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भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में ममता बनर्जी अपने लिए देख रही हैं बड़ा मौका

ममता बनर्जी की अपनी छवि तो बेदाग रही है, लेकिन कई टीएमसी नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, यहां तक कि उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी ईडी की जांच के दायरे में आ चुके हैं - लेकिन ममता बनर्जी ने अब सबको साफ कर दिया अब ऐसे नहीं चलेगा, और सुधर जाने के लिए 10 दिन की मोहलत दी है.

ममता बनर्जी ने अपने मंत्रियों, विधायकों और पश्चिम बंगाल के नौकरशाहों को सुधरने के लिए 10 दिन की मोहलत दी है. ममता बनर्जी ने अपने मंत्रियों, विधायकों और पश्चिम बंगाल के नौकरशाहों को सुधरने के लिए 10 दिन की मोहलत दी है.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:53 PM IST

ममता बनर्जी की नाराजगी नई नहीं है. अक्सर ही कोई न कोई ममता बनर्जी की नाराजगी का शिकार होता रहता है - खास बात ये है कि हाल फिलहाल एक साथ कई लोग शिकार हो चुके हैं. 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ममता बनर्जी एक बार फिर बेहद नाराज हैं. विपक्षी गठबंधिन इंडिया की मुंबई बैठक के दौरान तो उनकी नाराजगी की खबर आई ही थी, मणिपुर से निकली राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पश्चिम बंगाल में दाखिले से एक दिन पहले ही ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर डाली थी. 

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तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी की ताजा नाराजगी लोकसभा के स्पीकर चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार को लेकर है. ममता बनर्जी का आरोप है कि कांग्रेस ने टीएमसी से राय मशविरा किये बगैर ही के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. बीजेपी ने फिर से ओम बिरला को ही स्पीकर का उम्मीदवार बनाया है. चुनाव भी इसीलिए हो रहा है क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन सकी है. 

के. सुरेश को विपक्ष की तरफ से स्पीकर की पोस्ट के लिए उम्मीदवार तो बना दिया गया है, लेकिन उनके नामांकन के प्रस्ताव पर टीएमसी के सांसदों ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. असल में कांग्रेस भी के. सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाये जाने से नाराज है. कांग्रेस का इल्जाम है कि 8 बार के सांसद के. सुरेश के बजाय सत्ता पक्ष ने 7 बार वाले भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बना कर संसदीय नियमों का उल्लंघन किया है - और सबसे बड़ी वजह यही लगती है कि कांग्रेस ने के. सुरेश को मैदान में उतार दिया है, लेकिन संसद सत्र शुरू होते ही राहुल गांधी को ममता बनर्जी की  नाराजगी नये सिरे से झेलनी पड़ रही है. 

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राहुल गांधी की ही तरह ममता बनर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी फिर से नाराज हो गई हैं, और ये नया मामला है भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा और तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर बातचीत का. ममता बनर्जी का आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ बातचीत में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं किया है. 

ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है. तीन पेट के लेटर में ममता ममता बनर्जी कहती हैं, पश्चिम बंगाल सरकार से पूछे बिना इस तरह की एकतरफा बातचीत हमें मंजूर नहीं है.

लेकिन जिस तरह पश्चिम बंगाल के मंत्रियों-विधायकों से लेकर नौकरशाहों तक को ममता बनर्जी के गुस्से का शिकार होना पड़ा है, वो तो ममता बनर्जी की राजनीतिक नाराजगी के आगे कुछ भी नहीं है. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ नया मिशन शुरू किया है - और हर किसी को चेतावनी दी है कि अगर वे दस दिन के भीतर नहीं सुधरे तो वो एक्शन मोड में आ जाएंगी. 

'10 दिन में सुधर जाओ, वरना...'

पश्चिम बंगाल सचिवालय में नागरिक निकायों के काम की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गई थी. बैठक के दौरान जब ममता बनर्जी को मालूम पड़ा कि काम ठीक से नहीं हो रहा है, तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. 

