न्यूयॉर्क (New York) लगातार डूब रहा है. धंस रहा है. क्योंकि उसके भूगोल को बिगाड़ रही हैं उसके ऊपर बनी ऊंची-ऊंची वजनी इमारतें. ये इमारतें ही न्यूयॉर्क शहर को पाताल में धंसा देंगी. तकनीकी भाषा में इसे सब्सिडेंस (Subsidence) कहते हैं. यानी एक बड़े जमीन के टुकड़े का अचानक से धंस जाना. (फोटोः गेटी/अनस्प्लैश/पेक्सेल/पिक्साबे)
आमतौर पर ऐसा जमीन के अंदर गड्ढा या जगह बनने से होता है. तब ऊपर की सतह धंस जाती है. लेकिन किसी शहर का वजन उसे धंसा रहा हो यह स्टडी पहली बार की गई है. न्यूयॉर्क हर साल 1 से 2 मिलिमीटर धंस रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह उसके ऊपर बनी अत्यधिक ऊंची इमारतें हैं. जबकि इस शहर में 3.40 लाख सुपर रिच लोग रहते हैं. यह शहर दुनिया का सबसे अमीर शहर कहलाता है.
कुछ मिलिमीटर धंसने पर हो सकता है आपको डर न लगे. लेकिन शहर का कुछ हिस्सा तो बहुत ही तेजी से धंस रहा है. जो डरावना है. न्यूयॉर्क के ऐसे इलाकों में करीब 80 लाख लोग रहते हैं. ये सभी इलाके निचले हैं. ये तेजी से धंस रहे हैं. इनमें पानी भरने का खतरा हमेशा बरकरार है. समुद्री दीवार बनाकर लहरों को रोकना भी सही नहीं होगा.
यूएसजीएस के जियोलॉजिस्ट टॉम पार्सन्स और यूनिवर्सिटी ऑफ रोडे आइलैंड के उनके साथियों ने कहा कि समुद्री दीवार से भी शहर का ही वजन बढ़ेगा. इस स्टडी का मकसद ये है कि लोगों को पता चले कि अब तटों के किनारे, नदियों के आसपास, झीलों के सामने इमारत खड़ी पर जमीन धंसने का खतरा बढ़ता जा रहा है.
टॉम पार्सन्स ने कहा कि इससे भविष्य में बाढ़ का भी खतरा रहता है. 2020 तक इंसानों ने कई चीजों को बनाकर धरती पर वजन बढ़ा दिया था. दुनिया में जितनी भी चीजें बनाई गई हैं, उन सब का वजन पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों के वजन से ज्यादा है. इमारतें और सड़कें सभी पेड़ों और झाड़ियों के वजन से ज्यादा है.
टॉम और उनके साथियों ने न्यूयॉर्क सिटी की 10 लाख इमारतों का वजन निकाला. ये है 764,000,000,000 किलोग्राम. यानी 76,400 करोड़ किलोग्राम. साथ ही उन्होंने शहर को 100x100 वर्ग मीटर के ग्रिड में बांट दिया. इसके बाद इमारतों के वजन को ग्रैविटी के हिसाब से नापा कि इनसे कितना प्रेशर न्यूयॉर्क की सतह पर पड़ रहा है.
इस स्टडी में सिर्फ इमारतों का वजन लिया गया है. इसमें सड़कों, ब्रिज, रेलवे व अन्य स्थानों का वजन शामिल नहीं है. इस स्टडी की बदौलत वैज्ञानिकों को न्यूयॉर्क शहर के भूगोल का अध्ययन करने में आसानी होगी. न्यूयॉर्क की जमीन रेत, सिल्ट, क्ले और बेडरॉक से बनी है.
क्ले से बनी मिट्टी और जमीन के धंसने की आशंका ज्यादा रहती है. मैनहटन पिछले कुछ दशकों में 294 मिलिमीटर धंस चुका है. खासतौर से बड़ी इमारतों के बनने के बाद. टॉम और उनके साथियों ने न्यूयॉर्क की स्टडी सैटेलाइट डेटा की मदद से की है. जिसमें शहरीकरण की बढ़ी हुई मात्रा का पता चलता है.
लगातार खनन, ड्रेनेज, नींव की खुदाई, बड़ी मशीनों से ड्रिलिंग करने पर जमीन के धंसने का खतरा बढ़ जाता है. सिर्फ न्यूयॉर्क ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया का जकार्ता भी धंसने के कगार पर है. साल 2050 तक यह शहर समुद्र में डूब चुका होगा. कई हिस्से 11 सेंटीमीटर पानी के अंदर होंगे.
मैनहटन अभी समुद्री जलस्तर से मात्र एक या दो मीटर ही ऊपर है. 2012 में आया तूफान सैंडी और 2021 के इडा तूफान ने ये दिखा दिया है कि कैसे मजबूती से बने शहर भी पानी में डूब सकते हैं. बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं. पूरी दुनिया के तटीय शहरों को इस तरह का खतरा है.