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Hindu Kush Water System Break-down: हिंदूकुश-हिमालय से भारत समेत 16 देशों पर आने वाली है बड़ी आफत, चेतावनी

aajtak.in
  • बीजिंग,
  • 24 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:38 PM IST
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भारत और उसके आसपास के 16 देशों पर बड़ी मुसीबत आने वाली है. वजह बनेंगे हिंदूकुश और हिमालय के पहाड़. क्योंकि जलवायु परिवर्तन से इनका वाटर सिस्टम बिगड़ेगा. यानी इन पहाड़ों से निकलने वाली नदियों का स्रोत और बहाव बिगड़ेगा. इससे इन 16 देशों का अर्थव्यवस्था और ऊर्जा प्रणाली तार-तार हो जाएगी. 

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यह स्टडी चीन के थिंक टैंक चाइना वाटर ने करवाई है. उसके अनुसार हिंदूकुश और हिमालय से बहने वाली 10 प्रमुख नदियों की वजह से 190 करोड़ लोगों को पानी मिलता है. खेती-बाड़ी होती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. एक्स्ट्रीम वेदर यानी भयानक मौसम की वजह से जानलेवा खतरे सामने आ रहे हैं. 

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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इन नदियों में लगातार पानी कम होता जा रहा है. अगर इंसानों ने कार्बन उत्सर्जन कम नहीं किया तो पीने के लिए पानी भी नहीं मिलेगा. इन 16 देशों को जल और उससे मिलने वाली ऊर्जा को बचाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर ढांचागत विकास करना होगा. इन नदियों में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियां भी शामिल हैं. 

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जिन 10 नदियों की बात हो रही हैं, उसमें प्रमुख हैं- भारत की गंगा, ब्रह्मपुत्र, चीन की यांग्त्जे और यलो रिवर जो मेकॉन्ग और सालवीन नदियों के साथ सीमाएं बांटती हैं. ये नदियां भारत, नेपाल और दक्षिणपूर्व एशिया के 16 देशों की तीन-चौथाई हाइड्रोपावर को सपोर्ट करती हैं. इसके अलावा 44% कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट्स की मदद करती हैं. 

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पूरे जापान को बिजली सप्लाई करने के लिए 300 गीगावॉट से थोड़ा ज्यादा की जरुरत पड़ती है. लेकिन इन नदियों से पानी का बहाव कम हुआ या खत्म हुआ तो इन 16 देशों में 865 गीगावॉट बिजली सप्लाई रुक जाएगी. क्योंकि ये नदियां जिन इलाकों में हैं, वो अधिक या अत्यधिक स्तर की पानी की कमी बर्दाश्त कर रही हैं. 

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चीन के यांग्त्जे नदी का बेसिन पूरे देश की आबादी के एक तिहाई हिस्से को सपोर्ट करता है. साथ ही चीन की ऊर्जा सप्लाई का 15 फीसदी हिस्सा इसी नदी से जेनरेट होता है. पिछले साल इस नदी से भयानक सूखे का सामना किया था. जिसकी वजह से चीन में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी. 

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जैसे ही सूखे की बात आई, अलग-अलग देशों ने दर्जनों नए कोयला आधारित पावर प्लांट लगाने के आदेश दे दिए. ताकि बिजली की सप्लाई बाधित न हो. लेकिन कोयला आधारित पावर प्लांट में भी काफी ज्यादा मात्रा में पानी की जरुरत पड़ती है. अगर ऐसे ही पानी और कोयले का दुरुपयोग होता रहा तो भारत और चीन के सामने बड़ी समस्याएं आएंगी. 

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अब जैसे-जैसे जलवायु संबंधी दिक्कतें बढ़ रही हैं. दुनिया भर के देश भयानक दबाव में आ रहे हैं. अपनी नीतियां बदल रहे हैं. ताकि जलस्रोतों और ऊर्जा की सप्लाई को बचा सकें. लेकिन अपने-अपने देश में इन बेहद जरूरी चीजों को बचाने के लिए पहले लोगों को जागरूक करना होगा. साथ ही सख्त नियम बनाने होंगे. 

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