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साइंस न्यूज़

Indian Army Battle Tanks: टैंक, गन्स और हॉवित्जर... इंडियन आर्मी के इन गोलों से दुश्मन के भूत भी भागते हैं...

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST
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तोपों (Tanks) की कई कैटेगरी होती है. आम भाषा में टैंक यानी तोप उसे कहते हैं, जो गोला दागता है. इसलिए इस श्रेणी में आने वाले सभी तोप इस सूची में शामिल हैं. आपके अपने देश के इन तोपों की ताकत और रेंज जानकर बेहद गर्व महसूस होगा. ऐसे 12 हथियार हैं, जिन्हें अर्जुन, भीष्म, अजेय, विजयंत आदि नामों से बुलाया जाता है. ये जब सीमा पर या जंग के मैदान में गोले दागते हैं, तो कई किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को मौत आती साफ दिखती है. (फोटोः गेटी)

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अर्जुन (Arjun Main Battle Tank)

भारतीय सेना के पास साल 2004 से अब तक यह सर्विस दे रहा है. यह देश की सेना का मुख्य युद्धक टैंक है. देश में इन 120 मिलीमीटर बैरल वाले टैंकों की संख्या 141 है. इसके दो वैरिएंट्स हैं- पहला एमके-1 और एमके-1ए. एमके-1 आकार में एमके-1ए से थोड़ा छोटा है. दोनों ही टैंकों में चार क्रू बैठते हैं. दोनों टैंक एक मिनट में 6 से 8 राउंड फायर कर सकते हैं. एक टैंक में 42 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. अर्जुन टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है. इस टैंक ने कई अंतरराष्ट्रीय वॉरगेम्स में भाग लिया है. ऐसी संभावना है कि बहरीन और कोलंबिया इसे खरीदें. 

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टी-90 भीष्म (T-90 Bhisma)

टी-90 टैंक रूस का मुख्य युद्धक टैंक है, जिसे भारत ने अपने हिसाब से बदलकर उसका नाम भीष्म रख दिया है. 2078 टैंक सेवा में है. 464 का ऑर्डर दिया गया है. भारत ने रूस के साथ डील किया है कि वह 2025 तक 1657 भीष्म को ड्यूटी पर तैनात कर देगा. इस टैंक में तीन लोग ही बैठते हैं. यह 125 मिलिमीटर स्मूथबोर गन है. इस टैंक पर 43 गोले स्टोर किए जा सकते हैं. यह 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चल सकता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर है. इस टैंक के रूसी वर्जन का उपयोग कई देशों में किया जा रहा है. इस टैंक ने दागेस्तान के युद्ध, सीरियन नागरिक संघर्ष, डोनाबास में युद्ध, 2020 में हुए नागोमो-काराबख संघर्ष और इस साल यूक्रेन में हो रहे रूसी घुसपैठ में काफी ज्यादा मदद की है. 

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टी-72 अजेय (T-72 Ajeya)

सोवियत युग का टैंक जिसने कई साल भारतीय सेना में सेवाएं दी हैं. 2410 टैंक भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं. 1000 टी-72 अजेय टैंक्स को अपग्रेड करने के लिए रूस, पोलैंड और फ्रांस के पास भेजना पड़ता है. जंग के लिए नया अजेय तैयार है. उसका उत्पादन भारत में होगा.  यह दुनिया के कई सारे देशों में उपयोग होता है. जिन देशों में यह टैंक उपयोग में लाया जा रहा है, उनकी कुल संख्या करीब 25 हजार है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 460 किलोमीटर है. इसमें भी 125 मिलीमीटर स्मूथबोर गन लगी है. इसकी अधिकतम गति सतह और वैरिएंट के हिसाब से 60 से 75 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

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के9-वज्र टी (K-9 Vajra-T)

155 मिलीमीटर की सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है के9-वज्र टी. ऐसे 100 तोप भारतीय सेना में तैनात हैं. इसके अलावा 200 तोप और आ सकते हैं. असल में इसे दक्षिण कोरिया बनाता है. लेकिन भारत में इसे देश की परिस्थितियों के हिसाब से बदल दिया गया. यह काम स्वदेशी कंपनी ही कर रही है. इसके गोले की रेंज 18 से 54 किलोमीटर तक है. मतलब इतनी दूर बैठा दुश्मन बच नहीं सकता. इसका उपयोग अभी चीन के साथ हुए संघर्ष के दौरान भी किया गया था. इसमें 48 राउंड गोले स्टोर होते हैं. ऑपरेशनल रेंज 360 किलोमीटर और अधिकतम कति 67 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

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धनुष (Dhanush)

155 mm/45 कैलिबर टोड हॉवित्जर धनुष को साल 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया है. यह बोफोर्स तोप का स्वदेशी वर्जन है. फिलहाल सेना के पास 12 धनुष है. 114 का ऑर्डर गया हुआ है. जिनकी संख्या अंत तक बढ़ाकर 414 की जा सकती है. अब तक 84 बनाए जा चुके हैं. इसे चलाने के लिए 6 से 8 क्रू की जरूरत होती है. इसके गोले की रेंज 38 किलोमीटर है. बर्स्ट मोड में यह 15 सेकेंड में तीन राउंड दागता है. इंटेंस मोड में 3 मिनट में 15 राउंड और संस्टेंड मोड में 60 मिनट में 60 राउंड. यानी जरूरत के हिसाब से दुश्मन के छक्के छुड़ा सकता है. 

