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UP: स्कूली बच्चों को स्वेटर बांटने में हुआ घोटाला, कंपनी के मालिक पर FIR

स्वेटर सप्लाई करने वाली कंपनी और उसके मालिक पर मुकदमा दर्ज किया गया है. लखनऊ में 1900 प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूलों में 1,86,040 स्वेटर मुफ्त बांटने के लिए कंपनी ने टेंडर लिया था. जिसमें 44,649 स्वेटर ही बांटे गए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 12 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

  • डेडलाइन 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 30 नवंबर की गई थी
  • डेडलाइन बीतने के बाद भी बच्चों को नहीं मिले स्वेटर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को स्वेटर बांटने में हुए घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई है. स्वेटर सप्लाई करने वाली कंपनी और उसके मालिक पर मुकदमा दर्ज किया गया है. दरअसल, लखनऊ में 1900 प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूलों में 1,86,040 स्वेटर मुफ्त बांटने के लिए कंपनी ने टेंडर लिया था. जिसमें 1,86,040 की जगह 44,649 स्वेटर ही बांटे गए.

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बता दें, सरकारी स्कूलों में बच्चों को स्वेटर बांटने की दूसरी डेडलाइन खत्म होने के बावजूद सभी बच्चों को स्वेटर नहीं मिल पाया है. यूपी सरकार ने स्कूलों में 31 अक्टूबर तक सरकारी प्राइमरी स्कूलों में स्वेटर बांटने की समय सीमा तय की थी, जिसे बढ़ाकर 30 नवंबर किया गया था लेकिन डेडलाइन बीत चुकी है. कई बच्चों को अब भी स्वेटर नहीं मिला है.

शासनादेश के अनुसार, स्वेटर का अधिकतम मूल्य 200 रखा गया है, जिसमें 75 प्रतिशत भुगतान तत्काल और 25 प्रतिशत भुगतान सप्लायर की ओर से उपलब्ध कराए गए सैंपल के मिलान के बाद देय होगा. आदेश में इससे अधिक मूल्य रखने पर मनाही है. इसके वितरण की पूरी जिम्मेदारी बीएसए की होगी. सरकार ने स्वेटर की क्वालिटी खराब होने या छात्रों की संख्या में फर्जीवाड़ा पाए जाने पर समिति के अध्यक्ष और प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. शासनादेश में यह भी कहा गया कि वसूली की कार्रवाई करते हुए विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी.

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बता दें पिछले साल राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्वेटर बांटने में देरी हो गई थी, जिस कारण प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की किरकिरी हुई थी. इस बार भी स्वेटर बांटने में लचर प्रक्रिया सामने आई है. मई 2017 में प्रदेश में योगी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनी थी. उस दौरान राज्य सरकार ने टेंडर पहले ही दे दिए थे लेकिन टेंडर में गड़बड़ी होने के कारण इन्हें निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद स्कूलों में स्वेटर पहुंचने में समय लग गया था और विपक्ष ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी.(IANS से इनपुट)

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