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Jeff Bezos की अंतरिक्ष यात्रा में होगा ऑटोमैटिक लॉन्च, सेफ्टी पर उठे सवाल

aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 19 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:11 AM IST
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20 जुलाई 2021 की शाम करीब 6.30 बजे अपने रॉकेट में बैठकर दुनिया के सबसे रईस इंसान जेफ बेजोस (Jeff Bezos) अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएंगे. अगर उनकी यात्रा सफल हुई तो यह ऐतिहासिक यात्रा होगी, लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या जेफ बेजोस इस यात्रा में सही सलामत रहेंगे? क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है कि रॉकेट और कैप्सूल पूरी तरह से ऑटोमैटिक है. इसमें बैठे इंसान या मास्टर कंट्रोल सेंटर को लॉन्च कमांड देने के बाद कुछ नहीं करना है. क्या ये पूरी से तरह से ऑटोमैटिक लॉन्चिंग सफल होगी? (फोटोः Blue Origin)

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दुनिया भर के स्पेस एक्सपर्ट्स का मानना है कि जेफ बेजोस (Jeff Bezos) अपनी कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) के रॉकेट और कैप्सूल न्यू शेफर्ड (New Shepard) में सुरक्षित रहेंगे. लेकिन जेफ खुद इसे लेकर थोड़ा डरे हुए भी हैं. जिसे वो दिखा नहीं रहे. क्योंकि इससे पहले अंतरिक्ष में कोई भी रॉकेट पूरी तरह से ऑटोमैटिक मोड पर लॉन्च नहीं किया गया, न ही किसी कैप्सूल ने यात्रियों को इस मोड में स्पेस की यात्रा कराई है. (फोटोः एपी)

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अमेजॉन (Amazon) के पूर्व सीईओ जेफ बेजोस और ब्लू ओरिजिन स्पेस कंपनी के मालिक 20 जुलाई यानी मंगलवार को न्यू शेफर्ड कैप्सूल में बैठकर 11 मिनट की अंतरिक्ष यात्रा करेंगे. उनके साथ तीन और यात्री भी जा रहे हैं. इस लॉन्च को जानबूझकर 20 जुलाई को रखा गया है क्योंकि इसी दिन अपोलो 11 (Apollo 11) ने चांद पर लैंडिंग की थी. अपोलो 11 के लैंडिंग की यह 52वीं वर्षगांठ है. (फोटोः Blue Origin)

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द न्यू शेफर्ड (The New Shepard) कैप्सूल पूरी तरह से ऑटौमैटिक है. यह अपने अंदर 6 पैसेंजर को बिठाकर अंतरिक्ष की यात्रा करा सकता है. इसे मंगलवार की शाम करीब 6.30 बजे वेस्ट टेक्सास से लॉन्च किया जाएगा. लॉन्च होने के बाद यह 110 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा. कैप्सूल से रॉकेट पहले ही अलग हो जाएगा और सुरक्षित तरीके से वापस लैंड हो जाएगा. जबकि, कैप्सूल कुछ मिनटों तक अंतरिक्ष की सीमा तक जाकर वापस पैराशूट के सहारे नीचे लैंड होगा. (फोटोः गेटी)

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Asti Group के सीईओ और NASA के लिए दशकों तक सिस्टम इंजीनियर रहे जोसेफ फ्रैगोला ने ब्लू ओरिजिन की लॉन्चिंग से जुड़े खतरों की गणना की है. उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में लॉन्चिंग हमेशा से ज्यादा खतरनाक रही है. किसी भी लॉन्चिंग का खतरा उसे करने वाली कंपनी के अनुभव से जोड़ा जाता है. कितनी लॉन्चिंग इस कंपनी ने की है. किस तरह के रॉकेट इंजन का उपयोग कर रहे हैं. ब्लू ओरिजिन पहली बार ऐसा लॉन्च करने जा रही है, जो आजतक किसी ने नहीं किया. (फोटोः Blue Origin)

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जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन कंपनी ने द न्यू शेफर्ड (The New Shepard) की 15 बार ट्रायल फ्लाइट ली है. ये सारी फ्लाइट्स में से सिर्फ एक उड़ान आंशिक रूप से गड़बड़ हुई थी. जिसमें पैसेंजर कैप्सूल तो सुरक्षित उतरा था, लेकिन रॉकेट बूस्टर क्रैश कर गया था. इन सारे परीक्षणों में कैप्सूल के अंदर कोई इंसान नहीं बैठा था. यह पूरी तरह से मानव रहित उड़ानें थीं. जोसेफ फ्रैगोला ने कहा कि यह बेहद सकारात्मक पहलू है कि इनकी उड़ानें सफल रही हैं. (फोटोः गेटी)

