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Tonga Earthquake: टोंगा में 7.4 तीव्रता का भूकंप, पिछले साल दो बार कांप गई थी पूरी धरती

न्यूजीलैंड के पास दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित टोंगा में 7.4 तीव्रता का भूकंप आया. ये वही जगह है जहां पर पिछले साल जनवरी में फटे ज्वालामुखी ने पूरी धरती को दो बार कंपा दिया था. हालांकि इस भूकंप के बाद सुनामी अलर्ट जारी नहीं किया गया. लेकिन ये जगह दुनिया के खतरनाक जगहों में आता है.

ये टोंगा इलाके की सैटेलाइट तस्वीर जहां पर पिछले साल भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था. (सभी फोटोः NASA/GOES) ये टोंगा इलाके की सैटेलाइट तस्वीर जहां पर पिछले साल भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था. (सभी फोटोः NASA/GOES)
aajtak.in
  • हवाई द्वीप,
  • 11 मई 2023,
  • अपडेटेड 6:27 PM IST

टोंगा में आज यानी 11 मई 2023 को भयानक भूकंप आया. तीव्रता 7.4 थी. भूकंप का केंद्र टोंगा के हिहिफो इलाके के उत्तर-पश्चिम में 73 किलोमीटर दूर समुद्र के अंदर 123 किलोमीटर की गहराई में था. यूएसजीएस ने इसे लेकर किसी तरह का सुनामी अलर्ट जारी नहीं किया है. लेकिन टोंगा भौगोलिक तौर पर एक खतरनाक जगह है. 

पिछले साल जनवरी में यहां 100 सालों का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था. इसके पहले 11 नवंबर 2022 को 7.3 तीव्रता का भूकंप आया था. तब समुद्री इलाके में सुनामी अलर्ट जारी किया गया था.  पिछले साल हुए ज्वालामुखी विस्फोट से इतना राख और पत्थर निकला था, जिससे पूरी पनामा नहर भर जाए.  

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टोंगा ज्वालामुखी के विस्फोट से निकले शॉकवेव ने पूरी धरती के दो चक्कर लगाए थे. टोंगा ज्वालामुखी के विस्फोट की आवाज 2300 किलोमीटर तक साफ सुनाई दी थी. ज्वालामुखी विस्फोट ने आसपास के 8000 वर्ग किमी के समुद्री तल को पूरी तरह से बदल दिया था. 

आसपास से खिसक गया था लाखों टन मलबा

इसके विस्फोट से 7 क्यूबिक किलोमीटर राख-पत्थर और समुद्री मलबा खिसका है. इतने मलबे से पांच एंपायर स्टेट बिल्डिंग बन जाए. टोंगा के पास से जा रही समुद्री इंटरनेट केबल भी टूट गई थी. जबकि यह केबल समुद्र तल से 100 फीट नीचे दबाई गई थी. यानी विस्फोट के बाद समुद्र तल से नीचे 100 फीट तक बदलाव देखा गया. 

ज्वालामुखी का मुंह टूट कर नीचे गिर गया था

न्यूजीलैंड की ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शेन क्रोनिन ने कहा कि ज्वालामुखी का काल्डेरा (Caldera) कई मीटर नीचे गिर गया था. इस ज्वालामुखी का क्रेटर यानी विस्फोट वाला ऊपरी गड्ढा 492 फीट से 2822 फीट नीचे गिर गया था. अब तक समुद्र के अंदर सबसे गहराई में गिरने वाला यह पहला क्रेटर है. 

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ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 58 किलोमीटर ऊपर तक राख और धुएं का गुबार गया. विस्फोट के बाद मशरूम जैसी आकृति बनी.  4 फीट ऊंची लहरों की सुनामी आई. तत्काल इसका असर 250 किलोमीटर तक दिखाई दिया. समुद्र में एक बड़ा गड्ढा बन गया जिससे सुनामी को ताकत मिली. विस्फोट और उसकी लहर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स ने भी कैद किया. 

इसलिए फटा था टोंगा ज्वालामुखी

समुद्र के अंदर गर्म लावा और गैस का गुबार पनप रहा था. दबाव बन रहा था. एक महीने से चल रही इस प्रक्रिया से दबाव बढ़ता जा रहा था. मैग्मा का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. जैसे ही वह 20 डिग्री सेल्सियस वाले समुद्री पानी से मिला, ज्वालामुखी को दबाव रिलीज करने की जगह मिल गई और विस्फोट हो गया. राख जब उड़ती हुई 58 किलोमीटर गई तो उसमें मौजूद आइस क्रिस्टल्स ने बादलों को चार्ज कर दिया. बस यहीं शुरु हुई कड़कड़ाती हुई बिजलियों की बारिश. इस समय 80 फीसदी ज्यादा बिजलियां आसमान से ज्वालमुखी के ऊपर गिर रही थीं. 

कहां है Tonga ज्वालामुखी?

हुंगा टोंगा-हुंगा हापाई द्वीप के आसपास 170 द्वीप है. जो दक्षिण प्रशांत महासागर में टोंगा द्वीपों का एक साम्राज्य बनाता है. इस विस्फोट की वजह से टोंगा की राजधानी नुकुआलोफा में 4 फीट ऊंची सुनामी आ गई. जो इस ज्वालामुखी से करीब 65 किलोमीटर दूर है. पूरे प्रशांत महासागर में एक सोनिक बूम सुनाई दिया. यह आवाज अलास्का तक पहुंची. 

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