दुनिया का पहला कंप्यूटर था एंटीकीथेरा मैकेनिज्म (Antikythera Mechanism). इसका पहला हिस्सा 1901 में ग्रीक दीप एंटीकीथेरा के तट के नीचे समुद्र से मिला था. इसे स्पंज गोताखोरों (Sponge divers) ने रोमन युग के एक जहाज के मलबे से निकाला था. एंटीकीथेरा मैकेनिज्म को दुनिया का पहला कंप्यूटर माना जाता है. पहला हिस्सा मिलने के बाद इसके बाकी हिस्सों की भी खोज जारी थी. वैज्ञानिक और इतिहासकार लगातार इसकी स्टडी करने में जुटे थे. (फोटोः गेटी)
सालों पहले वैज्ञानिकों ने पता लगाया था कि यह डिवाइस कांसे का बना एक खगोलीय कैलकुलेटर (Astronomical Calculator) था, जिससे प्राचीन यूनानी सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के साथ-साथ ग्रीक एथलेटिक प्रतियोगिताओं की साइकल को ट्रैक करते थे. शोधकर्ताओं ने 2021 में बताया कि उन्होंने 2,000 साल पुराने मैकेनिकल डिवाइस के कॉसमॉस पैनल का पहला पूरा डिजिटल मॉडल बनाया था. (फोटोः गेटी)
साथ ही, उन्हें एक युवक का अच्छी तरह से संरक्षित किया हुआ कंकाल मिला था, जो शायद जहाज के क्रू का हिस्सा रहा होगा. इस कंकाल की मदद से डूबी हुई नाव से पहला डीएनए सबूत मिल सकता था. इस जिवाइस के 82 गढ़े हुए धातु के टुकड़ों के साथ ऐसे शिलालेख भी हैं जिसका वैज्ञानिक आज भी अध्ययन कर रहे हैं. जानते हैं कि इस अनोखे डिवाइस के बारे में वैज्ञानिकों को और क्या-क्या मिला है- (फोटोः ब्रेट सिमोर/रिटर्न ऑफ एंटीकीथेरा)
बेहद पुराना पैनल (Corroded panel)
एंटीकीथेरा मैकेनिज्म का सबसे जाना माना टुकड़ा एथेंस में आर्कियोलॉजिकल म्यूज़ियम (Archaeological Museum) में रखा गया है. इस अनोखी मशीन में 37 गियर थे जो एक दूसरे से जुड़े हुए थे. वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी मदद से प्राचीन समय के लोग अंतरिक्ष के विज्ञान को समझते थे. (फोटोः गेटी)
हाथ से चलने वाला कंप्यूटर (Hand-cranked computer)
एंटीकीथेरा मैकेनिज्म एक जूते के डब्बे के आकार का था, जिसके बाहरी हिस्से में डायल और अंदर 30 कांसे के गियर व्हील के जटिल हिस्से थे जो आपस में जुड़े हुए थे. हालांकि, ये कई टूटे हुए टुकड़ों में मिला था जिसे वैज्ञानिकों ने इमेजिंग और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करके जोड़ा. इसे डीकोड किया. पता चलता है कि इस कंप्यूटर को हाथ से चलाया जाता था. (फोटोः एंटीकीथेरा मैकेनिज्म रिसर्च प्रोजेक्ट)
एक्सोसूट
सितंबर 2014 में, वैज्ञानिकों ने एंटीकेथीरा के मलबे में मूर्तियों, सोने के गहने और एजियन सागर में खोई हुई अन्य प्राचीन कलाकृतियों की तलाश की थी. इस मिशन के लिए, उन्होंने एक्सोसूट का इस्तेमाल किया था जिसकी मदद से गोताखोर एजियन सागर की सतह से सैकड़ों फीट नीचे उतरे थे. फिल शॉर्ट ने 'Return to Antikythera' मिशन का संचालन किया, जो 15 सितंबर 2014 से 7 अक्टूबर 2014 तक चला था. (फोटोः ब्रेन्डेन फोली)
कलाकृतियां खोजना
जहाज के मलबे के पास, वैज्ञानिकों को कांसे का एक भाला मिला. शोधकर्ताओं का कहना है कि 2,000 साल पहले, हथियार के तौर पर यह भाला बहुत बड़ा और भारी रहा होगा. शायद यह किसी मूर्ति का हिस्सा हो. (फोटोः ब्रेट सिमोर/रिटर्न ऑफ एंटीकीथेरा)
कलाकृतियों का खज़ाना
मलबे में पुरातत्वविद् को एंटीकीथेरा की साइट पर और भी कलाकृतियां मिलीं. 2015 में, शोधकर्ताओं को एंटीकीथेरा के मलबे से इसी तरह की 50 कलाकृतियां मिली थीं. (फोटोः ब्रेट सिमोर/रिटर्न ऑफ एंटीकीथेरा)
वाइन डिकैन्टर (Wine Decanter)
2014 के मिशन के दौरान, गोताखोरों ने एंटीकीथेरा के मलबे की खोज करते हुए रीब्रीथर तकनीक का इस्तेमाल किया, जो हवा को रिसाइकिल करती है. इस तकनीक से गोताखोर एक ही बार में 3 घंटे तक पानी के अंदर रह सकते थे, ताकि वे लैगिनोस (Lagynos) जैसी कलाकृतियों को खोद सकें. लैगिनोस एक तरह का खास यूनानी बर्तन था जिसका इस्तेमाल शराब परोसने के लिए किया जाता था. (फोटोः ब्रेट सिमोर/रिटर्न ऑफ एंटीकीथेरा)
शिलालेख भी मिले
इस टुकड़े को Fragment 19 कहा जाता है जो डिवाइस के पिछले कवर का हिस्सा है. Polynomial Texture Mapping तकनीक (PTM) के इस्तेमाल से शोधकर्ता एंटीकीथेरा शिलालेख को बेहतर और स्पष्ट तौर पर देख पाए. (फोटोः एंटीकीथेरा मैकेनिज्म रिसर्च प्रोजेक्ट)
पहला मॉडल
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 2021 में बताया कि उन्होंने एंटीकीथेरा मैकेनिज़्म के डिजाइन को पूरी तरह से फिर से बनाने के लिए प्राचीन गणनाओं का इस्तेमाल किया. (फोटोः टोनी फ्रीथ/यूसीएल)
एंटीकीथेरा के अंदर
अगर एंटीकीथेरा मैकेनिज़्म के सभी टुकड़ों को अलग कर दिया जाए तो यह 2000 साल पुाना डिवाइस वह कुछ इस तरह दिखेगा. (फोटोः टोनी फ्रीथ/यूसीएल)