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नासा के लिए काम कर चुकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ब्लेक पुटनी ने कहा कि द न्यू शेफर्ड (The New Shepard) पृथ्वी की कक्षा में नहीं जा रहा है. वह सिर्फ अंतरिक्ष के दरवाजे तक जाकर लौट आएगा. उसमें बेहद ताकतवर लेकिन साधारण इकलौता इंजन लगा है. ब्लू ओरिजिन के मुताबिक न्यू शेफर्ड का बीई-3 इंजन 50 हजार किलोग्राम का थ्रर्स्ट लॉन्च के समय पैदा करेगा. यह नासा के किसी भी स्पेस शटल बूस्टर से कई गुना कम है. NASA के मुताबिक उसके रॉकेट बूस्टर लॉन्च के समय 5.44 लाख किलोग्राम थ्रर्स्ट पैदा करते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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ब्लेक पुटनी कहती हैं कि किसी भी अंतरिक्ष उड़ान का रिस्क इस बात से देखा जाता है कि आपका रॉकेट इंजन कितना ताकतवर और जटिल है. यह फेल होने में कितना समय लेगा. स्पेस शटल के इंजन इस मामले में किसी शैतान से कम नहीं थे. ये काफी ज्यादा समय तक चलते रहते हैं, क्योंकि ये यात्रियों को अंतरिक्ष में लेकर जाते थे. 1986 के चैलेंजर हादसे के बाद जब गणना हुई थी, तब कहा गया था कि 120 में एक बार फेल होने का खतरा है. जबकि स्पेस शटल प्रोग्राम 30 साल तक चला और इस दौरान 135 लॉन्च किए गए. इस पूरे समय में सिर्फ दो हादसे हुए. (फोटोः Blue Origin)

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ब्लेक और जोसेफ ने एक साथ यह बात कही कि ब्लू ओरिजिन ने अनुभवी इंजीनियरों को इस काम में लगाया है इसलिए खतरा कम है. यह खतरा 1000 के अनुपात में 1 बार ही है. क्योंकि यहां काम करने वाले इंजीनियर बेहद जटिल लॉन्च को करने में सक्षम हैं. एस्ट्रोनॉट्स ऐसे खतरों को समझते हैं, लेकिन आम इंसान इन खतरों से वाकिफ नहीं होता, इसलिए उसे डर लगता है. जोसेफ फ्रैगोला ने कहा कि अमेरिकी विमान से इसकी तुलना करना बेवकूफी होगी. क्योंकि वहां पर खतरा 1 करोड़ उड़ानों में एक हादसे का होता है. (फोटोः Blue Origin)

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जोसेफ फ्रैगोला ने कहा कि ब्लू ओरिजिन के अब तक के अनुभव को देखते हुए अगर खतरे की गणना करें तो यह 100 उड़ानों में 1 हादसे से लेकर 500 उड़ानों में 1 हादसे के बीच है. इसका सबसे उपयुक्त जवाब होगा 200 उड़ानों में एक हादसे की आशंका. यानी जेफ बेजोस सुरक्षित उड़ान भरेगा लेकिन अंतरिक्ष की यात्रा में कब क्या हो जाए इसके बारे में कुछ भी कहना अंसभव है. (फोटोः रॉयटर्स)

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द न्यू शेफर्ड (The New Shepard) कैप्सूल रॉकेट इंजन से काफी दूर सेट किया गया है. इसमें आपदा या हादसे की आशंका में अलग होने की पूरी तकनीक है. इसलिए इस कैप्सूल में बैठे हुए लोगों के सुरक्षा की गारंटी ली जा सकती है. एबॉर्ट प्रोसीजर को देखें तो कैप्सूल में बैठे लोगों को सुरक्षित बचने की संभावना 80 फीसदी से ज्यादा होती है. इसलिए जोसेफ फ्रैगोला ने कहा कि इस यात्रा में जेफ बेजोस और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका नहीं है. यह आशंका 1000 में 1 के बराबर है. (फोटोः AP)

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नेशनल सेफ्टी काउंसिल के मुताबिक 1000 में 1 बार हादसा होने की आशंका किसी अमेरिकी के पूरे जीवनकाल में एक बार डूबकर मरने जैसा होता है. ब्लेक पुटनी ने कहा कि हादसे की दूसरी सबसे बड़ी वजह हो सकती है पैराशूट सिस्टम का का गड़बड़ होना. अगर यह नहीं खुला या फिर तेज हवा रही तो पैराशूट की मदद से लैंडिंग में काफी ज्यादा दिक्कत हो सकती है. इससे अंदर बैठे लोगों को चोट लग सकती है या फिर गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं. (फोटोः गेटी)

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ब्लेक कहती हैं कि अच्छी बात ये है कि द न्यू शेफर्ड (The New Shepard) की उड़ान बहुत छोटी है. इसलिए इसे उड़ाने वाले ऑपरेटर्स मौसम का सही अंदाजा लगा सकते हैं. इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है. मौसम ठीक रहेगा तो पैराशूट सिस्टम सही से काम करेगा. लैंडिंग में कोई दिक्कत नहीं आएगी. यह खतरा ठीक वैसा ही है जैसा साल 2012 में ऑस्ट्रेलिया के डेयर डेविल फेलिक्स बॉमगॉर्टनर ने 1.20 लाख फीट की ऊंचाई से यानी अंतरिक्ष से सुरक्षित जंप किया था. हालांकि खतरा उसमें भी उतना ही था, जितना इस बार ब्लू ओरिजिन की उड़ान में है. (फोटोः रॉयटर्स)

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जोसेफ फ्रैगोला ने कहा कि आज के रॉकेट लॉन्च फेल्योर की आशंका ठीक वैसी ही है, जैसी 1930 में शुरु हुए विमान उड़ानों की थी. उस समय डगलस डीसी-3 यात्री विमान उड़ानों में विफल हो रहे थे. उस समय इनके हादसों की दर उतनी ही थी, जितनी आज के समय के ताकतवर और सर्वश्रेष्ठ रॉकेटों की होती है. लेकिन इसके बावजूद उस समय लोग विमानों में उड़ना पसंद करते थे. हम लोग आज रॉकेट में बैठने के बाद उसी काल में चले जा रहे हैं, जैसा की डीसी-3 के समय था. (फोटोः गेटी)

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