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समाजवादी पेंशन योजना, यश भारती सम्मान योजना, कन्या विद्याधन, लैपटॉप-टैबलेट योजना और साइकिल ट्रैक योगी सरकार के एजेंडे से बाहर हो चुका है.
बजट के पहले ही योगी सरकार ने कई मौकों पर यह साफ कर दिया था कि अखिलेश सरकार के कई ड्रीम प्रोजेक्ट और फ्लैगशिप योजनाएं उनकी सरकार के लिए बोझ हैं, इसलिए ऐसी योजनाएं या तो बंद होगी या फिर बदल दी जाएंगी.
अखिलेश की इन योजनाओं पर चली कैंची...
समाजवादी पेंशन योजना और यश भारती सम्मान को योगी सरकार ने आते ही बंद कर दिया था. लैपटॉप वितरण योजना में सरकार ने कोई फंड नहीं दिया है, जबकि अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट साइकिल ट्रैक को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर तोड़ने की वकालत भी की जा रही है.
समाजवादी पेंशन योजना और यश भारती सम्मान सीधे तौर पर बंद कर दिए गए हैं. समाजवादी पेंशन योजना की जगह सरकार ने वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, और दिव्यांग पेंशन में बढ़ोतरी की है, लेकिन यश भारती सम्मान को सीधे तौर पर बंद कर दिया गया है. अखिलेश सरकार इसके लाभार्थियों को हर महीने ₹50 हजार रुपये पेंशन देती थी. योगी सरकार ने अपने बजट में कन्या विद्याधन, लैपटॉप-टैबलेट योजना, समाजवादी स्वास्थ्य बीमा योजना और साइकिल ट्रैक के मद में एक पैसा भी नहीं डाला है. साफ है कि बिना नाम लिए इन योजनाओं पर सरकार ने अपने कैंची चला दी है.
मायावती की इन योजनाओं सरकार ने की नजरें टेढ़ी...
अपने बजट में योगी सरकार ने मायावती के बनाए कई अतिथिगृह, बौद्ध विहार और ग्रीन गार्डन के रख-रखाव के लिए मिलने वाले भी फंड पर कैची चला दी है. रमाबाई अंबेडकर अतिथिगृह, बौध विहार शांति उपवन, कांशीराम इको ग्रीन गार्डन के अतिथिगृहों के रख-रखाव इत्यादि के लिए भी इस बजट मे कुछ नहीं मिला है.
साफ है कि योगी सरकार अपने ड्रीम बजट को इन दोनों नेताओं के छाए से भी दूर रखना चाहती है और इनमें से कई योजनाओं की रीपैकेजिंग कर दूसरे नामों से जनता के सामने ला रही है. फिजूलखर्ची रोकना इस सरकार का मूल मंत्र है और इन तमाम योजनाओं को रोकने और बंद करने को फिजूलखर्ची रोकने का ही नाम दिया जा रहा है. साफ है योगी अपने बजट को अपने छवि के इर्दगिर्द ही रखना चाहते हैं.