Advertisement

नल दमयंती की प्रेम कहानी से जानें क्या होता है पत्नी धर्म

निषध देश में वीरसेन के पुत्र नल नाम के एक राजा थे. बहुत सुन्दर और गुणवान थे. वे सभी तरह की अस्त्र विद्या में भी बहुत निपुण थे. उन्हें जुआ खेलने का थोड़ा शौक था. एक दिन राजा नल ने देखा कि बहुत से पक्षी उनके पास ही बैठे है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
रोहित
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

हर शादीशुदा व्यक्ति की अपनी पत्नी से कुछ अपेक्षाएं होती हैं. ठीक उसी तरह जिस तरह हर एक पत्नी की अपने पति से कुछ अपेक्षा होती है. लेकिन बदलते दौर में देखा गया है कि हम अपनी चीजें एक दूसरे पर थोपने लगे हैं. रिश्ते की डोर को इतना कमजोर कर दिया है कि हल्की-फुल्की बात पर भी लोग अलग होने का फैसला लेने में संकोच नहीं करते. आइए नल दमयंती की प्रेम कहानी से जानते हैं क्या होता है पत्नी धर्म.    

Advertisement

निषध देश में वीरसेन के पुत्र नल नाम के एक राजा थे. बहुत सुन्दर और गुणवान थे. वे सभी तरह की अस्त्र विद्या में भी बहुत निपुण थे. उन्हें जुआ खेलने का थोड़ा शौक था.

जानें, गणेश भगवान की किस रंग की मूर्ति हरेगी आपके कष्ट

राजा का वस्त्र लेकर उड़े पक्षी

एक दिन राजा नल ने देखा कि बहुत से पक्षी उनके पास बैठे हैं. जिनके पंख सोने के समान दमक रहे हैं. नल ने सोचा कि इनके पंख से कुछ धन मिलेगा. ऐसा सोचकर उन्हें पकड़ने के लिए नल ने उनपर अपना पहनने का वस्त्र डाल दिया. इससे पहले कि वह पक्षियों को पकड़ पाते वे उनका वस्त्र लेकर उड़ गए. अब नल नग्न होकर बड़ी दीनता के साथ मुंह नीचे करके खड़े हो गए.

कभी ना करें मां का अपमान, नहीं तो भोगने होंगे ये कष्ट

Advertisement

नल ने दमयन्ती से कही पासे की बात

पक्षियों ने कहा, 'तू नगर से एक वस्त्र पहनकर निकला था. उसे देखकर हमें बड़ा दुख हुआ था. ले! अब हम तेरे शरीर का वस्त्र लिए जा रहे हैं. हम पक्षी नहीं जुए के पासे हैं.' नल ने दमयन्ती से पासे की बात कह दी. तुम देख रही हो, यहां बहुत से रास्ते है. एक अवन्ती की ओर जाता है. दूसरा पर्वत होकर दक्षिण देश को. सामने विन्ध्याचल पर्वत है. यह पयोष्णी नदी समुद्र में मिलती है. सामने का रास्ता विदर्भ देश को जाता है. यह कौशल देश का मार्ग है.

दमयंती ने राजा से कहा. 'मैं आपके साथ रहकर आपके दुख दूर करूंगी'

इस प्रकार राजा नल दुख और शोक से भरकर बड़ी ही सावधानी के साथ दमयन्ती को भिन्न-भिन्न आश्रम मार्ग बताने लगे. दमयन्ती की आंखें आंसू से भर गईं. दमयन्ती ने राजा नल से कहा क्या आपको लगता है कि मैं आपको छोड़कर अकेली कहीं जा सकती हूं. मैं आपके साथ रहकर आपके दुख को दूर करूंगी. यह सुनकर नल प्रसन्न हो गए और भाव-विह्वल होकर पत्नी को गले लगा लिया.

इस प्रकार संकट से समय में दमयंती ने राजा नल का साथ देकर उनके दुख को दूर कर दिया. दुख के अवसरों पर पत्नी पुरुष के लिए औषधि के समान है. वह धैर्य देकर पति के दुख को कम करती है. साथ देने मात्र से वह अपने पति के लक्ष्य को बेहद आसान कर सकती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement