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सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के एक भाई ने दूसरे भाई को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रामगाोपाल यादव पर तमाम पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए पार्टी से 6 साल निष्कासित कर दिया है. साथ ही उन्हें पार्टी के सभी पदों से भी हटा दिया गया है.
शिवपाल ने आरोप लगाया है कि प्रोफेसर रामगोपाल यादव हमेशा से पार्टी को कमजोर करने की साजिश में जुटे रहे. शिवपाल की मानें तो रामगोपाल उनके खिलाफ साजिश रचते रहे हैं. रामगोपाल यादव को पार्टी से निष्कासन का ऐलान करते हुए शिवपाल ने कहा कि घोटाले में फंसे बेटे और बहू को बचाने के लिए रामगोपाल ने बीजेपी से हाथ मिला लिया.
कैबिनेट से बर्खास्त किए गए शिवपाल यादव ने सीधे तौर पर रामगोपाल यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई से बचने के लिए रामगोपाल ने बीजेपी से हाथ मिलाया है. मुख्यमंत्री को समझना चाहिए था, वह समझ ही नहीं रहे.
अपनी बर्खास्तगी पर शिवपाल ने कहा कि बर्खास्तगी की चिंता नहीं है, हम चुनाव में जाएंगे. पिछला चुनाव नेताजी के नाम पर लड़ा था, इस बार भी उनके नेतृत्व में चुनाव में जाएंगे और जीतेंगे. उन्होंने कहा कि नेताजी ने मेहनत से पार्टी खड़ी की है. बहुत दिनों से पार्टी को कमजोर करने का षड्यंत्र चल रहा था.
'मंत्रियों को हटाना सीएम का अधिकार'
शिवपाल की बर्खास्तगी को कैबिनेट मंत्री आजम खां ने मुख्यमंत्री का अधिकार बताते हुए कहा है कि यह उनका अधिकार है वह किसे रखेंगे और किसे नहीं उनकी पसंद और नपसंदगी का सवाल नहीं है. पार्टी में कलह की वजह अमर सिंह को बिना उनका नाम लिए बताया कि ऐसा दुखद दिन एक दिन जरूर आएगा, मैंने यह हमेशा महसूस किया है. समझदार और पार्टी के दूरदर्शी लोगों को भी इसका एहसास था.
आजम खां ने कहा कि पार्टी में कलह काफी दुखद है और इसे हम बहुत पहले से ही महसूस कर रहे थे. पार्टी में उठा पटक के बारे में कहा कि अभी नुकसान और फायदा कहना काफी जल्दबाजी होगी. उन्होंने अमर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि एक शख्स से नुकसान बहुत हुआ है. बंटवारे की तरफ कोई नीयत नहीं है. आजम ने कहा कि पार्टी में सिर्फ वैचारिक मतभेद है जो बहुत पहले समझ लिया गया था, लेकिन पार्टी को इससे कोई नुकसान या फायदा या विघटना कुछ भी नहीं हुआ है.
पार्टी दफ्तर में शिवपाल सर्मथकों ने उनके सर्मथन में नारेबाजी की.
रामगोपाल ने फोड़ा 'चिट्ठी बम'
इससे पहले रविवार को ही रामगोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर निशाना साधा था. चिट्ठी में लिखा था कि सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साजिश है. कार्यकर्ता अखिलेश के साथ जुटें. अखिलेश विरोधी विधानसभा नहीं पहुंच पाएंगे. रामगोपाल ने साथ ही लिखा है कि अखिलेश की यात्रा विरोधियों के गले की फांस बन गई है. मध्यस्थता करने वाले दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. जहां अखिलेश हैं, जीत वहीं है.
रामगोपाल की चिट्ठी की अहम बातें
रामगोपाल यादव ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि राज्य में समाजवादियों की सरकार बने जबकि वो यानि (शिवपाल और उनके समर्थक) चाहते हैं कि हर हाल में अखिलेश चुनाव हारें. हमारी सोच पॉजिटिव है, जबकि उनकी सोच नेगेटिव है. रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश के साथ वो लोग हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है, अपमान सहा है, जबकि उधर के लोग वो हैं, जिन्होने हजारों रुपया कमाया है, व्यभिचार किया है और सत्ता का दुरूपयोग किया है.