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निकाय चुनाव पर चुनाव आयोग और उत्तराखंड सरकार आमने-सामने

निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन ने कहा कि सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बार-बार मिलने का समय मांगा. लगातार समय मांगने के बावजूद समय नहीं मिला. इसके साथ ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी बयान दे रहे हैं कि चुनाव समय पर होंगे. सवाल ये है कि चुनाव समय पर कैसे होंगे जब सरकार की तैयारी पूरी नहीं है.

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत
अजीत तिवारी
  • देहरादून,
  • 04 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:56 PM IST

समय पर चुनाव कराने के मामले में उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन ने कहा कि निकाय चुनाव के लिए सरकार सहयोग नहीं कर रही है.

सुवर्धन ने कहा कि सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बार-बार मिलने का समय मांगा. लगातार समय मांगने के बावजूद समय नहीं मिला. इसके साथ ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी बयान दे रहे हैं कि चुनाव समय पर होंगे. सवाल ये है कि चुनाव समय पर कैसे होंगे जब सरकार की तैयारी पूरी नहीं है.

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राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलने पर मजबूरी में आयोग को हाईकोर्ट जाना पड़ा है. ईवीएम और वीवीपैट से चुनाव कराने के मामले में भी सुवर्धन ने सरकार पर सहयोग न देने का आरोप लगाया. सुवर्धन ने कहा कि आयोग ईवीएम से चुनाव कराना चाहता था. 17 करोड़ का बजट भी मांगा लेकिन अभी तक सरकार ने 17 रुपए भी नहीं दिए हैं. आयोग ने वोटर लिस्ट पर तेजी से काम शुरू किया. बाजवूद इसके कि सरकार सहयोग करती, सरकार ने सीमा विस्तार काम काम शुरू कर आयोग को उल्टे ही परेशान किया.

कांग्रेस लगातार सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती आ रही है, तो वहीं अब सरकार की कार्य प्रणाली पर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी सवालों की झड़ी लगा दी है. राज्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रेस वार्ता कर निकाय चुनाव को समय पर पूरा न कर पाने पर सरकार की लापरवाही की बात कही है. यह भी कहा कि सरकार ने जानबूझकर नगर निकायों का सीमा विस्तार और परिसीमन किया है.

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साथ ही आयुक्त ने यहां तक कहा कि राज्य सरकार आयोग के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है. जिसके कारण निकाय चुनावों पर अब स्थिति केवल हाईकोर्ट साफ करेगा और यह भी बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से बीते एक वर्ष से निर्वाचन आयुक्त ने मिलने का समय मांग रहे हैं, इसके बाद भी अब तक मिलने का समय नहीं दे पाए हैं. जबकि वोटर लिस्ट बनने के बाद भी सरकार सीमा विस्तार करने का काम कर रही है.

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने निर्वाचन आयुक्त के आरोपों को उचित ना मानते हुए कहा कि निर्वाचन आयुक्त हमें लिख कर दे कि हम हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानते. क्या निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के फैसले को किनारे रखते हुए चुनाव करवा सकता है?

साथ ही ये भी कहा कि सरकार हाईकोर्ट के निर्देश अनुसार बीते 20 दिनों से 24 निकायों को चुनाव के लिये तैयार कर रही थी और हमारे 24 के 24 निकाय आज बैठक में मौजूद हैं. सरकार पूरी तरह से निकाय चुनाव के लिये तैयार है.

मामला चाहे किसी भी वजह से अधर में हो, पर ये बात साफ है कि सरकार और चुनाव आयोग का यूं आमने-सामने आ जाना, कहीं न कहीं मुश्किल जरूर खड़ी कर सकता है. जिसका फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ने पूरी तरह से कमर कस ली है. इसी मामले को आधार बनाकर कांग्रेस अभी से ही 2019 के चुनाव की भूमिका बनाने में लग गयी है और भाजपा बैकफुट पर जाती दिख रही है.

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