
इंडोनेशिया में 14 मुस्लिम लड़कियों का सिर मुंडवाया गया है. वजह कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं है. लड़कियों का दोष बस इतना था कि उन्होंने सही ढंग से हिजाब नहीं पहना हुआ था. हिजाब के प्रति स्कूल की लड़कियों का ये रवैया वहां पढ़ाने वाले एक टीचर को नागवार गुजरा. फिर सजा के तौर पर उसने जो फैसला लिया. उसने एक मुस्लिम बाहुल्य देश इंडोनेशिया को बेनकाब कर, इस बात की पुष्टि कर दी है कि, वहां भी चरमपंथ और रूढ़िवादिता का दलदल कम गहरा नहीं है. 14 स्कूली छात्राओं के साथ घटी इस घटना की जानकारी खुद स्कूल के हेडमास्टर ने दी और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. हेडमास्टर के अनुसार स्कूल ने माफी मांगी है और आरोपी टीचर को स्कूल से निलंबित कर दिया गया है.
ध्यान रहे, हिजाब की तौहीन बताते हुए ये घटना इंडोनेशिया में उस वक़्त हुई जब भारत समेत पूरी दुनिया में हिजाब को लेकर खूब घमासान मचा है. कहीं इसे बैन किया जा रहा है तो कहीं इसे जबरन थोपा जा रहा है. मामले ऐसे भी आए हैं कि जहां इसे उतारने से लेकर फेंकने और पहनने तक देश दुनिया की लड़कियां सड़कों पर हैं, और अपने अपने तरीके से क्रांति का बिगुल फूंक रही हैं.
इंडोनेशिया में साल 2021 में धार्मिक ड्रेस कोड को बैन कर दिया गया था. बावजूद इसके आज भी मुल्क के कई इलाके ऐसे हैं जहां लड़कियों को इस्लामी तौर तरीकों से कपड़े पहनने के लिए बाध्य किया जाता है और दिलचस्प ये कि यदि कोई लड़की इन नियमों को नहीं मानती तो उसे 'माकूल' सजा भी इन धर्म के ठेकेदारों द्वारा दी जाती है.
मौजूदा वक़्त में हिजाब को लेकर देश दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि, हिजाब मुस्लिम धर्म से जुड़ी लड़कियों के जी का जंजाल बन गया है. वो अगर इसे धारण कर रही हैं तो भी मुसीबत है और जहां उनके द्वारा इसे नहीं पहना जा रहा है वहां एक अलग किस्म का गतिरोध चल रहा है.
आइये नजर डालते हैं उन घटनाओं पर जो हमें ये बताएंगी कि हाल फ़िलहाल के दिनों में हिजाब को लेकर दुनिया भर में लड़कियों / महिलाओं के साथ क्या क्या हो रहा है.
भारत
इंडोनेशिया में भले ही इस कारनामे के सामने आने के बाद स्कूल के हेडमास्टर ने माफ़ी मांग ली हो. और मामला सुलटाने की नाकाम कोशिश कर ली हो. मगर भारत में भी हिजाब को लेकर बतंगड़ कम नहीं हुआ है. जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में हुए हिजाब विवाद को अगर याद करें तो महसूस यही होता है कि जैसे घटना कल की हो. यहां छात्राओं को क्लास अटेंड करने से सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि उन्होंने हिजाब धारण किया हुआ था.
मामले में खूब राजनीति हुई और न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे भारत में मुस्लिम छात्राएं हिजाब के समर्थन में सड़कों पर आ गयीं. मामला कोर्ट गया जहां प्रदर्शनकारी छात्राओं को मुंह की खानी पड़ी. हिजाब विवाद पर शीर्ष अदालत को जो तर्क देने थे उसने दिए मगर जैसा मुस्लिम महिलाओं का रवैया था वो अपनी जिद पर अड़ी थीं.
तमाम मुस्लिम महिलाओं का मामले पर यही कहना था कि स्कूल कॉलेज में हिजाब धारण करने की आजादी उन्हें संविधान देता है और किसी भी तरह के फैसले से उनके मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता.
फ़्रांस
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को बता चुके हैं कि देश दुनिया में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी के मद्देनजर सुदूर फ़्रांस में भी एक अहम फैसला लिया गया है. फ़्रांस ने अपने स्कूलों में अबाया पहनने पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि फ़्रांस ने ये फैसला अपने धर्मनिरपेक्ष कानून के लागू होने के तहत किया है.
ध्यान रहे हुकूमत के इस फैसले के बाद फ़्रांस के स्थानीय निवासियों में खासा रोष है. माना यही जा रहा है कि इस फैसले से फ़्रांस की सरकार वहां रह रहे मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन कर रही है. वहीं सरकार का मानना है कि वो समान नागरिक अधिकारों की पक्षधर है.
ईरान
भले ही भारत जैसे देश में महिलाएं हिजाब और उसे पहनने को लेकर सड़कों पर हों और भारत में हिजाब का मुद्दा पूर्णतः राजनैतिक हो गया हो लेकिन एक मुस्लिम राष्ट्र होने के बावजूद हिजाब को लेकर जैसा रुख ईरान में महिलाओं का है वो हैरत में डालने वाला है. अभी बीते दिनों ही ईरान उस वक़्त सुर्ख़ियों में आया था जब हिजाब न धारण करने के कारण तेहरान में म्हासा अमिनी को इतना मारा गया कि उसकी मौत हो गयी.
बाद में मामले ने तूल पकड़ा और पूरे ईरान में एंटी हिजाब प्रोटेस्ट हुए. कई वीडियो और तस्वीरें वो भी सामने आईं जिनमें महिलाओं द्वारा हिजाब को जलाया गया.
ईरान जैसे मुस्लिम देश में प्रदर्शनकारी महिलाओं का यही कहना था कि कोई भी चाहे हुकूमत हो या कोई और कोई भी उन्हें इसे धारण करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.
ध्यान रहे भले ही ईरान में एंटी हिजाब प्रोटेस्ट हमें आज दिखा हो लेकिन इसकी जड़े उस वक़्त से जुड़ी हैं जब शाह ईरान को परास्त कर इमाम खुमैनी ने ईरान में इस्लामिक क्रांति की शुरुआत की थी. बताया जाता है कि आज की तरह तब भी ईरान के अलग अलग शहरों में उग्र प्रदर्शन हुए थे और कई महिलाओं ने इसकी कीमत चुकाई थी.
हिजाब को लेकर क्या कहता है इस्लाम
चाहे समर्थन हो या विरोध पूरे हिजाब विवाद में जो सबसे दिलचस्प पक्ष है वो ये कि भले ही इस्लाम महिलाओं से पर्दे का जिक्र करता हो मगर इसे न करने पर महिलाओं को सजा मिले ऐसा प्रावधान कहीं नहीं है. कह सकते हैं कि धर्म की आड़ लेकर इसे चरमपंथियों द्वारा महिलाओं पर थोपा जा रहा है और इसके जरिये वो अपनी धार्मिक कुंठा निकाल रहे हैं.
क्योंकि ताजा मामला इंडोनेशिया से जुड़ा है. इसलिए हम इतना ही कहेंगे कि यहां सही हिजाब न धारण करने के कारण जिन 14 लड़कियों को सजा हुई है उसकी वजह वो धार्मिक कुंठा है जो चंद चुनिंदा कठमुल्लों के दिमाग पर हावी है और जो महिलाओं को अपनी बपौती समझते हैं.