Advertisement

जानें, क्या है 'एडल्ट केयर' सर्विस? बुजुर्गों के लिए है इतनी फायदेमंद

बुजुर्गों के स्वास्थ्य की देखभाल और उनका अकेलापन दूर करने के लिए  एडल्ट केयर सर्विस लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. आइए जानते हैं ये सर्विस बुजुर्गों  के लिए कितनी फायदेमंद है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 9:50 AM IST

पिछले कई सालों से भारत को एक युवा देश के तौर पर पेश किया जाता रहा है, लेकिन एक हकीकत यह भी है कि भारत में बुजुर्गों की आबादी उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ रही है. यह 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ पहुंचने की संभावना है जो संयुक्त राष्ट्र के 31.68 करोड़ के अनुमान से अधिक है.

साथ ही यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अनुमान से अधिक तेजी से बूढ़ा हो रहा है. इन अनुमानों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा किया है कि क्या हम तेजी से बढ़ रही बुजुर्गों की आबादी को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व समुचित देखभाल के लिए तैयार हैं?

Advertisement

बता दें, बढ़ती उम्र न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. इसलिए विदेशों की तर्ज पर एडल्ट केयर व होमकेयर कॉन्सेप्ट भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसके तहत घर पर ही बुजुर्गों का इलाज और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ उनका अकेलापन भी दूर किया जा सकेगा.

हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि बुजुर्गों में अकेलापन अवसाद का सबसे बड़ा कारण है. मौजूदा समय में हर दूसरा युवा नौकरी के लिए दूसरे शहरों या विदेश का रुख कर रहा है, जिससे उनके वृद्ध मां-बाप अकेले रह जाते हैं. कई बार जब माता-पिता अपने बच्चों के साथ कहीं बाहर जाते हैं तो वे अजनबी माहौल में खुद को ढाल नहीं पाते हैं, ऐसे में उन बुजुर्गों के लिए एडल्ट केयर सेवाएं अच्छा विकल्प हैं.

बुजुर्गों में अवसाद ने खुद को भारत के लिए एक उभरती स्वास्थ्य चुनौती के तौर पर पेश किया है. विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, भारत में बुजुर्गो में अवसाद का औसत प्रतिशत 16 है जो विश्व के चार प्रतिशत के औसत से बहुत अधिक है.

Advertisement

हेल्थ एक्सपर्ट ने (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया, 55 वर्ष से ऊपर की आयु के अवसादग्रस्त लोगों को अन्य सामान्य लोगों के मुकाबले मस्तिष्क आघात या हृदयाघात से मरने की आशंका चार गुना अधिक रहती है. होम केयर सर्विस को भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक हिस्सा बनाए जाने की जरूरत है, ताकि बुजुर्गों की बीमारियों से निपटा जा सके.

ये सेवाएं क्या हैं और कैसे काम करती हैं?

दरअसल, विदेशों के साथ ही भारत में भी बुजुर्गों की देखभाल के लिए होमकेयर और एडल्ट केयर सेवाएं काफी लोकप्रिय हो रही हैं. इसके तहत देश के बड़े हॉस्पिटल और चिकित्सा केंद्र प्रशिक्षित लोगों के जरिए बुजुर्गों की काउंसलिंग के साथ समाज में उन्हें मेल-जोल बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है.

जनकपुरी स्थित वर्ल्ड ब्रेन सेंटर हॉस्पिटल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. नीलेश तिवारी ने बताया, वृद्ध लोगों में अवसाद मानसिक रोगों के सबसे आम कारणों में से एक है. जैविक और मनोवैज्ञानिक कारकों के अलावा वातावरण भी अवसाद एक महत्वपूर्ण कारण है. जब लोग अकेले रहते हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं तो उनमें नकारात्मकता घर कर जाती है और धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य खराब होता जाता है. खासकर वृद्ध लोगों को अकेलेपन से दूर रहना चाहिए और मेल-जोल के अपने दायरे को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए.

Advertisement

चिकत्सीय सेवा प्रदाता आईवीएच सीनियर केयर के प्रबंधक स्वदीप श्रीवास्तव कहते हैं, अकेलापन, अवसाद और अकाल मृत्यु काफी हद तक आपस में जुड़े होते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए कई विकल्प और सेवाएं आ रही हैं. जो लोग अपने करियर और व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण अपने मां-बाप को समय नहीं दे पा रहे हैं, वे इन सेवाओं के जरिए अपने अभिभावकों को न केवल स्वस्थ, बल्कि खुश भी रख सकते हैं.

उन्होंने कहा, यही नहीं, बुजुर्गों की सहायता के लिए प्रशिक्षित लोग उन्हें वाक पर ले जाते हैं, किताबें पढ़कर सुनाते हैं और उनसे बातें भी करते हैं. चूंकि यह काम चिकित्सा क्षेत्र में प्रशिक्षित हुए लोग करते हैं, इसलिए इसका बुजुर्गों पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है और उनका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement