उम्र सिर्फ एक संख्या है (Age is Just a number)... वैज्ञानिक ये कतई नहीं मानते. क्योंकि अब आपकी उम्र 30 साल कम हो जाएगी. यानी अगर आप 60 साल के हैं, तो आप 30 साल के दिखेंगे. ये तो टाइम ट्रैवल (Time Travel) जैसी फीलिंग है. क्योंकि वैज्ञानिकों ने इस काम को पूरा करने की तकनीक विकसित कर ली है. मजेदार बात ये हैं कि इस तकनीक का उपयोग शरीर के जिन हिस्सों में किया जाएगा, वो अपना पुराना काम भूलेंगे नहीं. बल्कि उन्हें और ज्यादा सक्रियता से करेंगे, जैसे युवावस्था में करते थे. (फोटोः गेटी)
इंग्लैंड स्थित बाब्राहम इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इसे 'टाइम जंप' तकनीक नाम दिया है. इससे आपकी त्वचा 30 साल युवा हो जाएगी. उसी हिसाब से काम भी करेगी. इस इंस्टीट्यूट में एपिजेनेटिक्स रिसर्च प्रोग्राम चलाया जा रहा है. इसके तहत वैज्ञानिक पुरानी कोशिकाओं को फिर से रीस्टोर करने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि वो मॉलीक्यूलर स्तर पर अपने जैविक उम्र को खोएं नहीं. (फोटोः गेटी)
यह स्टडी रिपोर्ट 8 अप्रैल 2022 यानी आज ही जर्नल eLife में प्रकाशित हुई है. जिसमें कहा गया है कि यह स्टडी और रिसर्च दोनों ही अपने प्राथमिक स्तर पर हैं, लेकिन तकनीक तो विकसित हो चुकी है. इसके जरिए रीजेनेरिटिव मेडिसिन (Regenerative Medicine) यानी वो दवाएं जो उम्र कम करती हैं, उनका भविष्य बदल जाएगा. (फोटोः गेटी)
क्या होती हैं रीजेनेरेटिव मेडिसिन (What is Regenerative Medicine?)
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी कोशिकाओं के काम करने की क्षमता कम होती चली जाती है. जीनोम बुढ़ापे की ओर जाने लगते हैं. रीजेनेरेटिव बायोलॉजी का मकसद है, पुरानी कोशिकाओं के बदले नई कोशिकाओं को डालना और पुरानी की मरम्मत करना. इस काम में हमारा शरीर भी मदद करता है. इसे इंड्यूस्ड स्टेम सेल (Induced Stem Cells) करते हैं. (फोटोः गेटी)
इंड्यूस्ड स्टेम सेल की प्रक्रिया कई स्टेप्स में पूरी होती है. ये कोशिकाएं इतनी सक्षम होती हैं कि वो किसी भी प्रकार की कोशिका में खुद को बदल सकती हैं. ताकि पुरानी कोशिका को हटाकर उसके जैसी नई कोशिका बन जाती हैं. ये ठीक वैसा ही है जैसे आप किसी इंसान की जगह ले लें. उसका काम करने लगे. उसकी तरह व्यवहार करने लगे और किसी को पता भी न चले. (फोटोः गेटी)
समय को बदलने जैसा है यह फॉर्मूला (New Time Travel Formula)
नोबल पुरस्कार विजेता साइंटिस्ट द्वारा विकसित यह तकनीक बुढ़ापे की समस्याओं को खत्म करने का पूरी क्षमता रखती हैं. खासतौर से युवा बनाने के प्रक्रियो को लेकर. ये बूढ़ी हो रही कोशिकाओं को हटाकर या उसकी मरम्मत करके ठीक करने की प्रक्रिया है. सामान्य कोशिकाओं को इस तरह के रीप्रोग्रामिंग कोशिका में बदलने का काम पहली बार साल 2007 में शिन्या यामानाका ने किया था. उन्होंने सामान्य कोशिका को इंड्यूस्ड स्टेम सेल में बदल दिया था. (फोटोः गेटी)
स्टेम सेल रीप्रोग्रामिंग का पूरा प्रोसेस 50 दिन का है. इस दौरान ये किसी भी तरह की कोशिकाओं में बदली जा सकती हैं. उन्हें शरीर में डालकर टारगेट किए गए अंग या उसकी कोशिकाओं जैसा काम करा सकते हैं. इसके लिए चार मुख्य मॉलीक्यूल्स बनाए गए हैं, जो यामानाका फैक्टर्स कहलाते हैं. इस नए तरीके को मैच्योरेशन फेज ट्रांजिएंट रीप्रोग्रामिंग (maturation phase transient reprogramming) कहते हैं. इसमें सिर्फ 13 दिन के लिए यामानाका फैक्टर्स को कोशिकाओं से मिलाया जाता है. (फोटोः गेटी)
