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धोनी-कोहली के बीच दरार, टेस्ट कप्तान ने मैदान पर नहीं मानी वनडे कप्तान की बात

कानपुर वनडे में हार के लिए टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने खुले तौर पर विराट कोहली को दोषी बताया था. अब एक और बात खुल कर आ रही है कि इस मैच से पहले इन दोनों के बीच जोरदार बहस हुई थी.

महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली के बीच दरार उजागर महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली के बीच दरार उजागर
अभिजीत श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST

कानपुर वनडे में हार के लिए टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने खुले तौर पर विराट कोहली को दोषी बताया था. अब एक और बात खुल कर आ रही है कि इस मैच से पहले इन दोनों के बीच जोरदार बहस हुई थी. कानपुर में रविवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए पहले एकदिवसीय मुकाबले की पूर्व संध्या पर धोनी और कोहली के बीच यह बहस अजिंक्य रहाणे को टीम में शामिल करने को लेकर हुई थी. मैच के दौरान भी कोहली जब बाउंड्री पर फील्डिंग कर रहे थे और धोनी ने उन्हें स्थान परिवर्तन करने को कहा तो उन्होंने उसे गंभीरता से नहीं लिया.

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टीम इंडिया वह मैच पांच रनों से हार गई थी. हालांकि अजिंक्य रहाणे अंतिम एकादश में शामिल भी किए गए और उन्होंने अपने चयन को सार्थक साबित करते हुए बेहद महत्वपूर्ण 60 रन भी बनाए. साथ ही उन्होंने रोहित शर्मा (150) के साथ दूसरे विकेट के लिए 149 रनों की अहम साझेदारी भी की.


रहाणे पर भिड़े दोनों कप्तान

रहाणे को अंतिम एकादश में शामिल किए जाने पर जानकार जितने हैरान थे उससे कहीं ज्यादा हैरान रहाणे को कोहली से ऊपर तीसरे क्रम पर भेजने से थे. टीम की घोषणा के वक्त रहाणे के लिए चौथा क्रम निर्धारित हुआ था. जिस वक्त शिखर धवन आउट हुए थे उस समय भारत ने 42 रन बनाए थे और रोहित अच्छा खेल रहे थे, ऐसे में रहाणे से अधिक प्रतिभाशाली कोहली को रोकना और रहाणे को भेजना सबको हैरान करता है.

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मैच के बाद संवाददाताओं ने जब धोनी से कोहली के साथ संबंधों में खटास के बारे में जानना चाहा था, जो उन्होंने इससे इंकार किया था. धोनी ने मैच से पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि रहाणे के लिए टीम में अभी कोई स्लॉट खाली नहीं है क्योंकि स्वाभाविक तौर पर वह पहले, दूसरे या तीसरे क्रम खिलाड़ी हैं लेकिन अभी हमारी टीम में ये तीनों स्लॉट बुक हैं.

कप्तान ने यह भी कहा था कि रहाणे को चौथे या फिर उससे नीच के क्रम पर खिलाना उनकी तौहीन होगी क्योंकि वह स्वाभाविक तौर पर ऊपर के क्रम के खिलाड़ी हैं. ऐसे में उनका कानपुर में खेल पाना सम्भव नहीं दिख रहा. मीडिया ने अगले दिन इस खबर को प्रमुखता दी थी और साथ ही यह मान लिया था कि रहाणे कानपुर में अंतिम एकादश का हिस्सा नहीं होंगे.

इसके बावजूद रहाणे को टीम में शामिल किया गया और तीसरे क्रम पर उतारा गया. इसके बाद मैदान में भी एक नाटकीय दृश्य देखा गया. लॉन्ग ऑफ पर फील्डिंग करने के दौरान कोहली ने उस ओर के स्टैंड के दर्शकों को हाथ ऊपर उठाकर उत्साहित किया. यह वह वक्त था, जब अब्राहम डिविलियर्स और फाफ डू प्लेसिस भारतीय गेंदबाजों की खबर ले रहे थे.

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कोहली ने नहीं मानी धोनी की बात

दर्शक बीच-बीच में 'कोहली-कोहली' का नारा भी लगाते. इस बीच कुछ मौकों पर धोनी ने उन्हें स्थान परिवर्तित करने के लिए इशारा भी किया लेकिन कोहली ने उसे अधिक गम्भीरता से नहीं लिया. वह अपने लिए जनमत संग्रह करने में जुटे रहे. मैच के बाद धोनी ने इसकी भरपाई कोहली की खिंचाई करके की. नाम न लेते हुए धोनी ने कहा कि हमें 35 ओवरों के आसपास तेजी से रन बनाने चाहिए थे.

गौर करने वाली बात यह है कि उस मैच में कोहली ने 18 गेंदों पर 11 रन बनाए थे और उनका विकेट 40वें ओवर की अंतिम गेंद पर 214 रन के कुल योग पर गिरा था. इससे साफ है कि धोनी ने कोहली को निशाने पर लेने की कोई कसर नहीं छोड़ी. इसकी वजह साफ है. जब से धोनी ने यह बयान दिया था कि रहाणे स्ट्राइक रोटेट नहीं करते और इस कारण वह एकदिवसीय टीम के लिए फिट नहीं हैं, धोनी और कोहली में मतभेद शुरू हो गया था.

बतौर टेस्ट कप्तान कोहली ने रहाणे को हर मैच में खिलाया और रहाणे ने भी कप्तान की उम्मीदों को जिया. वह तीनों फॉरमेंट के सफल खिलाड़ी हैं. ऐसे में न जाने धोनी ने रहाणे को लेकर अजीबोगरीब बयान क्यों दिया. जानकार मानते हैं कि ऐसा करते हुए वह रहाणे को बाहर और अपने 'चहेते' खिलाड़ियों को अंदर रखना चाहते थे.

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धोनी ने दबाव में रहाणे को शामिल किया

कानपुर में रहाणे को टीम में शामिल करना धोनी की विस्तृत सोच और टीम हित में लिया गया फैसला लगा था लेकिन यह कुछ और ही निकला. असल बात यह है कि मैच पूर्व संध्या पर टीम प्रबंधन की बैठक में टीम निदेशक रवि शास्त्री ने धोनी से रहाणे को टीम में शामिल करने को कहा क्योंकि वह अच्छे फार्म में हैं. धोनी ने असमर्थता जताई लेकिन इस शर्त पर मान गए कि कोहली को नम्बर-4 पर जाना होगा. कोहली थोड़े ना-नुकुर के बाद इस पर मान गए लेकिन मैदान में उनका बल्ला रूठ गया.

अब उनका बल्ला जानबूझकर रूठा या फिर कोई और बात है यह तो विराट ही बता सकते हैं लेकिन भारत यह मैच हार गया. और फिर यह भी चर्चा आम है कि बोर्ड इस सीरीज के नतीजे के आधार पर बतौर एकदिवसीय कप्तान धोनी के भविष्य का फैसला करेगा. कहीं ऐसा तो नहीं कि विराट चाहते ही नहीं कि भारत यह सीरीज जीते ही नहीं?

गांगुली ने की मतभेद की पुष्टि
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी और कोहली के बीच हुई इस बहस की चर्चा फेसबुक पर की है. गांगुली के मुताबिक टीम के दो सीनियर खिलाड़ियों की बीच इस तरह का संबंध होना अच्छी बात नहीं है. इससे टीम को नुकसान होगा और यह बेहद चौंकाने वाली बात है.

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