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विनायकी चतुर्थी व्रत: विघ्‍नहर्ता भगवान गण्‍ोश की उपासना का दिन

विनायकी चतुर्थी के दिन विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले कृपा के सागर भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी की पूजा करने का विधान है...

विनायकी चतुर्थी व्रत विनायकी चतुर्थी व्रत
वन्‍दना यादव
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यदि विनायकी चतुर्थी का यह व्रत मंगलवार को आता है, तो इसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है.

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विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से शीघ्र ही निवृत्त हों.
- दोपहर के समय अपने सामर्थ्‍य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें. गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं. गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं.
- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मण को दान कर दें. शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें.
- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें.
- ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें. संभव हो तो उपवास करें.
- व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है.

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