आंशिक रूप से प्रोग्राम की गई कोशिकाओं को विकसित होने के लिए समय दिया जाता है. ताकि यह देखा जा सके कि जिस कोशिका को रीप्रोग्राम किया गया है, वो निर्धारित कोशिका की तरह काम कर रही है या नहीं. यह प्रक्रिया आमतौर पर त्वचा की कोशिकाओं (Fibroblasts) के लिए की गई थी. इसमें कोलैजन का उत्पादन अगर सही हो रहा है तो यह माना जाता है कि रीप्रोग्राम्ड कोशिका सही काम करेगी. वह युवा हो रही है. (फोटोः गेटी)
उम्र सिर्फ संख्या नहीं है... (Age isn't just a number)
उम्र सिर्फ एक संख्या है...यह कहकर अपना दिल बहलाने वाले और अन्य लोगों को प्रेरित करने वालों को के लिए यह जानना जरूरी है कि ऐसा नहीं होता. वैज्ञानिक कहते हैं कि उम्र सिर्फ संख्या नहीं है, वह एक बीमारी है. वह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें आपकी त्वचा ढीली पड़ने लगती है. कोशिकाएं काम करना कम या बंद कर देती हैं. अंग धीरे काम करते हैं. (फोटोः गेटी)
वोल्फ रीक्स लैब के पोस्टडॉक्टोरल स्टूडेंट डॉ. दिलजीत गिल ने कहा कि वैज्ञानिकों ने पिछले दशक में मॉलीक्यूलर स्तर पर बढ़ती हुई उम्र को काफी ज्यादा समझा है. उसे ठीक करने की प्रक्रिया विकसित की है. ताकि इंसानी कोशिकाओं को ठीक किया जा सके. या फिर उन्हें बदलकर नई रीप्रोग्राम्ड कोशिकाओं को बिठाया जा सके. हमने इसे लगभग हासिल कर लिया है. हम किसी भी कोशिका की उम्र को कई तरह से नापते हैं. (फोटोः गेटी)
डॉ. दिलजीत ने बताया कि किसी कोशिका की उम्र नापने के लिए सबसे पहला तरीका होता है, एपिजेनेटिक क्लॉक (Epigenetic Clock)...इसमें जीनोम में मौजूद केमिकल टैग्स आपकी उम्र बताते हैं. दूसरा है ट्रांसक्रिप्टोम (Transcriptome)...इसमें सभी कोशिकाओं से निकलने वाली जीन रीडआउट्स की जानकारी जमा की जाती है. इन दो तरीकों को ध्यान में रखकर नई कोशिकाएं रीप्रोग्राम की जाती हैं. (फोटोः गेटी)
डॉ. दिलजीत ने कहा कि हमने यह काम पूरा किया और अब कोशिकाएं 30 साल युवा हो गई हैं. हमने त्वचा की कोशिकाओं को रीप्रोग्राम किया यानी फाइब्रोब्लास्ट्स (Fibroblasts) को. ये सिर्फ दिखने में ही युवा कोशिकाएं नहीं थी, बल्कि ये युवा कोशिकाओं की तरह काम भी कर रही थीं. ये पहले कोलैजन का उत्पादन करती है. यह ऐसा पदार्थ है जो हमारी हड्डियों, स्किन टेंडन्स और लिगामेंट्स में पाए जाते हैं. ये घावों को भरने में मदद करते हैं. (फोटोः गेटी)
नई रीप्रोगाम की गई फाइब्रोब्लास्ट्स (Fibroblasts) सिर्फ युवा दिख ही नहीं रहीं, इसके अलावा वो ज्यादा तेजी से घाव भरने का काम भी कर रही हैं. कटी-फटी त्वचा वाली जगह पर जाकर पुरानी कोशिकाओं को हटाकर नई कोशिकाएं वहां पर कोलैजन रिलीज करके उसे ठीक कर रही हैं. घाव को भर रही हैं. (फोटोः गेटी)
भविष्य में इस तकनीक से कई बीमारियों का इलाज भी किया जा सकेगा. जैसे- अल्जाइमर्स या फिर उम्र संबंधी बीमारियों को सुधारा जा सकता है. अभी इस तकनीक पर और काम करना बाकी है. फिलहाल जो भी सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं, वो प्रयोगशालाओं में किए गए एक्सपेरीमेंट के आधार पर है. (फोटोः गेटी)