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साइंस न्यूज़

अरावली के आगे बच्चे हैं हिमालय के पहाड़, जानिए क्या है वजह?

ऋचीक मिश्रा
  • हैदराबाद,
  • 12 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST
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अक्सर ये खबर आती है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पहाड़ टूट गया. भूस्खलन और हिमस्खलन हो गया. ये सिर्फ हिमालय के पहाड़ों में ही क्यों होता है. देश के अन्य हिस्सों से पहाड़ के टूटने की खबर कम क्यों आती है. कभी सोचा है आपने कि दुनिया के 14 वो पहाड़ जो 8 हजार फीट की ऊंचाई से ज्यादा ऊंचे हैं, वो सिर्फ हिमालय में ही क्यों हैं. अगर अरावली से तुलना करें तो हिमालय बच्चा है. अरावली उसका दादा है. अभी वह लगातार उठ रहा है. माउंट एवरेस्ट भी हर साल कुछ सेंटीमीटर ऊपर जा रहा है. आइए समझते हैं कि इन दोनों पहाड़ों की रेंज का रिश्ता... (फोटोः ट्विटर/rdas121)

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हैदराबाद में आयोजित GeoSmart India में aajtak.in से खास बातचीत करते हुए IIT Roorkee के असिसटेंट प्रोफेसर, रिमोट सेंसिंग एक्सपर्ट सौरभ विजय ने बताया कि असल में धरती की उम्र करीब 450 करोड़ साल है. हमारी धरती ने बहुत कुछ देखा और सहा है. कभी वह आग के गोले की तरह धधकती रही, तो कभी बर्फ के चादर में ढंक गई. अब मुद्दा ये है कि अरावली और हिमालय के पहाड़ कैसे बने? (फोटोः गेटी)

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प्रो. सौरभ विजय ने बताया कि 250 से 54 करोड़ साल पहले भारत अफ्रीका महाद्वीप का हिस्सा था. उस दौर में अरावली के पहाड़ भारत में मौजूद थे. असल में धरती के कई हिस्से चलते रहते हैं. बिना रुके खिसकते रहते हैं. इसी के चलते अफ्रीका महाद्वीप से अलग होकर भारत का हिस्सा एशिया महाद्वीप की ओर बढ़ा. यानी पृथ्वी के दो भू-भाग आपस में टकराए. जब दो हिस्से टकराते हैं तो टकराने से कुछ जगह ऊपर उठने लगती हैं. जैसे - किसी एक कागज को टुकड़े को किसी मेज पर रखिए और दो विपरीत सिरों को एक दूसरे की तरफ धकेलिए. बीच का हिस्सा उठ जाएगा. (फोटोः गेटी)

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 भारत का हिस्सा जब एशिया के हिस्से से टकराया तब उससे हिमालय का निर्माण हुआ लेकिन भारत की धरती पर अरावली के पहाड़ तो पहले से मौजूद थे. ये पहाड़ 250 करोड़ साल पहले तक बनते रहे, उसके बाद रुक गए. इनके बनने की प्रक्रिया 54 करोड़ साल पहले बंद हो गई थी. लेकिन हिमालय की तब शुरू भी नहीं हुई थी. तकरीबन 35 करोड़ साल पहले हमारे भारत देश का भू-भाग अफ्रीका महाद्वीप से टूटकर अलग हो गया. फिर 30 करोड़ साल का लंबा सफर हिंद महासागर के रास्ते तय करते हुए 5 करोड़ साल पहले हमारा देश भारत का भू-भाग चीन की जमीनसे टकरा गया और हिमालय का जन्म हुआ. (फोटोः गेटी)
 

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पिछले 5 करोड़ साल में यह हिस्सा साल दर साल खिसकता रहा हैं और माउंट एवरेस्ट जैसी कई चोटियां बनती रही हैं. मिसाल के तौर पर आज के दिन माउंट एवरेस्ट की समुद्र तल से ऊंचाई 8,848 मीटर हैं और इसकी ऊंचाई हर साल 4 मिलीमीटर बढ़ती जा रही हैं. इसका मतलब 1000 साल बाद इसकी ऊंचाई 4 मीटर बढ़कर 8,852 मीटर हो जाएगी. (फोटोः गेटी)

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प्रो. सौरभ कहते हैं कि हिमालय की इन्हीं ऊंचाइयों की वजह से ही वहां बर्फ़बारी होती रही है. ग्लेशियर (बर्फीली नदी) बनते चले गए हैं. गंगा जैसी जीवनदायक नदी भी हिमालय के ग्लेशियर की ही देन हैं. यानी भारत का हिस्सा अफ्रीका से न टूटता तो न हिमालय बनते और न वहां से गंगा और बाकी की नदियां निकल पाती. न आज हमारा देश उतना उपजाऊ हो पाता. (फोटोः गेटी)

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हिमालय बनने का काम 5 करोड़ साल से अभी तक चल रहा हैं. अरावली के पहाड़ बनने का काम 54 करोड़ साल पहले ही रुक चुका हैं. अगर पहाड़ों के बनने के समय को इंसान की उम्र में बदला जाए तो अरावली के पहाड़ों की उम्र होगी 100 बरस और हिमालय की 10 बरस. इसलिए अरावली के पहाड़ को हिमालय का दादा भी कह सकते हैं. (फोटोः गेटी)

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एक बुजुर्ग दादा की तरह अरावली के पहाड़ों की सेहत भी गिर रही हैं. वो घिस रहे हैं. उनकी ऊंचाई कम हो रही हैं. बहती हवा की वजह से ऐसा हो रहा है. ये मुमकिन है कि आने वाले 50 करोड़ सालों में वह घिस कर काफी हद तक खत्म हो जाए. ये भी मुमकिन है कि इंसान अपनी जरूरतों के लिए अरावली के पहाड़ों को तोड़कर बिलकुल ही खत्म कर दे. (फोटोः गेटी)

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अगर आपको वैज्ञानिकों की बात पर यकीन न हो तो जिस संगमरमर की फर्श पर आप खड़े हैं और जो ग्रेनाइट का पत्थर आपकी रसोई की पट्टी पर लगा हैं, संभव हैं कि वो अरावली के पहाड़ों का काटकर ही आपके घर तक पंहुचा हो. एक बात और, कुछ वैज्ञानिको का मानना हैं कि अगर अरावली शृंखला न होती तो पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान दिल्ली तक होते. क्या कभी हम अरावली को देखकर उसकी अहमियत को समझ पाते हैं. (फोटोः गेटी)

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