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चीन का भूकंप दुर्लभ था... इसके पीछे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का हाथ नहीं, फिर वजह क्या थी?

चीन में आया भूकंप दुर्लभ था. इसका भारतीय टेक्टोनिक प्लेट से सीधा-सीधा लेना-देना नहीं था. क्योंकि ये किसी टेक्टोनिक प्लेट की टक्कर से नहीं आया था. ये प्लेट के बीच जमा ऊर्जा के निकलने से आया था. जिसे इंट्राप्लेट भूकंप कहते हैं. आइए जानते हैं ऐसे भूकंपों की असली कहानी क्या है?

China Rare Earthquake China Rare Earthquake
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST

दो दिन पहले यानी 18 दिसंबर 2023 को उत्तर-मध्य चीन में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया. सवा सौ से ज्यादा लोग मारे गए. USGS की माने तो सतह से भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर थी. यानी ये इस साल फरवरी में आए अफगानिस्तान वाले भूकंप की गहराई जितनी थी. चीन का यह इलाका भूकंप के हिसाब से काफी एक्टिव माना जाता है. 

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यहां आया भूकंप दुर्लभ था. ऐसे भूकंप कम आते हैं. चीन में आया यह भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से नहीं आया था. बल्कि यह इंट्राप्लेट भूकंप था. ये प्लेट्स की सीमा से दूर होते हैं. जबकि 98 फीसदी भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं पर टक्कर, रगड़, खिंचाव और दबाव की वजह से आते हैं. 

यह भूकंप तिब्बती पठार के उत्तरी इलाके पर आया है. यानी हिमालय का उत्तरी इलाका. हिमालय भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टकराव से बना है. ये टक्कर आज भी चल रही है. इंडियन प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट को दबा रही है. इसी दबाव की वजह से पांच करोड़ साल पहले हिमालय और तिब्बत के पठार का निर्माण हुआ. 

2500 km का लंबा इलाका, खतरनाक जमीनी हरकतों का शिकार

कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक. हिमालय का 2500 km से लंबा इलाका. चौड़ाई 150 से 350 km तक. सिंधु घाटी के नंगा पर्वत से उत्तर-पूरिव के नामचा बरवा तक. अगर आप हिमालय को ऊपर से देखें तो आपको दिखेगा कि यह पूरी बेल्ट भारत की तरफ लटकी हुई है. यानी कटोरे जैसा फॉर्मेशन. 

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कहीं हिमालय फैला हुआ है, तो कहीं सिकुड़ा हुआ है... ऐसा क्यों?  

ये वही हिमालय है जहां पर 8 किलोमीटर से ऊंची दुनिया की 14 चोटियों में से 10 हैं. साथ ही दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों वाला हिमालय तब बना था, जब भारतीय प्लेट की टक्कर यूरेशियन प्लेट से हुई. पृथ्वी के सबसे ऊपरी परत यानी क्रस्ट (Crust) के सिकुड़ने की वजह से हिमालय के पहाड़ बने. विभिन्न स्थानों पर इनकी मोटाई अलग-अलग है. 

ये भी पढ़ेंः क्या भूकंप को लेकर सच होने वाली है भारतीय वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी? 

हिमालय के नीचे जमा हो रही है भारी एनर्जी, इसलिए भूकंप

अगर हिमालय के उत्तर-पश्चिम की तरफ देखें तो हिंदूकुश, पामीर और नंगा पर्वत इलाके में क्रस्ट की मोटाई 75 km है. जबकि जम्मू और कश्मीर में 60 किलोमीटर है. हिमाचल प्रदेश में मात्र 51 किलोमीटर है. यानी इस इलाके में आते-आते गहराई कम होती जा रही है. जबकि ऊंचे हिमालय और तिब्बत की तरफ क्रस्ट वापस 75 किलोमीटर गहरा है. यानी हिमाचल के बाद से नेपाल तक क्रस्ट के अंदर एक कटोरे जैसी आकृति बनी है, जहां ऊर्जा स्टोर हो रही है. 

हिमालय दुनिया का सबसे युवा पहाड़ी इलाका है

हिमालय दुनिया का सबसे युवा पहाड़ी इलाका है. इसका पूरा इलाका एक अर्धचंद्राकार आकृति में दिखता है. नंगा पर्वत के पास ऊंचाई 8114 मीटर है. जबकि नामचा बरवा के पास 7755 मीटर है. ऊपर चीन, तिब्बत है. नीचे गंगा के मैदानी इलाके हैं. असल में इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हर साल 15 से 20 mm की गति से तिब्बतन प्लेट की तरफ बढ़ रहा है. ये यूरेशियल प्लेट का छोटा हिस्सा है. 

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जब जमीन का इतना बड़ा टुकड़ा किसी अपने से बड़े टुकड़े को धकेलेगा, तो कहीं न कहीं तो ऊर्जा स्टोर होगी. तिब्बत की प्लेट खिसक नहीं पा रही हैं. इसलिए दोनों प्लेटों के नीचे मौजूद ऊर्जा निकलती है. ये ऊर्जा छोटे-छोटे भूकंपों के रूप में निकलती है, तो उससे घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन यही ऊर्जा तेजी से निकलती है, तो आधे भारत, पूरे नेपाल, पाकिस्तान, चीन, म्यांमार तक असर देखने को मिल सकता है. 

1900 के बाद से अब तक इस इलाके में 25 बड़े भूकंप

1900 के बाद से चीन के इस क्षेत्र से 250 km के अंदर 5.5 तीव्रता या उससे ऊपर के 23 भूकंप आए. सबसे बड़ा भूकंप मई 1927 में 7.7 तीव्रता का था, इससे 40,000 लोग मारे गए थे. 2014 में आई एक किताब इंट्राप्लेट अर्थक्वेक इन नॉर्थ चाइना के अनुसार 1556 में 8.3 तीव्रता का हुआक्सियन भूकंप इतिहास का सबसे खतरनाक भूकंप था. इसमें 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी. 

चीन में भूकंप से होने वाले नुकसान की वजह

चीन में मध्यम तीव्रता के भूकंपों से भी नुकसान होता है. पहला भूकंप प्रभावित इलाकों में रहने वाली घनी आबादी. दूसरा इमारतों के निर्माण सही नहीं होता. तीसरा भौगोलिक स्थिति खड़ी यानी ऊंची जगहें, जहां से भूस्खलन की आशंका रहती है. सोमवार को 1.58 लाख लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए. जबकि 1.17 लाख लोगों ने बहुत तेज झटके.

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जनवरी में भी आया था 5.5 तीव्रता का भूकंप

इस साल 25 जनवरी को दक्षिणी चीन के सिचुआन प्रांत में 10 किमी की गहराई पर 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था. इसे 6,000 लोगों ने महसूस किया था. इसी इलाके में सितंबर 2022 में 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था. इसमें 90 लोग मारे गए थे. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, भारत में भी 18 और 19 दिसंबर को 10 भूकंप आए, जिनमें से छह जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ शहर में आए.  

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