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एम777 (M777)

155 mm लाइट टोड हॉवित्जर अमेरिका से भारत मंगाया गया है. करीब 110 हॉवित्जर भारतीय सेना में तैनात हैं. 145 और ऑर्डर किए गए हैं, जिनकी एसेंबलिंग भारत में ही एक स्वदेशी निजी कंपनी द्वारा की जाएगी. इस हॉवित्जर ने अफगानिस्तान युद्ध, इराक वॉर, सीरिया वॉर समेत कई युद्धों में अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है. इसे चलाने के लिए 8 क्रू की जरूरत होती है. यह एक मिनट में 7 गोले दाग सकता है. इसके गोले की रेंज 24 से 40 किलोमीटर है. इसका गोला करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से चलता है. 

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हॉबिट्स FH77A/B बोफोर्स (Haubits FH77A/B Bofors) 

भारत के पास कुल 410 बोफोर्स तोप हैं. जिन्हें 2035 तक धनुष हॉवित्जर से बदल दिया जाएगा. इस तोप का गोला 24 किलोमीटर तक जाता है. यह 9 सेकेंड में 4 राउंड फायर करता है. कारगिल युद्ध के समय इसी तोप के गोलों ने हिमालय की चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी दुश्मनों को मार गिराया था. अब भारत के पास इससे बेहतर धनुष हॉवित्जर है. 

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एम-46 शारंग (M-46 शारंग)

यह एक फील्ड गन है. इसके दो वैरिएंट्स है- 133 मिलीमीटर और 155 मिलीमीटर. भारत के पास ऐसे 1100 फील्ड गन्स है. यह तीन रेट में फायर करता है. आमतौर पर एक मिनट में 6 राउंड. बर्स्ट मोड पर 8 और सस्टेंड मोड पर 5 राउंड. इसका गोला करीब एक किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दुश्मन की ओर बढ़ता है. इसके गोले की रेंज 27.5 किलोमीटर से लेकर 38 किलोमीटर तक है. 

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ओएफबी इंडियन फील्ड गन (OFB Indian Field Gun)

भारतीय सेना के पास 1700 ऐसे तोप हैं. फिलहाल इन्हें अपग्रेड किया जा रहा है. इनकी रेंज को बढ़ाकर 30 किलोमीटर किया जा रहा है. जो अभी 17 से 20 किलोमीटर है. इसके गोले की गति 475 मीटर प्रति सेकेंड है. इसका कम वजन इसे कहीं भी ले जाने में मदद करता है. पूरी तरह से देश में बने इस तोप ने कई लड़ाइयों में मदद की है. भारत ने म्यांमार को भी ये गन आंतकियों से लड़ने के लिए दी थी. 

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विजयंत (Vijayanta MBT)

भारत में ऐसे 200 तोप हैं. इसे एलओसी के पास तैनात किया गया है. इस टैंक ने 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. इसे चार लोग चलाते हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर है. टैंक की अधिकतम गति 50 किलोमीटर प्रतिघंटा है. 

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टी-55 एमबीटी (T-55 MBT)

भारतीय सेना के पास ऐसे करीब 700 टैंक हैं. इसकी ऑपरेशनल रेंज 325 किलोमीटर है. अधिकतम गति 51 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसे चार लोग मिलकर चलाते हैं. पाकिस्तान के साथ नैनाकोट के युद्ध में इस टैंक ने पाक सेना की हालत खराब कर दी थी. 1971 में बसंतर के युद्ध में भी पाकिस्तान के छ्क्के छुड़ा दिए थे. यह टैंक 40 से ज्यादा युद्धों में पूरी दुनिया में उपयोग हो चुका है. 

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डीआरडीओ एटीएजीएस (DRDO ATAGS)

155 mm की यह गन भारतीय सेना के पास फिलहाल 7 हैं. साल 2016 में इसका पहला परीक्षण हुआ था. 40 तोपों का ऑर्डर किया हुआ है. इसके अलावा 150 और तोप बनाए जाएंगे. इसे चलाने के लिए 6 से 8 लोगों की जरूरत पड़ती है. बर्स्ट मोड में 15 सेकेंड में 3 राउंड, इंटेस में 3 मिनट में 15 राउंड और 60 मिनट में 60 राउंड फायर करता है. इसकी फायरिंग रेंज 48 किलोमीटर है. लेकिन इसे बढ़ाकर 52 करने का प्रयास किया जा रहा है. 

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