भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में खेले जा रहे टेस्ट मैच के तीसरे दिन सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पूरी तरह गुलाबी रंग में रंग गया. नए साल पर सिडनी में हर बार पिंक टेस्ट खेला जाता है.
तीसरे दिन मैच शुरु होने से पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने पिंक कैप पहनी. इस टेस्ट मैच में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए डोनेशन किया जाता है. पिंक टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर पीड़ियों के लिए खेला जाता है.
सिडनी में खेला जा रहा यह टेस्ट मैच बेहद खास हैं. बता दें कि यह टेस्ट मैच पिंक टेस्ट के तौर पर खेला जा रहा है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा की संस्था ग्लैन मैक्ग्रा फाउंडेशन ब्रेस्ट कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाती है. जिसके समर्थन में पिंक रंग के कपड़े पहनते हैं.
बता दें कि सिडनी में पहली बार पिंक टेस्ट 2009 में खेला गया था. पहली बार ये टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच खेला गया था. इसके बाद से ही ये प्रथा लगातार चलती आ रही है.
इस बार भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जा रहा सिडनी टेस्ट 12वां पिंक टेस्ट मैच है. हर साल जनवरी में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड गुलाबी समंदर सा दिखाई देता था, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार दर्शकों की संख्या कम है.
क्यों खेला जाता है पिंक टेस्ट?
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज और न्यू साउथ वेल्स के ग्लेन मैक्ग्रा की जेन मैक्ग्रा की मौत स्तन कैंसर की वजह से हुई थी. इस टेस्ट मैच से जुटाई गई राशि को ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन को दिया जाता है.
ग्लेन मैक्ग्रा फाउंडेशन एक संस्था है जो ऑस्ट्रेलिया में स्तन कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक करने के साथ-साथ शिक्षा के लिए भी काम करती है. ये संस्था देशभर ब्रेस्ट केयर नर्सो को रखने के लिए पैसा जुटाती है और लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता भी बढ़ाती है.
ग्लेन मैकग्रा फाउंडेशन की शुरुआत 2005 में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई पेसर और उनकी पत्नी जेन ने स्तन कैंसर से उबरने के बाद की थी. तीन साल बाद, जेन का निधन हो गया और अगले वर्ष से पिंक टेस्ट एक वास्तविकता बन गया.