदू युवा वाहिनी की सदस्यता के लिए 40 हजार आवेदन
सत्ता बदलने के साथ लोग मौके का फायदा कैसे उठाना चाहते हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पिछले 1 महीने में सिर्फ आगरा जिले से ही हिंदू युवा वाहिनी के पास सदस्य बनने के लिए 40 हजार लोगों के आवेदन आ चुके हैं. पहले महीने भर में आवेदन करने वाले लोगों की संख्या सात आठ सौ होती थी. हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना खुद योगी आदित्यनाथ ने की थी और फिलहाल नए सदस्यों के इस संस्था में आने पर रोक लगा दी गई है.

विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष को खोज रही है पुलिस
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष सुनील पाराशर मारपीट के मामले में नामजद हैं और पुलिस उन्हें खोज रही है. लेकिन 'आज तक' के साथ खास बातचीत में सुनील पाराशर ने कहा कि पुलिस ने बेकसूर लोगों को बेरहमी से मारा-पीटा है. आगरा की घटना के बाद हम लोगों ने फैसला किया है कि अब वो लोग धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोग अब इस कोशिश में लगे हैं कि आगरा के पुलिस अधिकारियों को तत्काल यहां से हटाया जाए ताकि उनकी इज्जत बच सके. लेकिन फिलहाल पुलिस तबादले का डर छोड़ कर सख्ती से कार्रवाई कर रही है और बचे हुए आरोपियों को खोजने में जुटी है.

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