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उत्तराखंड: बीजेपी के दलित भोज में पहुंचे CM रावत, रोटियों की हुई जांच

बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर की जयंती से ठीक एक दिन पहले बीजेपी ने इस भोज का आयोजन किया. इसमें उन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग को संदेश देने की कोशिश की है कि एकमात्र बीजेपी ही है जो उनके लिए सदैव खड़ी रहती है.

त्रिवेंद्र सिंह रावत त्रिवेंद्र सिंह रावत
केशवानंद धर दुबे/मोनिका गुप्ता
  • देहरादून ,
  • 13 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

उत्तराखंड में बीजेपी के अनुसूचित जाति के द्वारा सहभोज में न केवल कार्यकर्ताओं ने बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शामिल होकर एक मिसाल पेश करने की कोशिश की. लेकिन ये सिर्फ कोशिश मात्र ही रह गई. क्योंकि जिस भोज के लिए उनको आमंत्रित किया गया था. वहां पर सभी अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं के घरों से खाना बनाकर लाया गया था. उसी भोजन में से कुछ रोटियां और सब्जी अलग से निकाली गई और फोरेंसिक जांच कराई गई. इसके बाद मुख्यमंत्री को खाना परोसा गया.

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बता दें कि बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती से ठीक एक दिन पहले बीजेपी ने इस भोज का आयोजन किया. इसमें उन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग को संदेश देने की कोशिश की कि एकमात्र बीजेपी ही है जो उनके लिए सदैव खड़ी रहती है. बीजेपी भेदभाव को ना मानते हुए सभी वर्गों को एक समान मानती थी और मानती रहेगी.

'आजतक' से बातचीत में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, 'मैं तो जाति और लोगों में भेदभाव नहीं करता हूं. लेकिन मेरी सुरक्षा को लेकर ये जांच की गई होगी. साथ ही उन्होंने कुलदीप सेंगर वाले मामले पर भी योगी सरकार का खुलकर समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वहां की सरकार ने निर्णय लिया है. मुझे लगता है की विधायक एक जिम्मेदार व्यक्ति होता है. हर किसी के अपने अधिकार हैं.  अगर कोई कहता है की मेरे ऊपर झूठे आरोप लगे हैं, तो ठीक है. उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले एसआईटी का गठन किया और अब केस सीबीआई के पास है.

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वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा की जब अपने ही अनुसूचित जाति संबंधित कार्यकर्ताओं पर मुख्यमंत्री को भरोसा नहीं था. तो ऐसे में उन्हें वहां जाकर उनका अपमान नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'मैंने कहा था की मै 100 अनुसूचित परिवार के घरों में जाऊंगा और वहीं खाना खाऊंगा. मैं ऐसा ही कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि इतनी रोटियों के बीच और वो भी खुद उनकी कार्यकर्ताओं के घरों से आई रोटियो में उनसे कैसा खतरा. अगर सिर्फ एक ही परिवार से खाना आता तो समझा जा सकता था. लेकिन इतने खाने में कौन कैसा भेजेगा ये तो वहां खुद खाने वाले को भी नहीं पता होगा. ऐसे में ये उनका अपमान ही है और कुछ नहीं. सीधे तौर पर नौटंकी है.

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