माघ पूर्णिमा पर यज्ञ, व्रत और दान से पूरी होगी हर मनोकामना

कहा जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन व्रत, उपवास और दान से ज्यादा स्नान का महत्व है. आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे पाप और संताप नष्ट हो जाते हैं.

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मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

माघ पूर्णिमा का बहुत महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मौके पर चंद्रमा की किरणों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है, इसलिए आज की रात चंद्रमा को अर्घ्य देने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.

पुराणों के अनुसार, माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इसलिए इस पावन दिन गंगाजल का स्पर्श करने से भी स्वर्ग का सुख मिलता है. कहते हैं कि भगवान विष्णु माघ पूर्णिमा के व्रत, उपवास, दान और ध्यान से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना माघ पूर्णिमा के स्नान से प्रसन्न होते है.

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वहीं माघ महीने के बारे में कहते हैं कि इन दिनों देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके भजन-सत्संग आदि करते हैं. मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता अंतिम बार स्नान करके वापस अपने-अपने लोक चले जाते हैं.

माघ पूर्णिमा का मंत्र
मासपर्यन्त स्नानासम्भवे तु त्रयहमेकाहं वा स्नायात्त्र ।।
अर्थात् जो लोग लंबे समय तक स्वर्गलोक का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए.

माघ महीने की इस पवित्र पूर्णिमा के दिन और क्या-क्या लाभ होते हैं, आइए जानते हैं-

पूर्णिमा तिथि का महत्व
- पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है
- पूर्णिमा तिथि के स्वामी स्वयं चन्द्रदेव हैं जो इसी तिथि को सम्पूर्ण होते हैं
- इस तिथि पर सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं
- पूर्णिमा तिथि पर जल और वातावरण में विशेष उर्जा आ जाती है
- इसीलिए आज के दिन नदियों और सरोवरों में स्नान करने की परंपरा है
- माघ की पूर्णिमा इतनी महत्वपूर्ण है कि इस दिन नौ ग्रहों की कृपा आसानी से पाई जा सकती है
- माघ पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है
- पूर्णिमा के दिन मोती या चांदी धारण करना और खीर खाना विशेष शुभ होता है

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इस बार की पूर्णिमा क्यों है खास
- मघा नक्षत्र में चन्द्रमा की उपस्थिति होगी
- बृहस्पति और चन्द्रमा का गजकेसरी योग भी होगा
- बुध और शुक्र का संयोग भी बना रहेगा
- माघ पूर्णिमा के स्नान से माघ मास के व्रत का भी पूरा फल मिलेगा
- माघ पूर्णिमा के स्नान से पुण्य के साथ अमृत तत्व भी पाया जा सकता है
- पूर्णिमा के दिन मध्य रात्रि का ध्यान और उपासना विशेष फलदायी होती है
- इससे व्यक्ति को बहुत जल्दी ईश्वरीय कृपा का अनुभव होता है

माघ पूर्णिमा पर कैसे करें स्नान
- सुबह स्नान के पहले संकल्प लें, फिर शीतल जल से स्नान करें
- साफ कपड़े पहनें, सफेद कपड़े पहनना उत्तम होगा
- इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें और मंत्र जाप करें
- माघ पूर्णिमा के दिन दान करना विशेष फलदायी होता है
- इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रखना उत्तम होगा

क्या सावधानी रखें
- माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और ध्यान के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए
- आज के दिन उपवास रखना उत्तम होगा
- इस दिन आहार, विहार और आचरण शुद्ध रखें
- पूर्णिमा की रात को शिव जी की उपासना जरूर करें
- पूर्णिमा की रात को सफेद फूल डालकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें

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इस पूर्णिमा पर खूब करें दान
पूरे माघ महीने में स्नान, दान और धर्म-कर्म का विशेष महत्व होता है. इस महीने की हर तिथि फलदायी मानी गई है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो माघ के महीने में किसी भी नदी के जल में स्नान करना गंगा स्नान करने जितना मंगलकारी होता है.
कहा गया है -
पुराणं ब्रह्म वैवर्तं यो दद्यान्माघर्मासि च,
पौर्णमास्यां शुभदिने ब्रह्मलोके महीयते।

'मत्स्य पुराण' के इस कथन के अनुसार, माघ मास की पूर्णिमा में जो व्यक्ति ब्राह्मण को दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. आज के दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न आदि का दान करना बहुत फलदायी होता है.

नौ ग्रहों के लिए नौ तरह के दान
- सूर्य के कारण ह्रदय रोग और अपयश की समस्या होती है. सूर्य की समस्याओं से मुक्ति के लिए गुड़ और गेहूं का दान करें.

- चन्द्रमा के कारण मानसिक रोग और तनाव के योग बनते हैं. इससे बचने के लिए जल, मिश्री या दूध का दान करें.

- मंगल के कारण रक्त दोष और मुकदमेबाजी की समस्या होती है. इससे बचने के लिए मसूर की दाल का दान करें.

- बुध के कारण त्वचा और बुद्धि की समस्या हो जाती है. इससे मुक्ति के लिए हरी सब्जियों और आंवले का दान करें.

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- बृहस्पति के कारण मोटापा, पाचन तंत्र और लीवर की समस्या होती है. इसका समाधान केले, मक्का और चने की दाल के दान में है.

- शुक्र के कारण मधुमेह और आंखों की समस्या होती है. इससे मुक्ति के लिए घी, मक्खन और सफेद तिल का दान करें.

- शनि के कारण लम्बी बीमारियां और नर्वस सिस्टम की समस्या होती है. इसके समाधान के लिए काले तिल और सरसों के तेल का दान करें.

- राहु व केतु के कारण विचित्र तरह के रोग हो जाते हैं. इससे मुक्ति के लिए सात तरह के अनाज, काले कम्बल और जूते-चप्पल का दान करें.

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