भारत ने लगातार तीसरी बार अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई है. जूनियर टीम इंडिया ने मंगलवार रात चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 10 विकेट से रौंदकर रिकॉर्ड 7वीं बार अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में अपनी जगह पक्की की. अब वह खिताब से एक कदम दूर है. 9 फरवरी को भारत का मुकाबला किस टीम से होगा, यह 6 फरवरी को तय होगा. इस दिन न्यूजीलैंड और बांग्लादेश की टीमें दूसरे सेमीफाइनल में भिड़ेंगी और इसकी विजेता टीम फाइनल में भारत का मुकाबला करेगी.
अंडर-19 वर्ल्ड कप 2020 में भारत को फाइनल में पहुंचाने में सलामी बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का अहम योगदान है. जायसवाल ने फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 105 रनों की पारी खेली. भारत ने 88 गेंदें शेष रहते 176/0 रन बनाकर पाकिस्तान को मात दी. इसके साथ ही यह पहला मौका है, जब अंडर-19 वर्ल्ड कप के नॉकआउट मुकाबले में किसी टीम ने 10 विकेट से जीत पाई हो.
यशस्वी जायसवाल की बात करें, तो यूपी (भदोही) में जन्मे इस उदीयमान बल्लेबाज ने फाइनल से पहले तक 59, 29*, 57*, 62, 105* रनों की जोरदार पारियां खेली हैं. मौजूदा अंडर-19 वर्ल्ड कप में उन्होंने अब तक तीन बार नाबाद रहते हुए सर्वाधिक 312 रन बनाए हैं. इस दौरान उनकी 156.00 की औसत रही.
यशस्वी जायसवाल लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं. अब तो उन्होंने सीनियर टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए दावा भी ठोक दिया है. 'गोलगप्पा ब्वॉय' 18 साल के यशस्वी लिस्ट-ए मुकाबले (One-Day) में डबल सेंचुरी बनाने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर हैं. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में 17 साल 292 दिनों की उम्र में दोहरा शतक जड़ा था. इससे पहले साउथ अफ्रीका के एलेन बैरो ने 1975 में 20 साल 273 दिनों की उम्र में लिस्ट-ए में दोहरा शतक (202*) जमाया था.
पिछले साल अक्टूबर में ही भारत ने मेजबान बांग्लादेश को रौंद कर अंडर-19 एशिया कप पर कब्जा जमाया था. फाइनल में भारतीय टीम को 304/3 के विशाल स्कोर तक पहुंचाने में यशस्वी जायसवाल ने 113 गेंदों में 85 रनों की अहम पारी खेली थी.
2014 में महज 12 साल की उम्र में यशस्वी जायसवाल ने Giles Shield स्कूल मैच में अंजुमन इस्लाम हाई स्कूल (फोर्ट) की ओर से खेलते हुए न सिर्फ नाबाद 319 रन बनाए, बल्कि राजा शिवाजी विद्यामंदिर (दादर) के खिलाफ उस मैच में 99 रन देकर 13 विकेट भी चटकाए थे. इस ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ. इस उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद यशस्वी का चयन मुंबई की अंडर-19 टीम और इसके बाद इंडिया अंडर-19 टीम में हो गया. अब वह आने वाले दिनों सीनियर भारतीय टीम के लिए बड़ा दावेदार है.
उत्तर प्रदेश के भदोही के इस किशोर के लिए क्रिकेटर बनने की राह आसान नहीं रही. जब वह 2012 में क्रिकेट का सपना संजोए अपने चाचा के पास मुंबई पहुंचा, तो वह महज 11 साल का था. चाचा के पास इतना बड़ा घर नहीं था कि वह उसे भी उसमें रख सकें. वह एक डेयरी दुकान में अपनी रातें गुजारता था. दो वक्त के खाने के लिए फूड वेंडर के यहां काम करना शुरू कर दिया. रात में पानी पूरी (गोलगप्पे) बेचा करता था.
यशस्वी कह चुके हैं, 'मैं यह सोचकर मुंबई आया था कि मुझे मुंबई से ही क्रिकेट खेलना है. मैं एक टेंट में रहता था, जहां बिजली, वॉशरूम या पानी की सुविधा नहीं थी. दो वक्त के खाने के लिए फूड वेंडर के यहां काम करना शुरू कर दिया. रात में पानी पूरी (गोलगप्पे) बेचा करता था. कभी साथ खेलने वाले साथी आ जाते थे, तो उन्हें पानी पूरी खिलाने में बुरा अनुभव होता था. लेकिन यह काम मेरे लिए जरूरी था.'
हालांकि इसके बाद जो कुछ भी हुआ उससे यशस्वी की जिंदगी ने नया मोड़ लिया. उस पर कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी और उन्होंने उसकी प्रतिभा को पहचाना और अपने साथ रखने लगे. ज्वाला कहते हैं, '11-12 साल का रहा होगा, जब मैंने उसे बैटिंग करते देखा. वह ए-डिविजन बॉलर के खिलाफ इतना अच्छा खेल रहा था कि मैं उससे प्रभावित हुआ बिना नहीं रह सका. मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया, 'यह लड़का कई मुश्किलों से गुजर रहा है, इसका कोई कोच नहीं है. इसके माता-पिता भी यहां नहीं रहते.'