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उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति ने पूर्व नेता विपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता समाप्त करने की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की याचिका को निरस्त कर दिया है.
विधान परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सभापति रमेश यादव ने सिद्दीकी की सदस्यता खत्म करने की बसपा की याचिका को निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाया और खारिज कर दिया. यानी बसपा से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी अभी भी विधान परिषद के सदस्य बने रहेंगे.
पार्टी के नाम पर पैसा जुटाने का आरोप लगाते हुए बसपा ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को इसी साल मई में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. विधान परिषद में बसपा के नेता सुनील कुमार चित्तौड़ ने गत 29 जून को उनकी विधान परिषद सदस्यता 27 मई से समाप्त करने की याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि चूंकि सिद्दीकी बसपा से निष्कासित किए जा चुके हैं, लिहाजा उनकी विधान परिषद सदस्यता खत्म की जानी चाहिए. हालांकि, बहुजन समाज पार्टी की तरफ से अभी तक इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
सिद्दीकी ने लगाए थे गंभीर आरोप
पार्टी से निष्कासित होने के बाद सिद्दीकी ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर गंभीर आरोप लगाए थे. वहीं मायावती ने उन्हें टेपिंग ब्लैकमेलर कहा था. जिसके बाद नसीमुददीन ने आरोप लगाया था, 'यह ब्लैकमेलिंग और टेपिंग का काम हमने आपसे (मायावती) ही सीखा है क्योंकि आप पार्टी के नेताओं से लेकर अधिकारियों तक को ब्लैकमेल करती थी. मैंने यह टैपिंग अपने और अपने परिवार को बचाने के लिए की थी. बसपा से निष्कासित होने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कोई नई पार्टी ज्वाइन नहीं की है.