
उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद बहुत कुछ बदला नजर आ रहा है. अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई का असर इटावा लायन सफारी के शेरों पर भी देखा जा रहा है. शेरों को उनके मुताबिक गोश्त नहीं मिल पा रहा. उन्हें जिंदा रखने के लिए बकरे का गोश्त दिया जा रहा है.
गोश्त सप्लॉयर ने बताई अपनी परेशानी
गोश्त सप्लाई करने वाले ठेकेदार हाजी निजाम का कहना है कि अभी तक शेरों के लिए पड्डे (भैंस) का गोश्त उपलब्ध कराया जाता था. लेकिन वो गोश्त नहीं
मिल पाने की वजह से शेरों के लिए हर दिन 50 किलो बकरे का गोश्त भेजा जा रहा है. ठेकेदार के मुताबिक इससे उन्हें बहुत घाटा हो रहा है, लेकिन शेर
भूखे ना मरे, इसलिए वो बकरे का गोश्त उपलब्ध करा रहे हैं. हाजी निजाम ये भी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि कितने दिन वो ऐसा कर पाएंगे. ठेकेदार ने
राज्य सरकार से अपील में कहा कि इस तरफ तत्काल ध्यान दे और कम से कम लायन सफारी में शेरों की खातिर पड्डे का गोश्त उपलब्ध कराने की
इजाजत दे दी जाए.
अब भी अखिलेश का सीएम के तौर पर बोर्ड लगा
'आज तक' रियलिटी चेक के लिए इटावा लायन सफारी पहुंचा तो वहां अब भी एक ऐसा बोर्ड लगा दिखाई दिया जिस पर लिखा था कि 'बब्बर शेर प्रजनन केंद्र
एवं लायन सफारी इटावा में माननीय अखिलेश यादव जी, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार' का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है'. लखनऊ में बेशक सत्ता बदल
चुकी है लेकिन लगता है कि अधिकारियों की नजर अभी तक इस बोर्ड पर नहीं पड़ी है.
लायन सफारी में 3 जोड़े शेर-शेरनी, दो शावक
बता दें कि इटावा मुलायम सिंह यादव परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. इटावा को टूरिस्ट मैप पर जगह देने के लिए ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने
यहां लायन सफारी का ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया. इस समय सफारी में तीन जोड़े शेर-शेरनी हैं. हाल ही मे शेरनी जेसिका ने दो शावकों- सुल्तान और संभा को
भी जन्म दिया.
लायन सफारी रहा है अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट
इटावा सफारी पार्क में शेरों के अलावा डियर सफारी में तीन दर्जन से ज्यादा हिरन मौजूद हैं. अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल के दौरान यहां भालुओं और
तेंदुओं को भी लाने की योजना बनाई गई थी. यहां कुल चार सफारियां बनाई जानी थीं इनमें से डियर सफारी का उद्घाटन अखिलेश यादव ने 6 अक्टूबर
2016 को किया था. चुनाव आचार संहिता लगने से पहले यहां रेस्टोरेंट, 4D थिएटर का काम पूरा नहीं हो जाने की वजह से टाल दिया गया था.
वैसे समाजवादी पार्टी की सरकार ने इटावा सफारी का कामकाज चलता रहे इसके लिए 100 करोड़ का फिक्सड डिपॉजिट कर दिया था. ताकि ब्याज से ही खर्चे पूरे किए जाते रहें. इसके अलावा सफारी में आने वाले लोगों से टिकट के जरिए भी रकम जुटाने का प्रावधान था. इटावा सफारी पार्क की व्यवस्था को देखने के लिए एक कमेटी है, जिसके पदेन अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री हैं. इसके अलावा प्रदेश के वन सचिव समेत कई अधिकारी भी इस कमेटी में शामिल है. इटावा सफारी पार्क का क्या भविष्य होगा ये तो अब लखनऊ से नई सरकार के निर्देशों पर ही निर्भर करेगा. लेकिन यहां के शेर तो नहीं जानते कि लखनऊ की सियासी फिजा बदलने से उनके खाने पर ही बन आएगी. देखना है कि कब शेरों को उनके मुताबिक गोश्त का इंतजाम फिर शुरू हो पाता है.