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'अब से तुम्हारे साथ ही रहेंगे चैन बिहारी'... 5 साल की उम्र में साध्वी बन गई थीं कृष्णाप्रिया, 25 की उम्र में बनवा रही हैं गौशाला

5 साल की कृष्णप्रिया, बिहारीजी की भक्ति में ऐसा रमीं की, उन्होंने सबकुछ छोड़ दिया और साध्वी बन गईं. कृष्णाप्रिया इन दिनों मथुरा में गौशाला का निर्माण करा रही हैं, जहां 1000 गायें रहेंगी.

साध्वी कृष्णाप्रिया साध्वी कृष्णाप्रिया
मदन गोपाल शर्मा
  • मथुरा,
  • 28 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST
  • श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करती हैं कृष्णाप्रिया
  • मथुरा में करा रही हैं गौशाला का निर्माण

उत्तर प्रदेश का वृंदावन... एक ऐसा धाम, जहां कण-कण में श्रीकृष्ण विराजते हैं और यहां जो कोई भी आता है वह श्रीकृष्ण की भक्ति में रम जाता है. 5 साल की कृष्णप्रिया, बिहारीजी की भक्ति में ऐसा रमीं की, उन्होंने सबकुछ छोड़ दिया और साध्वी बन गई थीं. 25 वर्षीय कृष्णाप्रिया इन दिनों मथुरा में गौशाला का निर्माण करा रही हैं, जहां 1000 गायें रहेंगी.

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श्रीकृष्ण की नगरी वृंदावन में जन्मी कृष्णाप्रिया साध्वी क्यों बनीं? इस सवाल का जवाब देते हुए कृष्णाप्रिया ने बताया कि मेरा जन्म 26 जनवरी 1997 को जन्म हुआ, बचपन से ही मुझे घर में भक्ति का माहौल मिला, मां के साथ बिहारीजी के दर्शन के लिए रोजाना जाना होता था, मैं बाल हट में बिहारीजी को भी अपने साथ ले जाने को कहती थी.

कृष्णाप्रिया साध्वी ने आगे बताया, 'उस वक्त मेरी मां मुझसे कहती थीं कि ये चैन बिहारी जी हैं, अबसे ये तुम्हारे साथ ही रहेंगे. तबसे मानो मेरा जीवन में बस चैन बिहारी जी ही रम गया. सोते-उठते-बैठते-खाते मुझे बस वही नजर आते थे. उनको खाना खिलाना, भजन सुनाना, तैयार करने में ही दिन व्यतीत करने लगी थी.'

कृष्णाप्रिया ने 5 साल की उम्र में निम्बार्क सम्प्रदाय के संत श्रीश्री रूपकिशोर दास से गुरु दीक्षा प्राप्त ली और 7 साल की उम्र में कुम्भ मेले में श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करने लगीं. कृष्णाप्रिया पिछले 18 सालों से देश-दुनिया में श्रीमद्भागवत कथा का पाठ कर रही हैं. अभी उन्होंने गौसेवा के लिए अपनी गौशाला की स्थापना का बेड़ा उठाया है.

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गौशाला निर्माण पर साध्वी कृष्णाप्रिया ने बताया, 'मैं एक भागवत कथा के लिए जा रही थी, तभी एक गौमाता को सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल देखा, वह खून से लथपथ थी, मुझे हैरानी उस वक्त हुई जब कोई भी व्यक्ति गौमाता की मदद के लिए आगे नहीं आया, तब मैंने स्वयं ही गौमाता का उपचार कराया और नया जीवन प्रदान किया.'

साध्वी कृष्णाप्रिया ने कहा, 'न जाने कितनी गौमाताओं की ये दुर्दशा होती होगी, कितनी बीमार गौवंश उपचार न मिलने की वजह से मर जाते होंगे. मैंने इनकी रक्षा करने का प्रण लिया और चैन बिहारी गौशाला का निर्माण कराया, जिसमें बीमार व घायल गौमाता का उपचार किया जाता है. वर्तमान में 200 से अधिक गौमाता चैन बिहारी गौशाला में हैं.'

साध्वी कृष्णाप्रिया ने कहा, 'अब 1000 गौमाताओं के निवास हेतु गौशाला का निर्माण कार्य प्रगति पर है. श्रीमद्भागवत कथा से मिलने वाले पैसे को गौसेवा में ही उपयोग करती हूं.' उन्होंने कहा कि गौमाता हमारी संस्कृति का सबसे अमूल्य रत्न हैं, इनकी सेवा करने से भौतिक इच्छाएं पूर्ण होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती हैं.

 

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