क्या आप जानते हैं कि चीटियों के दांत होते हैं? वह भी बेहद तेज. कभी न कभी काटा तो होगा ही. चीटियां अपने दांतों में धार भी डालती हैं ताकि वो तेज बने रहें. चीटियों के दांत एक बेहद ताकतवर हथियार होते हैं. जिनकी चौड़ाई इंसान के बाल से भी कम होती है. इसके बाद भी वह कई ऐसी चीजों को काट सकती हैं, जिसे काटने के लिए इंसान भी एक बार सोचता है. अब वैज्ञानिकों को यह पता चल गया है कि चीटियों के दांत इतने तेज और मजबूत कैसे होते हैं. (फोटोः गेटी)
आपको जानकर हैरानी होगी कि चीटियों के दांत (Ants Teeth) के ऊपर एक बेहद भारी धातु के एटम (Heavy Metal Atom) की पतली सी परत होती है, जो इसे बेहद मजबूत और तेज बनाती है. कुछ तकनीकों का उपयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने चीटियों के दांत को उसके जबड़े से अलग किया. इस दौरान उन्हें उनके दांत के ऊपर जिंक (Zinc) एटम्स की पतली परत देखी. यह परत चीटियों के दांत को मजबूत और तेज बनाती है. ये परत ठीक वैसी ही होती है जैसे ब्लेड की किनारों पर हीरे के बुरादे की पतली परत. (फोटोः गेटी)
वॉशिंगटन के रिचलैंड स्थित पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (PNNL) के मटेरियल साइंटिस्ट अरुण देवराज ने कहा कि वो और उनकी टीम के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह खोज की है. यह हाल ही में साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुई है. अरुण कहते हैं कि यह अजीब नमूना है प्रकृति का कि जिंक जैसे धातु की पतली परत चीटियों के दांत के ऊपर ठीक ब्लेड के किनारे लगी हीरे के बुरादे की तरह होती है. (फोटोः गेटी)
अरुण देवराज ने कहा कि मैं और मेरी टीम इस बात की खोज में लगी है कि कैसे प्रकृति ने यह इंजीनियरिंग पूरी की है. यह असल में एक शानदार इंजीनियरिंग है. इसके बाद अरुण देवराज कहते हैं कि उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगॉन के बायोफिजिसिस्ट रॉबर्ट शोफील्ड से मिले. रॉबर्ट शोफील्ड कीड़ों के दांतों के एक्सपर्ट हैं. उन्होंने बताया कि चीटियों के दांत, मकड़ी के डंक, बिच्छू के अगले पंजे और कीड़ों के जबड़े ऐसे ही प्राकृतिक टूल हैं जो छोटे होने के बाद भी बेहद ताकतवर, तेज और मजबूत होते हैं. (फोटोः गेटी)
अरुण ने इसके बाद और अध्ययन किया. उन्होंने बताया कि 1980 के बाद से वैज्ञानिक ऐसे दांतों के बारे में स्टडी कर रहे हैं. ये दो तरह के मटेरियल से बने होते हैं. पहला- कैल्सियम और आयरन से, जो दांतों और हड्डियों को बनाते हैं. दूसरा वो जो जिंक और मैन्गनीज से बने होते हैं. जैसे चीटियों के दांत. लेकिन अभी तक दांतों के ऊपर जिंक और मैन्गनीज की एटम की पतली परतों का बहुत ज्यादा खुलासा नहीं हो पाया है. (फोटोः गेटी)
चीटियों के दांत को अगर देखें तो इनके दांत मिट्टी के कणों जैसे छोटे-छोटे नुकीले रूप में दिखते हैं. इनके ऊपर चढ़ी एटम की परतें आज तक नहीं पढ़ी गईं. क्योंकि इनकी जानकारी हासिल करने के लिए खास तरीके सूक्ष्म तकनीक की जरूरत होती है. मटेरियल साइंस में एटॉमिक कणों की स्टडी करना काफी मुश्किल होता है. उनकी प्रॉपर्टीज को समझना थोड़ा कठिन होता है. (फोटोः गेटी)
अरुण ने चीटियों के दांतों के अध्ययन के लिए जिस तकनीक का उपयोग किया उसे एटम प्रोब टोमोग्राफी (Atom Probe Tomography) कहते हैं. इसमें दांत को एक वैक्यूम चैंबर में रखा जाता है. इसके बाद उसकी वाष्पीकरण यानी भाप बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है. यानी एक बार में एक एटम निकलता है. जब एटम भाप में निकलता है तब वह उसे देखकर यह पता करते हैं कि यह किस धातु का है. किस आकार का है. इसका क्या काम हो सकता है. (फोटोः गेटी)
असल में यह तकनीक बनाई गई थी इंसानों द्वारा बनाई गई सूक्ष्म पदार्थों के अध्ययन के लिए. लेकिन चीटियों के दांत इतने सूक्ष्म हैं कि इनके लिए भी एटम प्रोब टोमोग्राफी (Atom Probe Tomography) की जरूरत पड़ी. तब जाकर पता चला कि चीटियों के दांत के ऊपर ब्लेड पर लगे हीरे की परत की तरह जिंक की पतली परत होती है. (फोटोः गेटी)
अरुण ने बताया कि जिंक के एटम उसके दांतों पर चारों तरफ लिपटे होते हैं. जिससे दांत तेज और नुकीले हो जाते हैं. इसलिए चीटीं जब किसी चीज पर दांत गड़ाती हैं तब वह काफी तेजी से बड़ा हिस्सा निकाल लेती है. इसमें उसे कम ताकत लगानी पड़ती है. अगर यही तकनीक इंसान किसी बड़े यंत्र के लिए करे तो हो सकता है कि खनन या तोड़फोड़ के लिए किया जा सकता है. (फोटोः गेटी)