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उड़ते MiG-29 से जमीन पर गिरा विमान का फ्यूल टैंक, टल गया बड़ा हादसा

पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस से उड़ान भरने वाले एक मिग-29 फाइटर जेट का फ्यूल टैंक जमीन पर गिर पड़ा. फाइटर जेट रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर था. एयरबेस पर लौटते समय फ्यूल टैंक एयरक्राफ्ट से गिर गया. हादसे में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. जानिए क्या और कहां होता है ये फ्यूल टैंक?

बाएं से दाएं- जमीन पर गिरा दिख रहा है फ्यूल टैंक. फाइटर जेट में लाल घेरे में देखिए कहां लगा होता है ये.   बाएं से दाएं- जमीन पर गिरा दिख रहा है फ्यूल टैंक. फाइटर जेट में लाल घेरे में देखिए कहां लगा होता है ये.
इंद्रजीत कुंडू/ऋचीक मिश्रा
  • कोलकाता/नई दिल्ली,
  • 22 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST

पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरफोर्स बेस से 22 मई 2023 को एक मिग-29 (MiG-29 Fighter Jet) फाइटर रूटीन ट्रेनिंग मिशन पर उड़ा. लौटते समय फाइटर जेट से वेंट्रल ड्रॉप टैंक (Ventral Drop Tank) गिर गया. गनीमत थी कि टैंक एयरबेस के पास मौजूद एक जंगल में गिरा. इससे किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. 

वेंट्रल ड्रॉप टैंक असल में एक्स्ट्रा फ्यूल के लिए लगाया जाता है. एयरफोर्स ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर टैंक को एयरबेस पहुंचा दिया है. अब इस बात की जांच चल रही है कि घटना हुई कैसे. कैसे इतना बड़ा फ्यूल टैंक गिरा. क्या पायलट की गलती थी. या फिर ये किसी रूटीन मिशन का हिस्सा होता है. यानी फाइटर जेट का वजन कम करने के लिए ऐसा किया जाता है. 

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ये है मिग-29 फाइटर जेट का एक्सट्रा फ्यूल टैंक, जिसे एयरफोर्स की भाषा में वेंट्रल ड्रॉप टैंक बोलते हैं. 

भारतीय वायुसेना के पास इस समय 65 मिग-29 फाइटर जेट्स हैं. यह रूस में बना एक मल्टीरोल कॉम्बैट फाइटर जेट है. इसे सबसे पहले 1981 में बनाया गया था. तब से दुनिया के कई देशों की सेनाओं के पास ये फाइटर जेट है. अब तक करीब 1600 मिग-29 फाइटर जेट बनाए गए हैं. नौसेना के पास इसका अलग वैरिएंट है. जिसे मिग-29के (MiG-29K) कहते हैं. नौसेना के पास करीब 44 मिग-29के फाइटर जेट हैं. यह एयरक्राफ्ट करियर पर उतर सकता है. 

3500 किलोग्राम आंतरिक ईंधन की क्षमता

मिग-29 फाइटर जेट का पूरा नाम है मिकोयान मिग-29 (Mikoyan MiG-29). इस फाइटर जेट को सिर्फ एक ही पायलट उड़ाता है. 56.10 फीट लंबे फाइटर जेट में दो इंजन होते हैं. जो इसे ताकत देते हैं. इसका विंगस्पैन 37.3 फीट का होता है. ऊंचाई करीब 15.6 फीट होती है. इंटरनल फ्यूल कैपेसिटी 3500 किलोग्राम होती है. 

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लाल तीर दिखा रहा है कि कहां पर होता है ये वेंट्रल फ्यूल टैंक. (प्रतीकात्मक फोटोः विकिपीडिया/बांग्लादेश एयरफोर्स)

2450 KM प्रतिघंटा की गति

मिग-29 फाइटर जेट की अधिकतम स्पीड 2450 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह एक बार में 1430 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है. यानी इंटरनल फ्यूल के बल पर यह इतनी रेंज तक जा सकता है. वैसे कॉम्बैट रेंज यानी हथियारों के साथ यह 700 से 900 किलोमीटर तक जा सकता है. 

एक्सट्रा फ्यूल टैंक से बढ़ जाती है रेंज

कलाईकुंडा एयरबेस में गिरे फ्यूल टैंक यानी वेंट्रल ड्रॉप टैंक की वजह से इसकी रेंज 2100 किलोमीटर हो जाती है. यानी यह फ्यूल टैंक अगर फाइटर जेट में लगा है, तो वह करीब 700 से 800 किलोमीटर और उड़ सकता है. इस फाइटर जेट में अधिकतम 59 हजार फीट तक जाने की ताकत होती है. 

पीछे वाले मिग-29 फाइटर जेट में आप लाल चौकोर घेरे में देख सकते हैं एक्सट्रा फ्यूल टैंक. (फोटोः गेटी)

इसमें लगते हैं भयानक हथियार

मिग-29 फाइटर जेट में 7 हार्डप्वाइंट होते हैं. यानी सात अलग-अलग तरह के बम, रॉकेट और मिसाइल लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसमें एक 30 मिलिमीटर का ऑटोकैनन लगा होता है. जो हर मिनट 150 राउंड फायर कर सकता है. इसमें तीन तरह के रॉकेट लगाए जा सकते हैं, जो हवा, जमीन और सतह पर मार सकते हैं. इसके अलावा छह तरह की मिसाइलें लग सकती हैं. या फिर 665 किलोग्राम के 6 बम लगाए जा सकते हैं. या फिर इन सबका मिश्रण.   

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