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14 की उम्र में बन गई थीं मां, आज हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान

उसे 13 साल की उम्र में दो बार ब्याहा जा चुका था. 14 की उम्र में वह जुड़वा बच्चों की मां भी बन चुकी थी, लेकिन आज वह अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं और उनका पूरा इलाका उन्हें सम्मान की नजर से देखता है.

Nitu Sarkar, Wrestler Nitu Sarkar, Wrestler
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

इस बात को जिसने भी कहा है तो क्या खूब कहा है कि, किसी चीज को यदि तुम पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी दुनिया उसे तुम्हें मिलाने की कोशिश करने लगती है. किसी चीज को शिद्दत से चाहने वाली शख्सियत का नाम नीतू सरकार है और वे हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली हैं.

आज नीतू को उसके पूरे इलाके के लोग बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, मगर हमेशा से ऐसा नहीं था. नीतू की शादी 13 साल की उम्र में कर दी गई थी और उनका पति उनसे 30 साल बड़ा और मानसिक रूप से विकलांग था. वे अपने ससुराल से तब भाग निकलीं जब उनके ससुर ने उनसे बलात्कार की कोशिश की. हालांकि, नीतू की शादी फिर से किसी और शख्स के साथ कर दी गई. यह शख्स नीतू के प्रति प्रेम का भाव रखता था और महज 14 साल की उम्र में नीतू जुड़वा बच्चों की मां बन गई थी.

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नीतू का पति एक बेरोजगार शख्स था और बच्चों के बड़े होने पर उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे वे बच्चों की प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर सकें. इसी दौरान एक दिन टेलीविजन पर कुश्ती देखते हुए उनके मन में खयाल आया कि क्यों न वह इसे सीखें. उनकी सास इस बात को लेकर अनमनी थीं. लोगों ने उनके पति से भी उन्हें रोकने को कहा लेकिन वह अपने फैसले पर टिकी रहीं.

अखाड़ा तो पुरुषों के वर्चस्व का खेल है

शुरुआत में तो उन्हें अखाड़े के भीतर भी दाखिल नहीं होने दिया जाता था. वजन कम करने और फिटनेस के लिए वह रोज सुबह 3 बजे उठ जाती थीं और पूरे गांव के जगने से पहले ही दौड़-भाग कर लौट भी आया करती थीं.

एक कोच ने उनकी जिंदगी बदल दी

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नीतू ने सारे गतिरोधों से लड़ते हुए अपना संघर्ष जारी रखा. मगर साल 2011 में वह जिले सिंह नामक शख्स से मिलीं जो आज उनके कोच भी हैं. कोच नीतू के हौसले और जज्बे से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें ट्रेनिंग देने लगे. उन्होंने रोहतक में उसी समय से ही ट्रेनिंग शुरू कर दी और उसी साल एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीत लिया.

उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. हाल ही में उन्होंने 48 किलोग्राम कैटेगरी में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर पदक जीता है. इसके अलावा वह ब्राजील में संपन्न जूनियर चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं.

नीतू को अब नौकरी की दरकार है

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने के बाद नीतू चाहती हैं कि उन्हें भारतीय रेल में एक नौकरी मिल जाए ताकि वह अपने गरीब परिवार का पालन-पोषण कर सकें. वर्तमान में भारत के सबसे चर्चित और सफल कुश्ती के चेहरे सुशील कुमार उनके हीरो हैं, और उनकी ट्रेनिंग का खर्च भी Sushil4Sports Foundation के जिम्मे है. वे इस वर्ष विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में प्रतिभागी होने के लिए जम कर पसीना बहा रही हैं.

अब सफलता भला ऐसे लोगों को नहीं मिलेगी तो फिर किसे मिलेगी? पूरे देश को आप पर नाज है नीतू...

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