
भारत में गली-गली में बिकने वाली जलेबी किसी पहचान की मोहताज नहीं. देशभर में इसे अलग-अलग फूड कॉम्बिनेशन के साथ खाया जाता है लेकिन जलेबी ने भारत में पैर जमा लिए हैं.. जी हां.. गांव से लेकर शहर और फाइव स्टार होटल तक में मिलने वाली ये जलेबी भारतीय स्वीट डिश नहीं है. लेकिन जिस तरह से भारतीयों ने इसे अपना लिया है, उससे इस बात पर यकीन कर पाना मुश्किल है कि ये किसी और देश की देन है. आइए जानते हैं, इससे जुड़ा इतिहास.
History of Jalebi: कहां से आई जलेबी?
कुछ लोगों का मानना है कि जलेबी मूल रूप से अरबी शब्द है और इस मिठाई का असली नाम है जलाबिया. इसके अलावा मध्यकालीन पुस्तक 'किताब-अल-तबीक़' में 'जलाबिया' नामक मिठाई का उल्लेख मिलता है जिसकी शुरुआत पश्चिम एशिया में हुई थी. मध्यकाल में ये फ़ारसी और तुर्की व्यापारियों के साथ भारत आई और इसे हमारे देश में भी बनाया जाने लगा. यूं तो जलेबी को विशुद्ध भारतीय मिठाई मानने वाले भी हैं. शरदचंद्र पेंढारकर में जलेबी का प्राचीन भारतीय नाम कुंडलिका बताते हैं. वे रघुनाथकृत ‘भोज कुतूहल’ नामक ग्रंथ का हवाला भी देते हैं जिसमें इस व्यंजन के बनाने की विधि का उल्लेख है. भारतीय मूल पर जोर देने वाले इसे ‘जल-वल्लिका’ कहते हैं. रस से परिपूर्ण होने की वजह से इसे यह नाम मिला और फिर इसका रूप जलेबी हो गया.
किन नामों से जानी जाती है जलेबी?
लेबनान में 'जेलाबिया' नामक एक पेस्ट्री मिलती है जो आकार में लंबी होती है. ईरान में जुलुबिया, ट्यूनीशिया में ज'लाबिया, और अरब में जलाबिया के नाम से जलेबी मिलती है. अफ़ग़ानिस्तान में जलेबी मछली के साथ सर्व की जाती है. श्रीलंका की 'पानी वलालु' मिठाई जलेबी का ही एक प्रकार है जो उड़द और चावल के आटे से बनाया जाता है. नेपाल में मिलने वाली "जेरी' भी जलेबी का ही एक रूप है. उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में जहां इसे जलेबी कहा जाता है, वहीं महाराष्ट्र में इसे जिलबी कहा जाता है और बंगाल में इसका उच्चारण जिलपी करते हैं. बांग्लादेश में भी यही नाम चलता है.
अलग-अलग कॉम्बिनेशन में खाई जाती है जलेबी
शुरुआत कहीं भी हुई हो लेकिन जलेबी हर किसी की जुबान से लेकर दिल में जगह बना चुकी है. भारत में ही इसे अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग चीजो के साथ खाया जाता है. कहीं इसे रबड़ी के साथ खाया जाता है तो कहीं इसे दूध के साथ खाया जाता है. इसके अलावा दही, ब्रेड और तमाम तरह की चीजों के साथ परोसा जाता है. कहीं पोहा तो कहीं फाफड़ा के साथ भी खाया जाता है. कहीं तो ये आलू की सब्जी के साथ भी खाई जाती है. इसी तरह विदेश में भी इसे अलग-अलग चीजों के साथ और अलग-अलग नाम से जाना जाता है.