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बैठक में शामिल एक मंत्री और एक पूर्व महापौर को फटकारते हुए बोलीं, ‘क्या मुझे अब सड़कों पर झाड़ू लगाने के लिए उतरना होगा? आपको आसमान की ओर नहीं... नीचे भी देखना होगा... किसी ने भी स्ट्रीट लाइटों पर गौर नहीं किया... पुलिस और प्रशासन दोनों कुछ नहीं कर रहे हैं.’

ममता बनर्जी ने बेहद सख्त लहजे में चेतावनी दे डाली, 'सरकार कुछ लोगों के काम के लिए बदनामी नहीं झेलने वाली है... मुझे जबरन वसूली करने वाले अफसर नहीं... जनता के सेवक चाहिये... जिम्मेदार अधिकारी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकते, तो अपना पद छोड़कर चले जाना चाहिये.’ 

जिन मंत्रियों पर ममता बनर्जी का गुस्सा फूटा वे हैं, सुजीत बोस, अरूप रॉय और हावड़ा नॉर्थ के विधायक गौतम चौधरी. सुजीत बोस पर अतिक्रमण तो बाकी दोनों पर वसूली का आरोप लगाया है. ममता बनर्जी को गुस्से में तो टीएमसी नेताओं ने बहुत बार देखा होगा, लेकिन समीक्षा बैठक में जो रूप दिखा, वैसा नहीं देखा होगा.  

और फिर सीधे सीधे पूछ लिया, 'अच्छी जिंदगी जीने के लिए आपको कितने पैसे चाहिए? आप बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूम रहे हैं... महंगे रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं... सब ठीक है, लेकिन पहले जनता के बारे में सोचो.'

और सभी लोगों को सुधर जाने के लिए ममता बनर्जी ने दस दिन का मौका दिया - या तो कामकाज सुधार लो, या फिर इस्तीफा दो.

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पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम क्यों?

2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ही ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए साफ साफ बोल दिया था कि बीजेपी नेतृत्व किसी मुगालते में न रहे, 'मैं स्ट्रीट फाइटर हूं.'

और अब लगता है, ममता बनर्जी ने एक बार फिर दिल्ली से नये सिरे से लोहा लेने का इरादा कर लिया है. ममता बनर्जी के लिए दिल्ली का मतलब तो सिर्फ सत्ताधारी बीजेपी ही होती नहीं, गांधी परिवार भी तो दिल्ली में ही रहता है - और स्पीकर चुनाव को लेकर राहुल गांधी को तो बता ही दिया है कि वो किस मिट्टी की बनी हैं. 

ममता बनर्जी की नजर 2019 के आम चुनाव से पहले से ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है. तब तो वो इसके लिए हिंदी भी सीख रही थीं, लेकिन अब चीजें काफी बदल चुकी हैं - और नया बदलाव ये हुआ है कि राहुल गांधी के साथ साथ अखिलेश यादव भी दिल्ली में एक नई ताकत बनकर उभरे हैं.

अब पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसा तो है नहीं, लेकिन अकेले दम पर ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन तो बेहतरीन ही किया है. खुद 22 से 29 पर पहुंची हैं, और बीजेपी को 18 से 12 सीटों पर समेट दिया है. 

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ममता बनर्जी की अपनी छवि तो बेदाग रही है, लेकिन उनके कई साथी नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे रहे हैं. पार्थ चटर्जी से लेकर शाहजहां शेख तक लिस्ट लंबी हो चुकी है. अव्वल तो 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले भी टीएमसी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, लेकिन ममता बनर्जी ने डंके की चोट पर उनको चुनाव लड़ाया, जिताया और मंत्री भी बनाया - लेकिन अब उनको लगने लगा है, ये सब ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला है. 

ममता बनर्जी को मालूम हो चला है कि पूरे घर को दुरुस्त करना सबसे जरूरी हो गया है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल वो देख ही रही हैं - और एक झटके में ओडिशा का जो हाल हुआ है, ममता बनर्जी को भी सोचकर झटका तो लगा ही होगा. 

आगे की लड़ाई लड़ने से पहले ममता बनर्जी अपनी टीम, अपने जनरलों और पूरी आर्मी को चाक-चौबंद करने की कोशिश कर रही हैं - और उसके बाद ही अपने लिए बड़ा मौका देख पा रही हैं. 

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