
गांधी जयंती के मौके पर प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान की पूर्णाहूति होने जा रही है. 2 अक्टूबर को ही वो अपने जन सुराज अभियान को राजनीतिक दल का रूप देंगे. कुछ दिनों से ये बातें वो खुद ही बताते आ रहे हैं.
दो साल से बिहार के गांव गांव घूम रहे, प्रशांत किशोर हाल फिलहाल पटना में भी काफी समय दे रहे हैं. PK के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने हाल ही में जन सुराज के पदाधिकारियों के साथ एक बड़ी बैठक की थी, और बताया था कि उनकी पार्टी का अध्यक्ष कौन और कैसे हो सकता है. ये भी बताया था कि वो अपनी पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनने जा रहे हैं.
पीके का एक और सम्मेलन काफी चर्चा में हैं, बिहार युवा संवाद. पटना के बापू भवन में पीके जब स्टेज पर पहुंचते हैं तो सब लोग जोर जोर से जय बिहार के नारे लगाते हैं. पूरा हाल खचाखच भरा हुआ नजर आता है - वैसे हाल की क्षमता 5 हजार की है, और कुछ लोग पीछे खड़े भी हैं इसलिए थोड़े ज्यादा भी हो सकते हैं.
पीके का ये खास इवेंट करीब करीब वैसा ही था जैसा बीते दिनों उनके क्लाइंट का हुआ करता था. प्रशांत किशोर अब तक जिन नेताओं के लिए चुनाव कैंपेन की निगरानी करते आये हैं, ऐसे बहुत सारे इवेंट देखने को मिले हैं. ऐसे ही कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के लिए आयोजित इवेंट भी शामिल रहे हैं.
प्रशांत किशोर के पूरे कैंपेन को देखें तो उनके टारगेट पर पहले नंबर पर तेजस्वी यादव रहे हैं, नीतीश कुमार का नंबर उनके बाद ही आता है. एक बात नहीं समझ में आती कि अगर उनको खुद सत्ता में आना है तो जिन्हें वो अपने राजनीतिक विरोधियों के तौर पर प्रोजेक्ट करते हैं, बराबर भाव क्यों नहीं रखते.
जैसे लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान प्रशांत किशोर कांग्रेस और INDIA ब्लॉक के मुकाबले बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाते नजर आये थे, जन सुराज अभियान के दौरान भी उनकी आलोचना के आखिरी पायदान पर भी बीजेपी ही देखने को मिली है - और तब भी, जब वो 2025 में जन सुराज की सरकार बनना पक्का बता रहे हैं, महसूस तो ऐसा होता है जैसे बीजेपी से उनको कोई खास शिकायत ही न हो.
लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से भी देखें तो तेजस्वी यादव के मुकाबले नीतीश कुमार का प्रदर्शन बेहतर रहा है. 2020 के बिहार चुनाव में जेडीयू को करीब करीब ठिकाने लगा देने वाली बीजेपी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार को बैसाखी बनाना पड़ा है - फिर भी प्रशांत किशोर के निशाने पर पहले नंबर पर तेजस्वी यादव को देखकर बहुत अजीब लगता है.
प्रशांत किशोर के निशाने पर तेजस्वी यादव क्यों हैं?
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव 17 अगस्त से बिहार यात्रा पर निकलने वाले हैं. अव्वल तो बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं, लेकिन पहले से ही सभी राजनीतिक दल तैयारी में जुटे हुए हैं. लोकसभा चुनाव से पहले भी तेजस्वी यादव बिहार यात्रा किये थे.
तेजस्वी यादव की बिहार यात्रा को लेकर प्रशांत किशोर का कहना है, मेरे और उनके पदयात्रा के उद्देश्य में फर्क है... मैं पिछले 18 महीने से पदयात्रा ही कर रहा हूं... बाकियों की तरह एक दिन रैली और दूसरे दिन वोट नहीं मांग रहा... और न ही तीसरे दिन चुनाव लड़ने की योजना बना रहा हूं.
फिर अपने बारे में समझाने की कोशिश करते हैं, प्रशांत किशोर ये नहीं कह रहे हैं कि हमको जिताकर मुख्यमंत्री बना दीजिये... प्रशांत किशोर जन सुराज यात्रा इसलिए चला रहे हैं ताकि बिहार की जनता के अंदर जागरूकता फैले... जनता जात-पात से उठकर अपने बच्चों की चिंता करते हुए वोट दे.
