
यूपी में सूखा पीड़ित किसान लंबे अरसे से मुआवजे की आस में जी रहे हैं. आगे विधानसभा चुनाव हैं, लिहाजा सरकार से लेकर विपक्ष तक कमोबेश हर कोई किसानों की सुध ले भी रहा है, लेकिन राहत के नाम पर प्रशासनिक महकमे का भद्दा मजाक तब सामने आया, जब मृतक के नाम पर मुआवजे का चेक जारी किया गया.
मामला कुशीनगर का है, जहां किसानों को लंबे अरसे से उनकी बर्बाद हुई फसल के मुआवजे का इंतजार था. लेकिन यहां लेखपाल के द्वारा मृतक के नाम पर मुआवजे का चेक बनाकर जारी कर दिया गया है. ऐसे में अब मृतकों के उनके वारिस पटवारी और तहसील के चक्कर काट रहे हैं. बताया जाता है कि ऐसा पटवारी के द्वारा समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं करने के कारण हुआ है.
दूसरी ओर, इस मामले पर अपर जिलाधिकारी ने जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई का भरोषा दिया है. जबकि सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इतनी बड़ी गलती हुई कैसे, क्योंकि जिस लेखपाल ने खतौनी में मृतक का नाम बदला, उसी ने यह सारा कारनामा किया है. बता दें कि इलाके के कई दर्जन मृतक किसानों के नाम से मुआवजे के 1500 रुपये का चेक जारी कर उनके परिजनों को थमा दिया गया है.
नौ महीने बाद मुआवजा
कुशीनगर जनपद के तमकुही तहसील के बिहार बुजुर्ग गांव में ओला बृष्टि से फसल बर्बाद होने के बाद किसान मुआवजे कि आस लगाए बैठे थे. नौ महीने बाद मुआवजा मिलने का समय आया है. ग्राम प्रधान के प्रयास से पता चला कि इस गांव के 62 किसानों को उनके मृतक बाप-दादा के नाम से चेक जारी हो गया है.
प्रधान सत्येन्द्र मिश्रा ने इस लापरवाही के लिए लेखपाल को जिम्मेदार माना है. उन्होंने कहा, 'जब गेंहू की फसल नष्ट हुई तो उसके लिए 1500 से 3000 रुपये का चेक बना. लेकिन अब किसान चेक लेने के बाद भी परेशान हैं. जिन लोगों के नाम चेक जारी हुए हैं, उनमें से 60 से अधिक लोगों को मरे हुए 2-4 साल का समय हो गया है.'