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शख्स बरसों से जिसे सोने का पत्थर समझ रहा था, वह उससे भी कीमती चीज निकली

शख्स जिसे बरसों से सोने का पत्थर समझकर संभाल रहा था, वह उससे भी ज्यादा कीमती निकला. क्योंकि यह पत्थर उसे ऑस्ट्रेलिया के उस इलाके से मिला था, जहां पर सोने की खदानें हैं. लेकिन यह पत्थर इस दुनिया का था ही नहीं. यह किसी दूसरी दुनिया से ऑस्ट्रेलिया में आया था.

ऑस्ट्रेलिया के मैरीबोरो में मिला 17 किलो वजनी सोने से ज्यादा कीमती पत्थर. (फोटोः म्यूजियम विक्टोरिया) ऑस्ट्रेलिया के मैरीबोरो में मिला 17 किलो वजनी सोने से ज्यादा कीमती पत्थर. (फोटोः म्यूजियम विक्टोरिया)
aajtak.in
  • मैरीबोरो,
  • 25 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

ये बात है साल 2015 की. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एक जगह है मैरीबोरो रीजनल पार्क. यहां पर डेविड होल अपने मेटल डिटेक्टर से प्राचीन कीमती वस्तुओं और खनिजों की खोज में लगे थे. तभी उन्हें असाधारण वस्तु मिली. यह एकलाल रंग का बेहद भारी पत्थर था. जिसमें से पीले रंग की हिस्से दिख रहे थे. इसके चारों तरफ पीले रंग की मिट्टी जमा थी. जब डेविड ने उसे धुला तो दंग रह गए. डेविड को लगा ये सोने का पत्थर है. 

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असल में मैरीबोरो ऑस्ट्रेलिया के गोल्डफील्ड इलाकों में से एक है. यहां पर 19वीं सदी में सोने के बड़े-बड़े खदान थे. अब भी कई बार लोगों को छोटे-मोट सोने के पत्थर मिल जाते हैं. लेकिन डेविड के हाथ तो पूरा खजाना लगा था. डेविड ने इस पत्थर को काटने, तोड़ने, फोड़ने का हर संभव प्रयास कर लिया. लेकिन यह पत्थर टूटा नहीं. यहां तक कि एसिड से जलाया भी. डेविड को सोना लग रहा था लेकिन असल में वो सोना था ही नहीं. 

कई सालों के बाद डेविड जब उसे तोड़-फोड़ नहीं पाए तो उसे मेलबर्न म्यूजियम ले गए. वहां उसकी जांच हई तो पता चला कि यह एक दुर्लभ उल्कापिंड है, जो किसी दूसरी दुनिया से ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर गिरा. मेलबर्न म्यूजियम के जियोलॉजिस्ट डरमोट हेनरी ने बताया कि यह पत्थर बेहद कीमती है. इसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती. क्योंकि इसमें जो धातु है वो धरती पर मिलता ही नहीं है. 

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डरमोट हेनरी ने बताया कि मैंने कई पत्थरों की जांच की है. कई बार उल्कापिंडों की भी. 37 सालों से इस म्यूजियम में काम कर रहा हूं. हजारों पत्थरों की जांच कर चुका हूं. लेकिन आजतक ऐसा पत्थर नहीं मिला. आजतक सिर्फ दो बार ही उल्कापिंड मिले हैं. इनमें से एक ये है. जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह 460 करोड़ साल पुराना पत्थर है. इसका वजन 17 किलोग्राम है. इसे काटने के लिए हमें डायमंड आरी की मदद लेनी पड़ी. 

उस उल्कापिंड में भारी मात्रा में लोहा है. यह एक H5 Ordinary Chondrite है. जब इसे काटा गया तो इसके अंदर छोटे-छोटे क्रिस्टल्स दिखे, जो अलग-अलग खनिजों से बने हैं. इन्हें कॉन्डरूल्स (Chondrules) कहते हैं. असल में उल्कापिंड अंतरिक्ष की जानकारी देने वाले सबसे सस्ते माध्यम होते हैं. इनकी जांच करने से आपको अंतरिक्ष के बनने और पैदा होने का जानकारी मिलती है. इनमें तारों के चमकते हुए कण होते हैं. 

डरमोट ने बताया कि कई बार उल्कापिंडों में जीवन के सबूत के तौर पर अमीनो एसिड मिलते हैं. हालांकि फिलहाल हम ये नहीं पता कर पाए हैं कि यह उल्कापिंड आकाशगंगा के किस हिस्से से यहां आया. हमारे सौर मंडल में क्रोन्ड्राइट पत्थरों के कई घेरे हैं. हो सकता है कि ये मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच उल्कापिंडों के चक्कर लगाते हुए समूह से आया हो. लेकिन एक बात इसकी जांच से पुख्ता हो गई है कि ये उल्कापिंड सोने से ज्यादा कीमती है. 

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इससे पहले 2003 में ऑस्ट्रेलिया के इस इलाके में सबसे बड़ा उल्कापिंड मिला था. वह 55 किलोग्राम का था. अब तक विक्टोरिया इलाके में 17 उल्कापिंड मिल चुके हैं. इस उल्कापिंड के बारे में प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी ऑफ विक्टोरिया जर्नल में स्टडी प्रकाशित हुई है. 

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