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यूपी में इफ्तार की सियासत करेंगे गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद के ही निर्देश पर 1 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस की तरफ से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है. प्रदेश के तमाम दिग्गजों को न्योता भी भेजा गया है.

कुमार विक्रांत/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2016,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST

सोनिया-राहुल ने भले ही दिल्ली में हर साल दी जाने वाली इफ्तार पार्टी को रद्द कर सिर्फ गरीबों को राशन बांटने का कार्यक्रम रखा हो, लेकिन यूपी कांग्रेस के नए प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने अल्पसंख्यक मतदाताओं के मद्देनजर इफ्तार पार्टियों में शामिल होने का फैसला किया है. 30 जून से 8 जुलाई तक आजाद पूरे प्रदेश में तमाम इफ्तार की दावतों में शरीक होंगे.

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जब प्रदेश प्रभारी इफ्तार में होंगे तो आस-पास के इलाकों के कांग्रेसी दिग्गजों का होना लाजि‍मी ही है. आजाद 30 जून से दिल्ली से निकालकर हापुड़ से इसकी शुरुआत करेंगे. हालांकि इस पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने आजतक से कहा कि यूपी गंगा जमुनी तहजीब की जगह है, वहां हम इफ्तार ही नहीं, होली, दि‍वाली और सभी धर्मों के त्यौहार प्यार से मनाते हैं. तरीका कोई भी अपनाया जाए इफ्तार हो या गरीबों को राशन बांटना हो.

लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस देगी इफ्तार पार्टी
आजाद के ही निर्देश पर 1 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस की तरफ से इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है. प्रदेश के तमाम दिग्गजों को न्योता भी भेजा गया है. आजाद इस इफ्तार पार्टी के जरिए पूरे प्रदेश में संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस ही अल्पसंख्यकों की हितैषी है. पार्टी इसके जरिए कांग्रेस से दूर गए आरिफ मोहम्मद खान सरीखे कई नेताओं को बुलाकर अल्पसंख्यक के बीच अपनी पैठ बढाने की कोशिश भी करेगी. माना जा रहा है कि इसके जरिए कांग्रेस प्रदेश में दूसरी पार्टियों से नाराज चल रहे तमाम जिलों के बड़े नेताओं को भी अपनी तरफ खींचने की कोशिश भी करेगी.

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आजाद ने रमजान के चलते रद्द की तमाम यात्राएं
सियासत के पुराने खिलाड़ी आजाद ने प्रदेश कांग्रेस को ये भी निर्देश दिया है कि 8 जुलाई तक रमजान के चलते पहले से तय तमाम चुनावी परिवर्तन यात्राओं को रद्द किया जाए. ये यात्राएं ब्लॉक, जिला, मंडल स्तर की होनी थीं, जिनका समापन लखनऊ में बड़ी रैली करके होना है. लेकिन आजाद का कहना है कि रमजान के वक्त अल्पसंख्यक तबके के लिए यात्राओं में शामिल होना काफी मुश्किल होता है और एक बड़े तबके को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते. आजाद ने कहा कि एक चौथाई आबादी का पूरा साथ लिए बिना यूपी में कांग्रेस भला कोई सियासी कार्यक्रम कैसे कर सकती है.

क्या चाहते हैं आजाद?
दरअसल, यूपी की सियासी रणनीति के मुताबिक, कांग्रेस ब्राह्मण और राजपूत के साथ अल्पसंख्यक वोटों पर सियासी दांव खेलने की तैयारी में है. आने वाले वक्त में वो ब्राह्मणों और राजपूतों को आगे करके सियासत करती दिखेगी, साथ की कुर्मी और दलित वर्ग से पासी समुदाय को भी साथ जोड़ने की कोशिश करेगी. कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि इन सबके जुड़ने के बाद वो बीजेपी को रोक पाएंगे तो अल्पसंख्यक वर्ग उनकी सियासी नैय्या पार लगाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. ऐसे में अल्पसंख्यकों तरजीह देना बीजेपी का हथियार बन सकता है, लेकिन रमजान के महीने में इफ्तार के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले आजाद की अगुवाई में कांग्रेस अल्पसंख्यकों को अपने पाले में लाने की जोर आजमाइश कर रही है. आखिर आजाद इस बात का खास ख्याल रखना चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों से नाता बहुसंख्यकों की सियासी कीमत पर ना हो, इसीलिए टाइमिंग का खास ख्याल रखा जा रहा है.

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कुल मिलाकर सियासी सपने देखने में कोई हर्ज नहीं होता, असल बात तो उसको हकीकत में बदलने की होती है. लेकिन यूपी में सपा-बसपा के रहते कांग्रेस का अपनी रणनीति को अंजाम दे पाना आसान नहीं है, लेकिन कांग्रेस की कोश‍िश 2009 लोकसभा चुनाव वाली सफलता को वो दोहराने की है.

 

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