
नोएडा में 9 नवंबर को सनबर्न फेस्टीवल में डीजे बजाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि लाउड म्यूजिक बूढ़े लोगों के कानों के लिए अच्छा नहीं है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में शाम 5 से 10 बजे तक डीजे बजाने पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक उनकी याचिका पर 4 नवंबर को सुनवाई हो सकती है, हम जल्द सुनवाई की मांग कर रहे हैं.
क्या था मामला?
गौरतलब है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था. डीजे बजाने की अनुमति देने पर हाई कोर्ट ने पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी. आदेश का उल्लंघन करने वालों को 5 साल की जेल और एक लाख का जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर डीजे बजाने की शिकायत मिलती है तो उस एरिया के थाना इंचार्ज की जवाबदेही होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने हासिमपुर प्रयागराज निवासी सुशील चंद्र श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर दिया था.
ध्वनि प्रदूषण पर HC ने जताई थी चिंता
कोर्ट ने कहा था कि बच्चों, बुजुर्गों व हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के साथ मानव स्वास्थ्य के लिए ध्वनि प्रदूषण खतरनाक है. कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का उल्लंघन नागरिकों के मूल अधिकारों का भी उल्लंघन है. कोर्ट ने सभी डीएम को टीम बनाकर ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने और दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
क्या है सजा?
कोर्ट ने कहा था कि सभी धार्मिक त्योहारों से पहले डीएम व एसएसपी बैठक कर कानून का पालन सुनिश्चित कराएं. इसका उल्लंघन करने वालों को 5 साल तक की कैद व एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत अपराध की एफआईआर दर्ज की जाए.
याचिकाकर्ता का कहना था कि जिला प्रशासन ने हाशिमपुर रोड पर एलसीडी लगाया है जो सुबह 4 बजे से आधी रात तक बजता रहता है. मेरी मां 85 वर्ष की बुजुर्ग हैं. आसपास कई अस्पताल हैं. शोर से लोगों और मरीजों को परेशानी हो रही है . अधिकारी ध्वनि प्रदूषण रोकने में नाकाम हैं. याचिका में ध्वनि प्रदूषण कानून का सख्ती से पालन करने की मांग की गई थी.