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मेट्रो ने महिला दिवस एक अलग अंदाज में मनाया. दिल्ली मेट्रो ने अपनी महिला मुसाफिरों और डीएमआरसी की महिला कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन स्लोगन कॉम्पीटीशन आयोजित किया था. इस कॉम्पीटीशन में दिल्ली मेट्रो की महिला मुसाफिरों को अपने सफर के अनुभवों को एक स्लोगन में समेटना था.
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मेट्रो को महिला मुसाफिरों की तरफ से सैकड़ों एंट्रीज मिलीं. इनमें से डीएमआरसी ने सबसे अच्छी तीन एंट्रीज का चयन किया और इन्हें पहले, दूसरे और तीसरे पुरुस्कार के तौर पर सम्मानित किया.
जो तीन सर्वश्रेष्ठ स्लोगन चुने गए, उनमें पहला नंबर सीमा को मिला, जिन्होंने लिखा था- दूरी नहीं मंजिल पर भारी, साथ हो जब मेट्रो और नारी.
शिवानी के लिखे स्लोगन को दूसरा स्थान हासिल हुआ. उन्होंने लिखा था- प्रगतिशील महिला है निर्भयता और स्वाभिमान का मेल, करती हर काम निर्बाध जैसे चलती मेट्रो रेल.
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तीसरे स्थान पर जो स्लोगन रहा उसे रश्मि ने लिखा था और वो था- मुश्किल राह आसान सवारी, नए सफर में मेट्रो संग नारी
इसी तरह दिल्ली मेट्रो की महिला मुसाफिरों ने भी स्लोगन और आर्टिकल लिखे. इनमें पहले नंबर पर मंजू का स्लोगन रहा– हौसले के तरकश में उम्मीद का वो तीर जिंदा रखती है नारी, हारी हुई बाजी को भी जीतने का हौसला रखती है नारी.
दूसरे नंबर पर शीतल राणा का स्लोगन रहा– जिम्मेदारियों संग नारी, भर रही उड़ान, ना कोई शिकवा, शिकायत ना थकान, यही हमारे असीम उत्साह की पहचान. तीसरे नंबर पर सोनिया गिरोत्रा का स्लोगन रहा– असीमितताओं से भी असीमित हूं मैं, मत कहो कहीं भी सीमित हूं मैं, वर्जनाओं बेड़ियों का रुख मोड़ विजय को पाऊंगी, प्रबल उत्साह उमंग की अविरल धारा बन ब्रह्मांड से भी आगे पहचान बनाउंगी.
मेट्रो भवन में महिलाओं को सम्मानित करने के लिए समारोह आयोजित किया गया, जहां इन सभी महिलाओं को दिल्ली मेट्रो के एमडी मंगू सिंह ने सम्मानित किया.