
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर को हरिद्वार स्थित आश्रम को सौंपने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दिया. इससे पहले दिन में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश स्थित एम्स को निर्देश दिया था कि वो स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का पार्थिव शरीर उनके आश्रम मातृ सदन को सौंप दे.
बता दें कि स्वामी सानंद उर्फ जीडी अग्रवाल का निधन ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 11 अक्टूबर को हुआ था. वो गंगा की अविरल धारा और उसकी स्वच्छता को लेकर 111 दिन से अनशन पर थे. अग्रवाल के आध्यात्मिक गुरू स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उनके पार्थिव शरीर पर दावा किया है, जबकि सरकारी अस्पताल का कहना है कि उन्होंने अपने अंग मेडिकल रिसर्च के लिए संस्थान को दान में दिए हैं.
प्रधान न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की पीठ ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के फैसले को लागू किया गया, तो ऐसे में मृतक के अंग प्रतिरोपण के लायक नहीं रह जाएंगे. पीठ ने कहा कि उक्त बात को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के 26 अक्टूबर 2018 के फैसले पर अगले आदेश तक स्थगन लगाना उचित है.
आपको बता दें कि अदालत में एक जनहित याचिका दायर कर अनुरोध किया गया था कि आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का पार्थिव अंतिम संस्कार के लिए उनके अनुयायियों को सौंप दिया जाए. बता दें कि पानी बाबा राजेंद्र सिंह गंगा सद्भावना यात्रा लेकर वहां पहुंचे हैं.
वहीं, आजतक से बातचीत में एम्स प्रशासन ने कहा कि अभी उनको ऐसा कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और जैसे ही उनको आदेश की कॉपी मिलती है, वो कोर्ट के फैसले का पालन करेगा. हालांकि उनका ये भी कहना है कि इतने घंटे उनके शरीर को बाहर रखने से वो खराब हो सकता है और ऐसे में 72 घंटे तक शरीर को बाहर रखने के बाद वापस अस्पताल में रखना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वो शरीर उनके किसी काम का नहीं रह जाएगा.