
फ्रैंक वूली अगर आज बल्लेबाजी कर रहे होते तो क्रिस गेल, ब्रेंडन मैकलम, एबी डिविलियर्स या विराट कोहली जैसे ही बहुत पॉपुलर होते. आक्रामक होने के साथ ही उनकी बल्लेबाजी बेहद धारदार भी थी. उनके पास क्रिकेट के सभी शॉट्स थे.
फ्रैंक वूली कितने मंझे हुए क्रिकेटर थे इसका उदाहरण उनके बारे में लिखे गए इन शब्दों से मिलता है. स्कॉटलैंड के क्रिकेटर और लेखक आर. सी. रॉबर्ट्सन- ग्लासगो वूली की बल्लेबाजी को बटर के टुकड़े या रेजर-ब्लेड की संज्ञा देते हैं. वो लिखते हैं, ‘बैटिंग के लिए पिच पर उतरने के साथ पहले ही ओवर में शानदार ऑफ ड्राइव फिर कट और फिर बेहद आसान दिखने वाला लेग ग्लान्स. अगले ओवर में एक बार फिर इसी तरह की बल्लेबाजी का नमूना देखने को मिलता है. इसके बाद आप उनकी बैटिंग के विषय में अपने पाठकों को वो ही बता सकते हैं जो उन्होंने मैदान में किया. वूली की बल्लेबाजी देखकर लगता है कि सपना देख रहे हैं.’
एक और लेखक ऐरोस्मिथ लिखते हैं, ‘वूली बैटिंग करते समय गेंदबाजों पर हावी होना चाहते हैं.’
सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी का रिकॉर्ड
फ्रैंक वूली ने एमसीसी vs तस्मानिया मैच में केवल 205 मिनटों में ही ट्रिपल सेंचुरी जड़ दिया था. उस समय यह सबसे तेज ट्रिपल सेंचुरी की नया वर्ल्ड रिकॉर्ड था. हालांकि बाद में उसे उन्हीं के देश के
एक और शानदार क्रिकेटर डेनिस क्रॉम्पटन ने ध्वस्त किया. आज की तारीख में भी वूली दूसरे सबसे तेज तिहरा शतक बनाने वाले क्रिकेटर बने हुए हैं.
क्रिकेट के पहले ऑलराउंडर थे फ्रैंक वूली
क्रिकेट के जन्मदाता इंग्लैंड के लिए खेलने वाले फ्रैंक एडवर्ड वूली को सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर की श्रेणी में रखा जाता है. चार दशकों तक क्रिकेट खेलने वाले वूली ने क्रिकेट के दिग्गज जैक हॉब्स से भी
ज्यादा फर्स्ट क्लास रन बनाए. कई कीर्तिमान अपने नाम करने वाले वूली ने 20 से कम की औसत पर 2,000 से अधिक विकेट भी चटकाए. वूली एक शानदार फील्डर भी थे. उन्हें ऐसे एकमात्र क्रिकेटर
होने का सौभाग्य भी प्राप्त है जिसने बगैर विकेटकीपिंग किए एक हजार से अधिक कैच लपके. खब्बू बल्लेबाज वूली जहां विकेट पर टिक कर बैटिंग करने के लिए मशहूर थे वहीं उनकी गिनती अपने
समय के सबसे तेजी से रन बनाने वाले बल्लेबाजों में की जाती है.
27 मई 1887 को टोनब्रिज, केंट में पैदा होने वाले फ्रैंक वूली ने बतौर क्रिकेटर 1906 में केंट के लिए पदार्पण किया. जल्दी ही वो काउंटी क्रिकेट में एक ऑलराउंडर के रूप में मशहूर होने लगे. वूली ने एक काउंटी सत्र में 2000 रन और 100 विकेट का कारनामा दो बार (1914 और 1921-23) किया. वूली अकसर मैच में शतक लगाने के साथ ही 10 विकेटें भी झटक लिया करते थे. इस मामले में उनसे आगे सिर्फ दिग्गज क्रिकेटर डब्ल्यू जी ग्रेस ही रहे. लगातार शानदार प्रदर्शन करने वाले क्रिकेटरों में शुमार वूली ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 40.75 की औसत से रन बनाए. वूली और ग्रेस के नाम एक सत्र में सबसे अधिक एक हजार रन बनाने का रिकॉर्ड आज भी दर्ज है. 28 बार एक सत्र में एक हजार से अधिक रन.
वूली के नाम आज भी दर्ज है ये टेस्ट रिकॉर्ड
1909 से 1934 के बीच वूली ने इंग्लैंड के लिए 64 टेस्ट खेले. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना सबसे बेहतरीन और सबसे खराब प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओवल में किया. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर
के तौर पर वूली अलग अलग 14 कप्तानों के साथ खेले. यह भी एक रिकॉर्ड है. 1911 में उन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया. उनका पूरा काउंटी करियर (1906–1938) केंट के साथ गुजरा जहां
उन्होंने अपने तीसरे ही मैच में 95 रनों की पारी के साथ 119 रनों पर 8 विकेट चटकाने का कारनामा किया. उनके इस प्रदर्शन की बदौलत केंट को उस मैच में एक विकेट से जीत मिली.
18 अक्टूबर 1978 को उनकी मृत्यु के बाद केंट के मेडस्टोन में एक सड़क का नाम उनके नाम पर ‘वूली वे’ रखा गया. वूली को 2009 में आईसीसी क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.