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अगर आपको भी नहीं आती है चैन की नींद तो...

अस्त-व्यस्त जिंदगी, ऑफिस का तनाव, असुरक्षा की भावना और रिश्तों में कड़वाहट आपको कभी भी चैन की नींद नहीं सोने देते. पर ये अनिद्रा नहीं है. अनिद्रा में इंसान को नींद आती ही नहीं है जबकि इस समस्या में नींद तो आती है लेकिन बीच में ही खुल जाती है.

आखि‍र क्यों नहीं आती चैन की नींद? आखि‍र क्यों नहीं आती चैन की नींद?
भूमिका राय
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

दिनभर की थकान के बाद अगर रात को भी आप चैन की नींद नहीं सो पाते हैं तो ये आने वाले खतरे का संकेत हो सकता है. क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि बीच रात में ही आपकी नींद किसी अनजान डर से खुल जाती है? कई लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि वे सपने में बेचैन हो जाते हैं और पसीने-पसीने होकर उठ बैठते हैं. 

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अस्त-व्यस्त जिंदगी, ऑफिस का तनाव, असुरक्षा की भावना और रिश्तों में कड़वाहट आपको कभी भी चैन की नींद नहीं सोने देते. पर ये अनिद्रा नहीं है. अनिद्रा में इंसान को नींद आती ही नहीं है जबकि इस समस्या में नींद तो आती है लेकिन बीच में ही खुल जाती है. कई बार इंसान को सोते-सोते इतनी घबराहट महसूस होती है कि उसकी आंखें खुल जाती हैं.

कारण: बीच-बीच में नींद खुल जाने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार तनाव इतना होता है कि इंसान चिंता के कारण चैन की नींद नहीं ले पाता. कई बार बचपन का कोई बुरा और डरावना हादसा भी सोने नहीं देता. इसके अलावा अगर आप असुरक्षा की भावना से पीड़ित हैं तो भी आपको चैन की नींद कम ही आती होगी.

क्या हैं उपाय:
1. अगर आपकी नींद भी बीच रात में खुल जाती है तो उससे परेशान होने के बदले ये सोचना शुरू कर दें कि ऐसा क्यों हो रहा है.
2. सोने से पहले कोई किताब पढ़ें. ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चैन की नींद आती है.
3. म्यूजिक सुनते हुए सोना भी एक बेहतर उपाय है.
4. अपने कमरे में अच्छी खुशबू बिखेरें. ऐसा करने से मूड अच्छा होता है और नींद अच्छी आती है.
5. सोन से पहले हल्के और हवादार कपड़े पहनें. सोने से पहले हाथ, पैर और मुंह अच्छी तरह से साफ कर लें ताकि दिनभर की थकान दूर हो जाए.आप चाहें तो योग का भी सहारा ले सकते हैं.

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क्या हो सकती हैं परेशानियां:
1. व्यवहार में चिड़चिड़ापन और आक्रामकता
2. पाचन क्रिया पर बुरा असर पड़ना और कब्ज की समस्या
3. मधुमेह होने का खतरा और दिल से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका
4. मोटापे की समस्या
5. काम पर प्रतिकूल प्रभाव

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