अपना राजनीतिक आइडिया समझाते हुए कहते हैं, जन सुराज ऐसी व्यवस्था है, जिसमें गरीब से गरीब घर का यहां आकर समाज के लिए... बिहार के लिए कुछ करना चाहता है. समाज और राजनीति में सुधार के लिए... और अपने बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए कुछ करना चहता है तो आपको पैसे की चिंता नहीं करनी है... जाति की चिंता नहीं करनी है... चुनाव जीतने और हारने की चिंता नहीं करनी है... चिंता जन सुराज और अपने बेटे-भाई प्रशांत किशोर पर छोड़िये... और बिहार को सुधारने के लिए खड़े हो जाइये.
और बातों बातों में ही प्रशांत किशोर नेताओं की शैक्षिक योग्यता पर आ जाते हैं, जब हम सभा कराते हैं तो लोग कहते हैं, डिग्री क्वालीफिकेशन का क्राइटेरिया होना चाहिये... और सभा खत्म होते ही कहते हैं नहीं होना चाहिए... अब आपने कहा पढ़ाई का क्राइटेरिया होना चाहिये... क्योंकि बिहार के लोग दसवीं फेल लोगों के नेतृत्व में काम करना नहीं चाहिये.
कुछ सोचकर अपनी बात पर सफाई भी देते हैं, 'मैंने दसवीं फेल कहा है... नौवीं फेल नहीं कहा है.' जाहिर है निशाने पर तेजस्वी यादव ही होते हैं.
पीके का इमोशनल अत्याचार
पटना के बापू सभागार में युवा संवाद के जरिये प्रशांत किशोर लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश करते हैं. कहते हैं, जन सुराज यहां के युवाओं की जिद है, जन सुराज हम लोगों का संकल्प भी है और जन सुराज एक व्यवस्था भी है.
तो सवाल उठता है कि जन सुराज कैसी व्यवस्था है? पीके बताते हैं, जन सुराज एक एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें गरीब से गरीब घर का व्यक्ति यहां आकर समाज के लिए, बिहार के लिए कुछ करना चाहता है... समाज और राजनीति में सुधार के लिए और अपने बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए कुछ करना चहता है.
इसमें पीके की गारंटी भी होती है, आपको पैसे की चिंता नहीं करनी है... जाति की चिंता नहीं करनी है... चुनाव जीतने और हारने की चिंता नहीं करनी है... वो चिंता जन सुराज और अपने बेटे-भाई प्रशांत किशोर पर छोड़िये - और बिहार को सुधारने के लिए खड़ा हो जाइये.
पीके की गारंटी में और भी बहुत कुछ है जिसे वो खुद बताते हैं, 2025 में बिहार से पलायन खत्म होगा. कहते हैं, अपने बच्चों से आप लोग कह दीजिये कि 2025 में जब छठ पर बिहार आएंगे, तो फिर वापस नहीं जाना होगा, लेकिन आप लोगों को भी एक काम करना होगा... आप लोग भले ही आधी प्लेट खाना खाइये, लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाइये... क्योंकि आपका बच्चा अगर अनपढ़ होगा, तो चाहे लालू यादव हों या नीतीश कुमार - कोई उसे डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बना पाएगा.
लगे हाथ आगाह भी करते हैं, जिसमें निशाने पर नीतीश कुमार और थोड़ा बीजेपी भी होती है, बिहार के लोग रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं... यहां मौजूदा सरकार दूसरे राज्यों के लोगों को नौकरी दे रही है... अब युवा शक्ति जन सुराज के माध्यम से बिहार को सुधारने की जिद पर अड़ गई है.
साथ में चुनावी वादा करते हुए प्रशांत किशोर कहते हैं, जब जब युवा शक्ति ने अंगड़ाई ली है, बदलाव आया है... आपके बीच से ही लोग मुखिया, विधायक बनेंगे. भीड़ में बैठे युवाओं में से बहुतेरे विधानसभा के लिए चुनकर आएंगे, विश्वास रखिये.
लोकसभा चुनाव के नतीजों से समझें तो बीजेपी और नीतीश मिलकर तेजस्वी यादव से कोई बेहतर स्थिति में नहीं लगते, और बीजेपी की तरफ से भी साफ किया जा चुका है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए के नेता होंगे.
ये तो समझ में आता है कि तेजस्वी यादव को प्रशांत किशोर इसलिए टारगेट कर रहे हैं क्योंकि मुकाबले में आगे वही नजर आते हैं, लेकिन नये चेहरों के बलबूते वो कहां तक चैलेंज कर पाएंगे. बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हो सकती है, लेकिन तेजस्वी यादव से लोग खफा हों, ऐसा तो कोई कारण नहीं लगता.