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Kalashnikov AK-203: भारत में शुरू हो गया इस असॉल्ट राइफल का उत्पादन, जानिए यह कितने काम की?

भारतीय असॉल्ट राइफल कलाशनिकोव AK-203 का अमेठी स्थित कोर्वा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में उत्पादन शुरू हो चुका है. यहां तक कि इसका पहला बैच बनकर तैयार है. जल्द ही भारतीय सेना को इसकी डिलिवरी दी जाएगी. आइए जानते हैं कि यह राइफल युद्ध में सेना के कितने काम आएगी? इसकी क्या ताकत है?

AK-203 Assault Rifle का उत्पादन अमेठी के कोर्वा आयुध फैक्ट्री में शुरू हो चुका है. पहला बैच तैयार है. AK-203 Assault Rifle का उत्पादन अमेठी के कोर्वा आयुध फैक्ट्री में शुरू हो चुका है. पहला बैच तैयार है.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में स्थित कोर्वा ऑर्डेनेंस फैक्टरी में भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से बनी असॉल्ट राइफल कलाशनिकोव AK-203 का उत्पादन शुरू हो चुका है. पहला बैच बनकर तैयार है. जल्दी इंडियन आर्मी को इसकी डिलिवरी की जाएगी. भारतीय सेना के लिए कुल मिलाकर 6.01 लाख असॉल्ट राइफलों का उत्पादन करना है. इससे पहले रूसी से 70 हजार से 1 लाख राइफल्स, उनके पार्ट्स और टेक्नोलॉजी भारत भेजी गई थी. 

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एके-203 कलाशनिकोव सीरीज की सबसे एडवांस असॉल्ट राइफल है. जो कंपनी इसे बना रही है उसका नाम है इंडो-रसिया राइफल्स प्रा. लिमि. (IRRPL). इस राइफल के आने से भारत में इंसास (INSAS) का इस्तेमाल बंद हो जाएगा. या फिर बेहद कम हो जाएगा. एके-203 इंसास से कई मामलों में बेहतर, आसान और घातक है. 

एके-203 राइफल इंसास से छोटी और हल्की है. इंसास बिना मैगजीन और बेयोनेट के भी 4.15 KG की है. AK-203 का वजन 3.8 KG है. इंसास की लंबाई 960 मिमी है. एके-203 सिर्फ 705 मिमी लंबी है. वजन और लंबाई कम होने पर राइफल को लंबे समय तक उठाया जा सकता है. इससे जवान थकते कम हैं.   

AK-203 में 7.62x39mm की बुलेट्स लगती हैं, जो ज्यादा घातक होती हैं. इंसास में 5.56x45mm की गोलियां लगती हैं. इंसास की रेंज 400 मीटर है, जबकि AK-203 की रेंज 800 मीटर है. यानी काफी दूर से दुश्मन को ढेर कर सकते हैं.  INSAS सिंगल शॉट और तीन-राउंड का बर्स्ट फायर करती है. AK-203 सेमी-ऑटोमैटिक या ऑटोमैटिक मोड में चलती है. सिर्फ एक ही मामले में इंसास बेहतर है. इंसास एक मिनट में 650 गोलियां दाग सकती है, जबकि AK-203 सिर्फ 600 गोलियां ही दागती है.  

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INSAS में 20 से 30 राउंड की मैगजीन लगती है. AK-203 में 30 राउंड की बॉक्स मैगजीन लगती है. इंसास की मजल वेलोसिटी 915 मीटर प्रति सेकेंड है. AK-203 की मजल वेलोसिटी 715 मीटर प्रति सेकेंड है. यानी इंसास की गोलियां ज्यादा तेज गति से जाती है. दोनों ही राइफलें गैस ऑपरेटेड, रोटेटिंग बोल्ट तकनीक पर काम करती हैं. 

इंसास राइफल पर इन-बिल्ट आयरन साइट, माउंट प्वाइंट लगाया जा सकता है, ताकि दूरबीन से दुश्मन को देखा जा सके. इस मामले में AK-203 ज्यादा बेहतर है क्योंकि इसपर एडजस्टबल आयरन साइट तो है ही, इसके अलावा पिकैटिनी रेल लगी है, यानी आप दुनिया के किसी भी तरह के दूरबीन को इस बंदूक पर लगा सकते हैं. यानी जितनी ताकतवर दूरबीन उतना घातक हमला. 

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