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Lunar Eclipse March 2025: करीब ढाई साल बाद पहला पूर्ण 'ब्लड मून' ग्रहण 14 को, दुर्लभ है ये घटना

आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
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14 मार्च 2025 को चांद लाल रंग का दिखेगा. 13 की रात और 14 की सुबह दिखाई देगा. उसी दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण भी है. यह दुर्लभ खगोलीय घटना है. क्योंकि इस बार चांद खूनी लाल रंग का दिखाई देगा. वैज्ञानिक इसे सुपर लूनर इवेंट कह रहे हैं. क्योंकि पूर्ण ग्रहण भी होगा और चांद का रंग खूनी लाल रंग का भी रहेगा.   (फोटोःगेटी)

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चंद्र ग्रहण तब होता है जब धरती की परछाई चांद के पूरे या आंशिक हिस्से को ढक लेती है. या फिर ऐसे समझे कि जब चांद और सूरज के बीच धरती आ जाती है तब चंद्र ग्रहण होता है. चांद अपनी कक्षा में पांच डिग्री झुका हुआ है. इसलिए फुल मून धरती की परछाई के या थोड़ा ऊपर रहता है या फिर थोड़ा नीचे. लेकिन चांद अपनी कक्षा में दो बार ऐसी स्थिति में आता है जब वह धरती और सूरज के सामने एक ही हॉरिजोंटल प्लेन पर रहता है. न ऊपर न नीचे. यानी एक लाइन में. इसलिए ऐसे में पूर्ण चंद्र ग्रहण लगता है. (फोटोःगेटी)

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जब चांद धरती की परछाई के पीछे पूरी तरह से ढक जाएगा तब इस पर सूरज की कोई रोशनी नहीं पड़ रही होगी. यह अंधेरे में चला जाएगा. लेकिन चांद कभी पूरी तरह से काला नहीं होता. यह लाल रंग का दिखने लगता है. इसलिए कई बार पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या खूनी चांद भी कहते हैं. अब बताते हैं कि लाल रंग क्यों? सूरज की रोशनी में हर तरह के विजिबल रंग होते हैं. (फोटोःगेटी)

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धरती के वायुमंडल में मौजूद गैस इसे नीले रंग का दिखाती हैं. जबकि, लाल रंग की वेवलेंथ इसे पार कर जाती है. इसे रेलीग स्कैटरिंग (Rayleigh Scatterinhg) कहते हैं. इसलिए आपको आसमान नीला और सूर्योदय और सूर्यास्त लाल रंग का दिखता है. चंद्र ग्रहण के समय धरती के वायुमंडल से लाल रंग की वेवलेंथ पास करती है. ये वायुमंडल की वजह से मुड़कर चांद की ओर जाती है. यहां नीला रंग फिल्टर हो जाता है. इसकी वजह से चांद का रंग लाल दिखता है. (फोटोःगेटी)

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अगर आपको चंद्र ग्रहण देखना है तो आपको धरती के उस हिस्से में रहना होगा जहां रात हो. वैसे इस बार पूर्ण चंद्र ग्रहण प्रशांत महासागर की एशिया, मध्य रेखा, अमेरिका, अफ्रीका और कनाडा, ग्रीनलैंड का दक्षिणी हिस्से पर दिखाई देगा. (फोटोःगेटी)

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पहली बात तो ये समझते हैं कि सुपरमून क्या होता है? चांद जब धरती के नजदीक आ जाता है तब उसका आकार 12 फीसदी बड़ा दिखता है. आमतौर पर चांद की दूरी धरती से 406,300 किलोमीटर रहती है. लेकिन जब यह दूरी कम होकर 356,700 किलोमीटर हो जाती है तब चांद बड़ा दिखाई देता है. इसलिए इसे सुपरमून कहते हैं. (फोटोःगेटी)

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चांद इस समय अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय धरती के नजदीक आता है. क्योंकि चांद धरती के चारों तरफ गोलाकार चक्कर नहीं लगाता. यह अंडाकार कक्षा में घूमता है. ऐसे में इसके धरती के नजदीक आना तय होता है. नजदीक आने की वजह से इसकी चमक भी बढ़ जाती है. (फोटोःगेटी)

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