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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, विधायक हवा का रूख भांपते हुए अपना फायदा-नुकसान देखकर पाला बदलने में लग गए हैं. गुरुवार को कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी को छोड़कर छह विधायकों ने बीजेपी का भगवा धारण कर लिया. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि ये तो बस शुरुआत है, जल्द ही और भी विधायक बीजेपी में शामिल होंगे.
गुरुवार को बीजेपी में शामिल होने वाले छह विधायकों में तीन कांग्रेस, दो बीएसपी और एक समाजवादी पार्टी के हैं. कांग्रेस छोड़ने वालों में कुशीनगर के विधायक विजय दूबे, बस्ती के विधायक संजय जयसवाल और बहराइच की विधायक माधुरी वर्मा हैं.
जिन दो विधायकों ने मायावती की बीएसपी को छोड़कर बीजेपी का कमल हाथ में उठा लिया, वो हैं गोरखपुर के विधायक राजेश त्रिपाठी और लखीमपुर के विधायक बाला प्रसाद अवस्थी.
पीएम मोदी पर भरोसा, मायावती पर आरोप
समाजवादी पार्टी को छोड़ने वाले शेर बहादुर अंबेडकरनगर से विधायक हैं. इन सभी लोगों ने बीजेपी में शामिल होने के बाद ऐलान किया कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में भरोसा है और वो मानते हैं कि अब सिर्फ बीजेपी ही उत्तर प्रदेश का भला कर सकती है. बीएसपी को छोड़ने वाले विधायकों ने एक बार फिर मायावती पर टिकट के बदले पैसे वसूलने का आरोप जड़ा.
माया के दलित-मुस्लिम गठजोड़ को झटका
इससे पहले बुधवार को ही चार विधायकों ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को छोड़कर बीएसपी में शामिल होने का ऐलान किया था. खास बात ये है कि मायावती इस बार यूपी जीतने के लिए दलित और मुस्लिम गठजोड़ पर दांव लगा रही हैं और बुधवार को बीएसपी में शामिल होने वाले चारों विधायक मुस्लिम थे. कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में शामिल होने वाले मोहम्मद मुस्लिम तो अमेठी से विधायक हैं जो राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र है. नवाब काजिम अली और दिलनवाज खान भी कांग्रेस छोड़कर बीएसपी में शामिल हुए जबकि नवाजिश अली खान ने समाजवादी पार्टी की साइकिल से उतर कर मायावती के हाथी पर बैठने का फैसला किया.
छह में से तीन विधायक ब्राह्मण
बीजेपी इस बार सवर्णों को साथ जोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और गुरुवार को बीजेपी में शामिल होने वाले छह विधायकों में से तीन ब्राह्मण हैं.
टिकट की उम्मीद नहीं, इसलिए...
हर पार्टी, दल बदलू विधायकों को शामिल कराने के बाद ये दावा कर रही है कि अब यूपी में बस उसी ही हवा चल रही है. लेकिन सच्चाई ये है कि चुनाव के ठीक वही विधायक दलबदल कर रहे हैं जिन्हें या अपनी पार्टी में टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है, या तो वो किनारे कर दिए गए हैं या फिर एमएलसी के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने की वजह से उनपर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है और वो बागी घोषित हो चुके हैं.