5 प्रतिशत मोटापा कम करने से होगा दिल के रोगों से बचाव...

वजन का बढ़ना आपको कई बीमारियाें से घेर देता है और इसमें भी दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है. ऐसे में अगर मोटापे से पीड़ित लोग अगर 5 प्रतिशत भी वजन कम करते हैं तो उन्हें दिल के रोगों का खतरा कम हो जाता है.

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भारत के 13 प्रतिशत लोग मोटापे से पीड़ित हैं भारत के 13 प्रतिशत लोग मोटापे से पीड़ित हैं

वन्‍दना यादव / IANS

  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

मोटापे से पीड़ित लोग अगर 5 प्रतिशत भी वजन कम करते हैं तो उन्हें इसका फायदा होता है. उन्हें दिल के रोगों का खतरा कम हो जाता है, उनके पाचन तंत्र में काफी सुधार हो जाता है. वहीं 10 से 15 प्रतिशत तक वजन कम होने से और फायदा होता है.

भारत दुनिया में मोटापे के मामले में तीसरे नम्बर पर आता है और यह दिल के रोगों का प्रमुख कारण है. यह देखते हुए कि भारत के 13 प्रतिशत लोग मोटापे से पीड़ित हैं बड़े स्तर पर दिल के रोगों का खतरा बना हुआ है.

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बढ़ रहे हैं दिल के मरीज
भारत के शहरी युवाओं के बढ़ते वजन की वजह से छोटी उम्र में दिल के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं. मोटापे की वजह से मोम जैसी मैल जिसे प्लॉक कहा जाता है. वह रक्त धमनियों में जमा होनी शुरू हो जाती है जो रुकावट पैदा करके दिल को ऑक्सीजन और रक्त का संचार रोक देती है. इसी वजह से दिल का दौरा और आकस्मिक कार्डियक अरेस्ट होता है.

हाई ब्लड प्रेशर का खतरा रहता है ज्यादा
मोटापे से पीड़ित लोगों को हाईपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा होता है जो दिल पर और अधिक दबाव डालता है. इससे अच्छा कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है और बुरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है. 40 साल से कम उम्र के युवाओं में यह दिल के रोगों का कारण बन रहा है.

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पाचनतंत्र पर भी पड़ता है प्रभाव
इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि मोटापा टाइप 2 मधुमेह और दिल के रोगों का कारण है. पाचनतंत्र की गड़बड़ियों से लीवर, पैनक्रियाज, फैट और अन्य ऊतकों पर प्रभाव पड़ता है. जो लोग मोटापे का शिकार हैं उन्हें 5 से 10 प्रतिशत मोटापा कम करने की सलाह दी जाती है.

क्या कहता है रिसर्च
सेंट लुईस के वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसन में हुई एक अध्ययन में 40 मोटापे से पीड़ित आलसी लोगों में से कुछ को अपना वजन बनाए रखने और कुछ को 5 प्रतिशत, फिर 10 प्रतिशत व 15 प्रतिशत तक वजन कम करने के लिए लिए कहा गया. 19 लोगों ने साढ़े तीन महीने में पहला लक्ष्य हासिल कर लिया. उनके पेट और लीवर से काफी फैट कम हुआ. उनके ग्लूकोज, इनसूलिन, ट्रिग्लिसेराइडस और लेप्टिन के प्लाजमा में कमी आई. उनके फैट, लीवर और मसल टिश्यू में इनसूलिन के प्रति प्रतिक्रिया में भी सुधार हुआ.

खुद करें अपने वजन की जांच
मोटापे के कारण लोगों में सूजन के बढ़ जाती हैं. लेकिन 5 प्रतिशत वजन कम करने वालों में इसके कारकों में कोई बदलाव नहीं देखा गया. आप अपने कमर के घेरे, कूल्हों और कमर के अनुपात, कद और वजन के अनुपात से मोटापे का पता लगा सकते हैं. इसे बॉडी मास इंडेक्स कहा जाता है. जैसे-जैसे यह बढ़ता है दिल के रोगों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

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कंट्रोल में रखें बॉडी मास इंडेक्स को
अगर किसी का बीएमआई 22 से ज्यादा है तो उन्हें ओवरवेट माना जाता है. महिलाओं में बीएमआई 21 से ज्यादा हो तो दिल की सेहत पर असर पड़ता है. 30 से ज्यादा वाले व्यक्ति मोटापे के शिकार होते हैं और उनको गंभीर दिल के रोग होने का खतरा होता है. खोज में पता चला है कि मधुमेह के 58 प्रतिशत और इस्केमिक हार्ट डिसीज के 21 प्रतिशत मामले 21 से ज्यादा बीएमआई की वजह से होते हैं.

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