
भारत के महिला और पुरुष बॉक्सिंग टीम के चीफ कोच भले ही गोल्ड कोस्ट (ऑस्ट्रेलिया) में साथ न हों, लेकिन भारतीय मुक्केबाजों का हौसला कमजोर नहीं पड़ा है. भारतीय खिलाड़ी नए जोश के साथ गोल्ड कोस्ट के खेल गांव पहुंच गए हैं, जहां वे देश के पहले प्रोफेशनल बॉक्सर धर्मेंद्र सिंह यादव की देखरेख में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं. टीम के साथ चीफ कोच के नहीं होने के मुद्दे पर बॉक्सिंग फेडरेशन और खेल मंत्रालय ने चुप्पी साध रखी है.
बॉक्सिंग के मुकाबले 5 अप्रैल से ऑक्सनफोर्ड स्टूडियोज में खेले जाएंगे. भारत की तरफ से 4 महिला और 8 पुरुष मुक्केबाज हिस्सा लेंगे. भारतीय मुक्केबाज कॉमनवेल्थ खेलों को यादगार बनाने के लिए किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चहाते. इसलिए खेल गांव पहुंचते ही मुक्केबाजों ने रिंग में पसीना बहाना सही समझा. महिमा मुक्केबाजों की बात की जाए तो पांच बार की वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट एमसी मेरी कॉम पर हर किसी की निगाहें होंगी. 35 साल की मेरी इन खेलों के लिए बेहद खास तैयारी की है.
वहीं, पुरुष मुक्केबाजों में अनुभवी मनोज कुमार से काफी उम्मीदें रहेंगी. मनोज ने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. लेकिन ग्लास्गो में वो क्वार्टर फाइनल में बाहर हो गए थे. ऐसे में अपने आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों को यदगार बनाने में वो किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगी. भारतीय बॉक्सिंग टीम के कोच धर्मेंद्र की मानें, तो मनोज इस समय बेहतरीन फॉर्म में है. अगर ड्रॉ सही रहा, तो उन्हें गोल्ड मेडल लेने के कोई नहीं रोक सकता.
ग्लास्गो में 5 मेडल आए थे
कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय मुक्केबाजों का प्रदर्शन हमेशा से दमदार रहा है. 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के खाते में 5 पदक आए थे. जिनमें 4 सिल्वर के अलावा एक ब्रॉन्ज मेडल शामिल रहा. भारतीय मुक्केबाजों से इस बार स्वर्ण पदक जीतने का दबाव रहेगा.