Advertisement

साहित्य आजतक: सुडान के एक गांव में लोग 'शिव' समझ के करते हैं 'काली' की पूजा

'साहित्य आजतक' को इस बार सौ के करीब सत्रों में बंटा है, तीन दिन तक चलने वाले इस साहित्य के महाकुंभ में 200 से भी अधिक विद्वान, कवि, लेखक, संगीतकार, अभिनेता, प्रकाशक, कलाकार, व्यंग्यकार और समीक्षक हिस्सा ले रहे हैं.  

संदीप भूतोड़िया, गरिमा श्रीवास्तव और अजय सोडानी संदीप भूतोड़िया, गरिमा श्रीवास्तव और अजय सोडानी
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

'साहित्य आजतक' के सीधी बात मंच के 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' सत्र उन घुमक्कड़ लेखकों के नाम रहा जिन्होंने यात्रा को लेखन में उतार कर हम तक पहुंचाया. द सफारी के लेखक संदीप भूतोड़िया, दर्रा-दर्रा हिमालय के लेखक अजय सोडानी और जेएनयू की प्रोफेसर और लेखिका गरिमा श्रीवास्तव ने इस सत्र में शिरकत की.

गरिमा श्रीवास्तव ने अपने क्रोएशिया प्रवास के संस्मरण  'देह ही देश' में युद्ध के दौरान महिलाओं की दशा पर लिखी है. उन्होंने कहा कि वहां की महिलाओं की देह पर युद्ध के अनगिनत घाव हैं, फिर भी वे यह सोच कर जी रही हैं कि जिंदगी न मिलेगी दोबारा. उन्होंने बोस्निया, सर्बिया, हर्जेगोविना  में दो दर्जन के करीब यातना शिविर देखे, जहां सैनिकों से कहा जाता था कि स्त्रियों से बलात्कार करना उनको पुरस्कृत करने जैसा था. बड़े पैमाने पर स्त्रियों को बंदी बनाया गया उनकी देह पर खेल रचे गए. उन्होंने कहा कि ऊपर से देखने में यूरोप जितना शांत है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि यह यात्रा सरकारी यात्रा थी लेकिन यह एक संस्मरण बन गया.

Advertisement

यह भी पढ़ें: हरप्रीत सिंह ने कबीर, बुल्लेशाह की रचना से बांधा समां

संदीप भूतोड़िया व्यापार, समाजसेवा, प्रकृति प्रेम, यात्राएं और लेखन से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि मैं लेखक नहीं हूं, लेकिन घुमक्कड़ हूं. जो नजर आता है वो लिख देता हूं. अपनी यायावरी के बारे में उन्होंने बताया कि वे जब कहीं जाते हैं तो वहां के लोग से जुड़ने की कोशिश करते हैं. संदीप ने एक अपनी अफ्रीका यत्रा का एक दिलचस्प वाकया साझा किया. सुडान के एक छोटे से गांव में के भारतीय समुदाय के लोग एक मंदिर में ले गए, जिसे उन्होंने बताया कि यह शंकर भगवान का मंदिर है, लेकिन वहां जो मूर्ती थी वो काली माता की थी. लेकिन उनकी श्रद्धा देखकर उनकी हिम्मत नहीं हुई कि वे बताए कि ये काली माता की मूर्ती है. ये वो लोग हैं जो कई दशकों से भारत नहीं आए.

Advertisement

लेखक अजय सोडानी प्रकृति प्रेमी हैं और हिमालय पर उन्होंने काफी कुछ लिखा है. उन्होंने कहा कि हिमालय के बारे में दिल्ली में हमसे झूठ बताया जाता हैं लेकिन हिमालय उससे अलग है. उन्होंने कहा कि हमें लगातार बतााया गया कि गंगोत्री ग्लेशियर का हाल ठीक है. लेकिन हकीकत में उनकी तीन यात्रा के दौरान गंगोत्री ढाई किलोमीटर पीछे चला गया.

To License Sahitya Aaj Tak Images & Videos visit www.indiacontent.in or contact syndicationsteam@intoday.com

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement