
बच्चे वीडियो गेम के दीवाने होते हैं. कम्प्यूटर हो या स्मार्टफोन बच्चों को बस वीडियो गेम चाहिए. आलम तो यह है कि अगर किसी भी बच्चे को आपका फोन दिख जाए तो उसका सवाल होता है कि, 'आपके फोन में वीडियो गेम है?'
वीडियो गेम्स कई प्रकार के होते हैं लेकिन एक्शन जॉनर के गेम बच्चों को बहुत पसंद आते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हिंसक वीडियो गेम्स का बच्चों के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. वीडियो गेम ज्यादा खेलने से बच्चों के दिलो दिमाग पर बहुत खराब असर पड़ता है, जिससे उनकी पूरी सोच प्रभावित होती है और वह अनजाने में ही हिंसा और अपराध को सामान्य मानने लगते हैं.
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यही नहीं इससे शरीर पर भी बुरा असर पड़ता है. वीडियो गेम खेलने के लिए बच्चे घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं. इससे ड्राई आई की परेशानी होती है. गेम खेलते समय बच्चों के बैठने का तरीका सही नहीं होता, जिससे गर्दन और पीठ में दर्द की शिकायत होती है. घंटो गेम खेलते रहने के दौरान बच्चे कुछ ना कुछ खाते रहते हैं. इससे बच्चों में मोटापा बढ़ता है और शारीरिक सक्रियता कम होने के कारण उनके शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है.
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छोटे बच्चों का मन एक कागज की तरह होता है, वह जो भी देखते हैं, वैसा ही करने लगते हैं. ज्यादातर गेम्स हिंसा से भरपूर हैं. इन सभी गेम्स में सिर्फ मारधाड़ ही है. इससे बच्चों में हिंसा की प्रवृति बढ़ती है. इसलिए बच्चों को ज्यादा समय तक वीडियो गेम्स खेलने से रोका जाना चाहिए ताकि वे कोई गलत कदम ना उठा लें.