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महिलाओं का चित्रांकन अश्लील हुआ तो पास नहीं होगी फिल्म: वाणी त्रिपाठी

साहित्य आजतक में निर्देशक अनुभव सिन्हा, सेंसर बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी और अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने 'सिनेमा और महिलाएं' को लेकर चर्चा की.

वाणी त्रिपाठी वाणी त्रिपाठी
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:49 AM IST

साहित्य आजतक के 'सिनेमा और महिलाएं' सेशन में निर्देशक अनुभव सिन्हा, सेंसर बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी और अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने फिल्मों में महिलाओं की भूमिका को लेकर चर्चा की. उन्होंने वर्तमान फिल्मों में महिलाओं की स्थिति और फिल्मों की रूढिवादी परंपराओं को लेकर बातचीत की.

फिल्मों में बढ़ रही महिलाओं की भूमिका को लेकर ऋचा चड्ढा कहा कि अब महिलाओं पर आधारित फिल्मों की संख्या में इजाफा हो रहा है, क्योंकि लोगों को भरोसा हो रहा है कि महिलाएं भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं वाणी त्रिपाठी का कहना है कि अब बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है और महिलाओं के अहम रोल वाली फिल्में आ रही हैं.

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महिलाओं की भूमिका पर अनुभव सिन्हा ने कहा कि फिल्में पहली भी बनती थीं, लेकिन फर्क ये आया है कि सिनेमाघर और फिल्में भी बढ़ गई है. इस अनुपात में महिलाओं को लेकर बन रही फिल्में भी बढ़ रही हैं. दर्शकों की सोच में बदलाव होने की वजह से लगातार यह परिवर्तन हो रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि फिल्म किसी महिला या पुरुष दोनों प्रधान की नहीं होनी चाहिए. आप ऐसा करके महिलाओं को नीचा दिखाते हैं.

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फिल्मों निर्माताओं की पंसद को ऋचा ने बताया कि फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर करने के बाद उन्हें उस तरह की फिल्में मिल रही थी और भोली पंजाबन के रोल के बाद उन्हें उस तरह के रोल मिलने लगे. ऋचा का कहना है, 'निर्माता वैसे ही रोल चाहते थे. बड़ा बदलाव ये है कि महिलाएं, जो डीओपी या फिल्म क्रू में होती है, उनकी संख्या भी बढ़ रही है और अब सेट पर बराबर संख्या दिखती हैं. बिहाइंड द सीन ये बड़ा बदलाव हुआ है.'

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चर्चा के दौरान वाणी त्रिपाठी ने कहा, 'जैसे-जैसे दर्शक की रूचि बदल रही है, उस हिसाब से कथानक भी बदल रहे हैं और सिनेमा भी बदला रहा है. पहले महिलाओं को सिर्फ सुंदर महिलाओं के तौर पर दिखाया जाता था, लेकिन अब महिलाएं हर तरह के रोल कर रही हैं. परिवर्तन आ रहा है और हर वर्ग तक पहुंच रहा है.'

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अभिनेत्री ऐश्चर्या राय से तुलना पर ऋचा ने कहा, 'वो एक ब्यूटी का प्रतीक हैं, उनकी नीली आंखें हैं और अमिताभ बच्चन की बहू और एक प्यारी सी बच्ची की मां हैं. लेकिन मैं एक अभिनेत्री हूं. ऐश्वर्या राय के सामने भी कई हीरोइनें थीं और वो भी अन्य की तरह कई फिल्मों को लेकर आगे बढ़ी. वहीं अभिनव ने कहा कि सिनेमा में किसी को भी दूसरे से नहीं आंकना चाहिए. हर सीन में हर किरदार का अलग-अलग महत्व है.  

फिल्म पद्मावत को लेकर वाणी त्रिपाठी ने कहा, 'फिल्म में एक भी कट भी नहीं लगाया गया और जितनी दी गई थी, उतनी लेंथ की फिल्म पास की गई थी. बाकी इतिहास के बारे में सब जानते हैं.' वहीं अनुभव ने कहा, 'पद्मावत में सिर्फ राजनीति का रोल था.'

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सेंसर बोर्ड के कार्य को लेकर वाणी त्रिपाठी ने कहा कि अगर महिलाओं के चित्रांकन को अश्लील किया जाएगा तो फिल्म पास नहीं करेंगे. इस दौरान अनुभव ने कहा कि अगर पूरे नियम फॉलो किया जाए तो फिल्म बन ही नहीं सकती. यह नियम पहले बने थे और जब वो बने थे जब संविधान बने कुछ साल ही हुए थे. गाइडलांइस बहुत ज्यादा है और इस बात होनी चाहिए.'

फिल्मों में चली आ रही रूढिवादी परपंराओं को लेकर ऋचा ने कहा, 'आजकल परिवर्तन हो रहा है. वैसे समाज में जमीनी स्तर पर परिवर्तन होना आवश्यक है. हमें पब्लिसिटी और चिंत्राकन के समय लड़ रहे हैं.' वहीं वाणी त्रिपाठी ने कहा, 'दरअसल जो दिखेगा वो बिकेगा और जो बिकेगा वो बनेगा.' उन्होंने यह भी कहा कि कलाकारों के अलावा अन्य क्रू मेंबर्स के साथ क्या हो रहा है उस पर ध्यान देना आवश्यक है.

मीटू कैंपेन पर ऋचा ने कहा, 'यह जर्नलिज्म, राजनीति में हर जगह होता है. मगर बॉलीवुड में कई हैं, बस वो पकड़े गए हैं मगर दोषी साबित नहीं हुए. वो यह लंबे समय से ऐसा कर रहे हैं. कहा जाता है कि बॉलीवुड वाले आगे नहीं आते और जो आगे आते हैं उनका क्या होता है उनका करियर खराब कर दिया गया. बॉलीवुड में कई ऐसे निर्माता हैं, जिन्हें फिल्म बनाने में रूचि नहीं है, बल्कि रूचि में रूचि है.'

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आइटम नंबर को लेकर अनुभव ने कहा कि आइटम नंबर एक सेक्शुलिटी है और यह समाज का हिस्सा है और उसी के लिए होते हैं. हीरो की एंट्री हमारे डीएनए का हिस्सा है, जैसे रामचंद्र जी आए थे तो उन पर कई पेज लिखे गए थे. वैसे ही अब होता है. वहीं ऋचा ने कहा, 'पहले आइटम नंबर के लिए बाहर से लोगों को बुलाया जाता था और अब अभिनेत्रियां खुद कर ही लेती हैं.'

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