
नवरात्र के चौथे दिन मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. जानिये, क्या है मां के इस स्वरूप का महत्व...
नवरात्रि के चौथे दिन महत्व
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है, ऐसी मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब मां कुष्मांडा ने ब्रह्माण्ड की रचना की थी, मां कुष्मांडा ने मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न कर दिया था
मां कुष्मांडा के 8 हाथ हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते है मां के हाथों में धनुष, बाण, गदा, चक्र, कमल पुष्प, अमृत कलश और कमण्डल और जपमाला है. मां कूष्मांडा का वाहन शेर है.
मां कुष्मांडा की पूजा से क्या है लाभ
मां कूष्मांडा की पूजा से समस्त रोग दूर होते हैं.
मां कूष्मांडा की उपासना करने से आयु, यश और बल बढ़ता है.
मां कूष्मांडा थोड़ी पूजा-पाठ और भक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं
मां के स्वरूप का ध्यान करें
रोली लगाएं, अक्षत, पूष्प अर्पित करें
मंत्र का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषू मां कुष्माण्डा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां की आरती करें, भोग लगाएं, प्रसाद बांटें