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PM मोदी के बनारस में 2021 तक तैयार होगा काशी विश्‍वनाथ धाम कॉरिडोर

जानकारी के मुताबिक 2021 तक चुनार के गुलाबी पत्थर मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों से बना यह विशेष रूप से ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर तैयार हो जाएगा.

काशी विश्वनाथ मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी (ANI) काशी विश्वनाथ मंदिर में पीएम नरेंद्र मोदी (ANI)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 08 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

  • 2021 तक काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर तैयार हो जाएगा
  • 400 मीटर क्षेत्र में करीब 50 हजार वर्ग मीटर में बनेगा कॉरिडोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विश्वनाथ धाम कॉरिडोर प्रोजेक्ट के बनने की समय सीमा तय हो गई है. जानकारी के मुताबिक 2021 तक चुनार के गुलाबी पत्थर मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों से बना यह विशेष रूप से ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर तैयार हो जाएगा.

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बनारस के विश्वनाथ मंदिर से गंगा तट तक 400 मीटर क्षेत्र में करीब 50 हजार वर्ग मीटर में बनने वाले विश्वनाथ कॉरिडोर का 460 करोड़ रुपये का बजट शासन ने स्वीकृत कर दिया है. इसमें दीपावली तक टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी और नवंबर तक निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

18 महीने में पूरा हो जाएगा काम

सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट को 18 महीने में पूरा किया जाएगा, जिसका निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश सरकार का लोक निर्माण विभाग कराएगा. इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च को किया था जिसके तहत एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर पर क्षेत्र को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था और आसपास के भवनों को अधिग्रहित किया गया था.

इस पूरे प्रोजेक्ट में 30 फीसदी क्षेत्र खुला और हरियाली वाला होगा जिसमें तरह-तरह के पेड़ पौधे और वातावरण को शुद्ध करने वाली व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा इस कॉरिडोर में कल्चरल सेंटर, टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, सिटी म्यूजियम, विश्रमालय, वेदिक केंद्र, गौशाला, मोक्ष-भवन, दर्शन-आरती सुविधा केंद्र, प्रशासनिक भवन, पुजारी विश्राम कक्ष, म्यूजिक सिस्टम से शिव को समर्पित भजनों का प्रसारण करने की व्यवस्था आदि होंगे.

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250 सालों में पहली बार जीर्णोद्धार

पिछले ढाई सौ सालों में पहली बार है जब काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार होने जा रहा है. इससे पहले के लेखों के मुताबिक, इस मंदिर के जीर्णोद्धार का रिकॉर्ड कहीं नहीं मिलता है.

इस मंदिर का निर्माण 1780 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था और धीरे-धीरे इसके आसपास लोगों ने अपने आवास बना लिए. जिसकी वजह से यह मंदिर परिसर आसपास आवासीय भवनों से पूरी तरह से घिर गया था. लेकिन अब इस कॉरिडोर के बनने और सौंदर्यीकरण के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर का इलाका पूरी तरह से भव्य दिखने लगेगा और अपने पुराने वैभव को पा लेगा.

प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग के लिए ऑनलाइन सिस्टम

उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में चल रहे तमाम प्रोजेक्ट्स पर नजर रखने के लिए और भ्रष्टाचार रोकने के लिए ऑनलाइन सिस्टम शुरू करने जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार एक पोर्टल बना रही है. इस पोर्टल के जरिए प्रदेश के हर जिले में चल रहे प्रोजेक्ट की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा सकेगी. इस पोर्टल पर प्रदेश सरकार के 86 विभागों का डाटा एक साथ उपलब्ध होगा.

सभी विभागों को अपने प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग इस पोर्टल पर अपलोड करनी ही होगा जो कि रिमोट सेंसिंग विभाग के जरिए किया जाएगा. रिमोट सेंसिंग विभाग इन योजनाओं के वास्तविक जानकारियों को पोर्टल पर अपलोड करेगा, जिसे कोई भी देख सकेगा. बताया यह जा रहा है इस पोर्टल के जरिए सभी विभागों के विकास कार्यों की वास्तविक जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं भी करेंगे.

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तीन स्तर पर होगी मॉनिटरिंग

इस पोर्टल पर तीन स्तर की मॉनिटरिंग होगी पहले स्तर पर मुख्यमंत्री किसी भी विभाग के पोर्टल को खोल सकेंगे और विभाग के कार्यों की पूरी जानकारी किसी भी वक्त ले सकेंगे, दूसरे स्तर पर विभाग के कर्मचारियों का, जिसमें विभाग के कर्मचारी होंगे वह अपने विभाग के सभी प्रोजेक्ट को देख सकेंगे और उनकी मॉनिटरिंग भी कर सकेंगे. तीसरे स्तर पर जनता का एक्सेस होगा इसमें जनता अपने क्षेत्र में चल रही योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगी.

इस पोर्टल को नीति आयोग के निर्देश पर तैयार किया जा रहा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के बीच अनुबंध भी किया गया है. जानकारी के मुताबिक रियल टाइम मॉनिटरिंग की व्यवस्था के पीछे सरकार की मंशा यह है कि परियोजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार और देवी को रोका जा सके जिससे कि प्रोजेक्ट की कॉस्ट भी न बढ़े.

इस वक्त प्रदेश में कई ऐसी योजनाएं चल रही हैं जो पिछले एक दशक से भी ज़्यादा समय से लंबित हैं लेकिन इनकी जानकारी विभाग समेत मुख्यमंत्री को नहीं मिल पाती लेकिन पोर्टल पर अपलोड होने के बाद अब ऐसा कर पाना नामुमकिन होगा.

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